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मोदी सरकार की योजनाओं का दिख रहा असर, विश्व बैंक के अनुसार देश में कम हुई गरीबी

विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार भारत में गरीबी पिछले एक दशक में 12.3 प्रतिशत कम हुई है। पिछले दो साल से महामारी की चुनौतियों से जूझते रहने के बावजूद गरीबी में कमी का यह आंकड़ा मन को सुकून देने वाला है।

देखा जाए तो आजादी के बाद से ही देश में गरीबी चुनावों का मुद्दा बनी रही, लेकिन इसे मुद्दा बनाकर वोट हासिल करने वाली कांग्रेस ने गरीबों के लिए कभी कुछ ठोस नहीं किया। वहीं मोदी सरकार ने पिछले 8 वर्षों में अपनी विभिन्न योजनाओं के जरिए देश में गरीबी को कम करने का जो बीड़ा उठाया वह फलीभूत होता नजर आ रहा है।

देश में 2011 के मुकाबले 2019 में गरीबी में 12.3 प्रतिशत की कमी आई। 2011 में गरीबी का आंकड़ा 22.5 से घटकर 2019 में 10.2 प्रतिशत हो गया। देश के ग्रामीण और शहरी गरीबी में काफी तेजी से गिरावट नजर आ रही है जो मोदी सरकार की सफल रणनीति को दर्शाता है। भारत में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में अधिक कमी आई है।

गौर करें तो प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शासन संभालने के बाद गरीबों के लिए अनेक योजनाएं आरंभ की गईं जिसका लाभ देश के गरीबों को मिल रहा है। मोदी सरकार द्वारा देश के गरीबों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए योजनाओं के माध्यम से उनको सहायता प्रदान की गई है, जिससे गरीबों को सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हो और देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार आए।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आरंभ की गई योजनाओं का उद्देश्य सभी को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सबल बनाना है। सरकार का लक्ष्य है कि गरीबों को रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ एक बेहतर जीवन मिले और इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर ही अनेक योजनाओं की रचना की गई है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के द्वारा उन गरीब लोगों को जिनके पास अपना घर नहीं है और झोपड़ियों में अपना गुजारा करते हैं, को उनका अपना पक्का मकान देने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इस योजना के माध्यम से सभी बेघरों या झुग्गी-झोपड़ी में रह रहे गरीबों को 2022 तक उनका अपना मकान दिलाने का लक्ष्य केंद्र सरकार द्वारा लिया गया है।

उज्जवला योजना के जरिये आठ करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन देकर यह सुनिश्चित किया गया है कि गरीब परिवार की महिलाओं को खाना बनाने में सुविधा हो और उनका स्वास्थ्य सुरक्षित रहें तथा जीवनस्तर में बदलाव आए।

अंत्योदय अन्न योजना द्वारा देश के अन्त्योदय राशन कार्ड धारक गरीब परिवारों को सरकार द्वारा प्रतिमाह बेहद सस्ती दरों पर 35 किलो राशन प्रदान किया जाता है। देश के गरीब परिवारों के साथ-साथ दिव्यांगों को भी इस योजना के तहत हर महीने 35 किलो अनाज, गेहूं ₹2 प्रति किलोग्राम और धान ₹3 प्रति किलोग्राम के हिसाब से दिया जाता है। यह मुख्य रूप से गरीबों के लिए आरक्षित है तथा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब परिवार को इस योजनाओं का लाभ प्रदान किया जाता है।

स्वनिधि योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा ₹10000 तक का लोन रेहड़ी-पटरी पर दूकान चलाने वालों को उपलब्ध कराया जाता है। यह  ऋण 1 साल के भीतर किस्त में लौटाना होता है। इस राशि से वे अपने लिए बेहतर दुकान की व्यवस्था बनाने का काम कर सकते हैं।

इसके अलावा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को कोरोना काल के दौरान गरीबों को हर महीने राशन प्रदान करने के उद्देश्य से आरंभ किया गया था। इसके अंतर्गत 80 करोड़ गरीब नागरिकों को हर महीने 5 किलो गेहूं या चावल दिया जाता है, जिससे गरीब परिवार को भूखा न रहना पड़े।

इसके अलावा भी पचासों ऐसी योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री रोजगार योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, किसान सम्मान निधि योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना, प्रधानमंत्री हेल्थ आईडी कार्ड, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना आदि सरकार द्वारा गरीबों के हित में चलाई जा रही हैं।

आज यदि विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार भारत में गरीबी काफी कम हुई है, तो उसके पीछे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चलाई जा रही वो कल्याणकारी योजनाएं हैं, जिनका उद्देश्य देश को विकसित बनाना, अर्थव्यवस्था को सुधारना, नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाना, सभी को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना, रोजगार के अवसर प्रदान करना और इन सबके परिणाम में देश से गरीबी हटाना रहा है।

(लेखिका डीआरडीओ में कार्यरत रह चुकी हैं। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन एवं अनुवाद में सक्रिय हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)

 

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