स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन’ के नारे के साथ आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दृढ़ संकल्प के अनुसार केंद्र सरकार ने 1 मई 2016 को ’प्रधानमंत्री उज्जवला योजना’ की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत 5 करोड़ परिवारों, विशेषकर गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिताने वाली महिलाओं को रियायती एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराए गए।
अप्रैल 2018 में इस योजना का दायरा बढ़ाया गया और इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, प्रधानमंत्री आवास योजना, अंत्योदय अन्न योजना के लाभार्थियों और अति पिछड़ा वर्ग समेत सात श्रेणियों की महिलाओं को भी शामिल किया गया। साथ ही एलपीजी कनेक्शन के लक्ष्य को आठ करोड़ तक बढ़ाया गया जिसे निर्धारित तिथि से सात महीने पहले अगस्त 2019 में हासिल कर लिया गया।
उज्ज्वला योजना सिर्फ रसोई पकाने के लिए ईंधन मात्र नहीं है, बल्कि जिंदगियों को रोशनी से भर उम्मीदों को उड़ान देने वाली योजना बन चुकी है. अब केंद्र सरकार ने उज्ज्वला योजना के पहले चरण में छूटे लाभार्थियों तक उसका हक पहुंचाने के लिए उज्ज्वला 2.0 की शुरुआत की है. एलपीजी कवरेज को 99.6 फीसदी तक पहुंचा चुकी केंद्र सरकार ने इस बार के आम बजट में 1 करोड़ नए कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा है, ताकि शहरों में छुटे हुए वे वर्ग, जिनका कोई स्थायी पता नहीं होता या घूमंतू होते हैं, ऐसे 0.4 फीसदी लोगों की पहचान कर उन्हें रसोई गैस कनेक्शन देना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी 10 अगस्त 2021 को उत्तर प्रदेश के महोबा में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले (बीपीएल) लाभार्थियों के बीच एलपीजी का कनेक्शन वितरित कर उज्ज्वला योजना के द्वितीय चरण की शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से योजना के लाभार्थियों से संवाद करते हुए कहा उज्ज्वला योजना ने देश के जितने लोगों और महिलाओं का जीवन रोशन किया है, वो अभूतपूर्व है। उज्ज्वला योजना के नए संस्करण में प्रवासी मज़दूरों के लिए विशेष प्रावधान किया गया है. इसके तहत राशन कार्ड या आधार कार्ड के बजाय सिर्फ़ सेल्फ़ डेक्लरेशन से भी कनेक्शन दिया जाएगा। गैस सिलेंडर और गैस स्टोव के साथ पहला रीफ़िल मुफ्त दिया जाएगा।
उज्ज्वला योजना के तहत पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने उज्जवला दीदी के नाम से एक पहल की शुरूआत हुई है। इसमें 10,000 महिलाओं को लोगों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। ये महिलाएं मुख्य रूप से तीन संदेश देगीं-1 स्वच्छ घरेलू ईंधन सर्वत्र उपलब्ध है, 2-स्वच्छ घरेलू ईंधन किफायती है, 3-एलपीजी सुरक्षित है और बीमाकृत है। उज्जवला दीदी एलपीजी सुरक्षा से सम्बन्धित किसी भी समस्या को दूर करेंगीं और नए कनेक्शन की सुविधाएं देंगीं। इस प्रकार उज्जवला दीदी अपनी पंचायत में महिलाओं के सशक्तिकरण में भूमिका निभाएंगीं।
27 मार्च, 2015 को प्रधानमंत्री जी ने आर्थिक रूप से संपन्न लोगो एलपीजी कनेक्शन धारकों को सरकार से मिलने वाली सब्सिडी छोड़ने का निवेदन किया था जिसके लिए उन्होंने ’गिव इट अप’ का सन्देश लोगो को दिया था। उसी के स्वरुप 1.13 करोड़ से अधिक लोगों ने आर्थिक सब्सिडी को छोड़ दिया था।
उज्ज्वला योजना के सफल क्रियान्वयन से पिछले कुछ वर्षो में एलपीजी क्षेत्र में बड़ी कामयाबी सरकार के हाथ लगी है। नकली उपभोक्ता खत्म हुए हैं। सब्सिडी सही हाथों में पहुंच रही है। साथ ही पहल जैसी योजनाओं के माध्यम से घरेलू गैस के वितरण और उपयोग में पारदर्शिता देखने को मिली है। सब्सिडी को खातों में सीधे भेजे जाने से बिचैलियों और भ्रष्टाचार पर रोक लगी है। इस योजना से एलपीजी डिलीवरी सिस्टम को कारगर बनाने में भी मदद मिली है। भारत के गांवों में खाना बनाने के लिए परंपरागत रूप से लकड़ी और गोबर के उपले का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इससे निकलने वाले धुएं का खराब असर खाना बनाने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना से ऐसी महिलाओं को काफी राहत मिली है। गांव में ज्यादातर महिलाओं का समय दो वक्त के ईंधन का व्यवस्था करने में ही गुजरता था। केवल इतना ही नहीं गांव से दूर जंगलों से लकड़ी लाना जोखिम भरा काम भी होता है। वहीं इसके चलते महिलाएं, परिवार और बच्चों को भी समय नहीं दे पाती हैं। लेकिन, उज्जवला योजना ने उन्हें न केवल धुएं के खराब असर से मुक्ति दिलाई है बल्कि इन तमाम जोखिमों से भी दूर किया है। गौरतलब है की विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में रसोई में पारंपरिक ईंधन जैसे लकड़ी, कोयला, उपले आदि पर खाना बनाने की वजह से निकलने वाले धुएं से ही हर वर्ष करीब 5 लाख मौतें होती थी. इसमें अधिकांश महिलाएं होती थी, जिनकी खराब सेहत का असर पूरे परिवार पर स्वाभाविक पड़ता था । वायु प्रदूषण में भी इसका असर दिखता था। इसके बावजूद आजादी के बाद इतने वर्षो तक पूर्ववर्ती सरकारों ने रसोई गैस जैसे स्वच्छ ईंधन को संपन्न वर्ग तक ही सीमित रखा गया । जबकि वे अगर संकल्प के साथ काम करते तो रसोई गैस को आम आदमी के दायरे में ला सकते थे। यदि हम इस योजना के विस्तार के बारे में सोचे तो 60 वर्षो में जहां 55 फीसदी परिवारों तक एलपीजी पहुंची, वहां मोदी सरकार 7 वर्षो में 43 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 99.6 फीसदी परिवारों तक यह पहुंच गई
उज्ज्वला योजना एक ऐसा नीतिगत निर्णय साबित हुई है जिसने गरीब, वंचित, मध्यम वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति और खासकर महिलाओं के जीवन स्तर को बढ़ाया है गरीब परिवारों को निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन प्राप्त होने से उनके जीवन स्तर में व्यापक परिवर्तन आया है। रसोई गैस कनेक्शन की उपलब्धता महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी भी है। यह योजना सचमुच में नारी की गरिमा और उनके स्वास्थ्य की रक्षा के साथ नारी के आत्मसम्मान को सरकार द्वारा दिया गया अनुपम उपहार है।
वास्तव में यह सब प्रधानमंत्री जी की दूरदृष्टि तथा भारतीय समाज में सनातन काल से चली आ रही महिला आत्मसम्मान को गरिमाय स्थान देने के परम्परा को आगे बढ़ाने की मुहीम का ही नतीजा है। चाहे वह बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ आंदोलन हो या फिर स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय निर्माण हो या महिलाओ के नाम से जनधन खाते खोलना हो इस सरकार की प्राथमिकताओ का केंद्रबिंदु हमेशा महिला केंद्रित रहा है , जिसके परिणाम स्वरुप ही आज महिलाओ के जीवनस्तर में बदलाव आया है।
(लेखक कॉरपोरेट लॉयर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)