Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

Maha Bodhi Society of India in collaboration with Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation organized a National Seminar on Classical Languages: Pali & Odia on 26 January 2025 at the Odisha Centre, Maha Bodhi Society of India, Bhubaneswar.

पालि भाषा नहीं बुद्धवचनों को आम जन तक पहुंचाने का माध्यम है

दिनांक 26 जनवरी को उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया और डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम पालि प्राकृत और ओड़िआ भाषा को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शास्त्रीय भाषा घोषित करने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत 26 जनवरी शाम 6 बजे महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया के भुवनेश्वर केंद्र के सभागार में किया गया।
कार्यक्रम में सर्व प्रथम महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष नरेंद्र कुमार मिश्रा के स्वागत भाषण से हुआ, श्री मिश्रा ने अपने संबोधन में पाली और ऑडिया को शास्त्रीय भाषा की श्रेणी में शामिल करने के लिए प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया, श्री मिश्र ने कहा कि यह अवसर भारत के पुरातन गौरव को पुनर्स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण क्षण है, प्रधान मंत्री के पहल को आगे बढ़ाने का दायित्व हम लोगों की है।

इसी क्रम में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ अनिर्बान गांगुली ने सर्वप्रथम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए धन्यवाद और आभार प्रगट किया।

अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “पाली केवल भाषा नहीं है, यह भारतीय संस्कृति की जड़ है। बुद्ध की शिक्षाओं को समझने और वैश्विक मंच पर भारत की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा भारतीय संस्कृति, परंपराओं और शास्त्रीय भाषाओं को पुनर्जीवित करने के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “मोदी सरकार ने पाली जैसी शास्त्रीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार और संरक्षण के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। ये प्रयास भारतीयता को वैश्विक मंच पर स्थापित करने और हमारे प्राचीन ज्ञान को नए आयाम देने की दिशा में मील का पत्थर हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि “इन प्रयासों से न केवल पाली भाषा का महत्व बढ़ा है, बल्कि यह युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का अवसर भी प्रदान करता है।”

डॉ. सौरेंद्र कुमार महापात्र ने भाषाई संरक्षण के प्रयासों को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण बताते हुए, पाली और ओडिया के ऐतिहासिक योगदान पर प्रकाश डाला।

पूर्व कुलपति प्रोफेसर सच्चिदानंद महंती ने कि पाली भाषा बुद्ध के विचारों और उनके दर्शन को सही ढंग से समझने का प्रमुख माध्यम है। उन्होंने इसे आधुनिक समय में भी प्रासंगिक बताया।

पूज्य पी. शीवाली थेरो ने पाली भाषा की धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित रखने की आवश्यकता पर बल दिया।

महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और आज के संगोष्ठी के मुख्य अतिथि महेंद्र प्रताप सिंह ने अपने संबोधन में महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया के कार्यों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम का समापन सुश्री नम्रता छड्ढा द्वारा दिए गए धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। यह सम्मेलन भारतीय भाषाओं के संरक्षण और उनके महत्व को रेखांकित करने का एक सराहनीय प्रयास था।

महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित यह सम्मेलन भारतीय सांस्कृतिक और भाषाई विरासत के प्रति जागरूकता फैलाने का एक सफल मंच साबित हुआ।

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