Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

सरकारी योजनाओं से भारत को सशक्त बनाने की पहल

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एक तरफ प्रधानमंत्री जनधन योजना की मदद से वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को हासिल करने, डिजिटल इंडिया की संकल्पना को मूर्त रूप देने, आमजन को आत्मनिर्भर बनाने आदि का काम कर रहे हैं तो दूसरी तरफ आम आदमी के जीवन को आर्थिक रूप से सुरक्षित बनाने के लिए बीमा और पेशन योजनाओं को चलाने का काम कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में कई ऐसी योजनाओं का आगाज किया है, जिनकी मदद से अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो रही है और बड़ी संख्या में आम आदमी भी लाभान्वित हो रहे हैं. इन योजनाओं में से प्रधानमंत्री जनधन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना आदि का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है.

प्रधानमंत्री जनधन योजना

“प्रधानमंत्री जनधन योजना” मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जो पूर्व के “स्वाभिमान” नामक वित्तीय समावेशन योजना का परिवर्धित रूप है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त 2014 को वित्तीय समावेशन वाली इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में लोग आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा के अलावा नकद प्रबंधन को लेकर चिंतित रहते हैं। कभी-कभार ग्रामीणों के घर में चोरी भी हो जाती है या उनके परिवार के पुरुष सदस्य शराब या जुआ में पैसे उड़ा देते हैं। पशु, खाद व बीज खरीदने के लिए किसान को अक्सर गाँव के पास के बाजार या दूसरे शहर जाना पड़ता है। यात्रा के दौरान पैसों के गुम होने का खतरा बना रहता है। इसलिये, सरकार इस योजना की मदद से ग्रामीणों को आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना चाहती है, क्योंकि बैंक में खाता खुलने से ग्रामीण अपनी जमा-पूँजी बैंक में रखेंगे, जिससे उनके पैसे चोरी या बर्बाद होने से बच जायेंगे। बैंक में खाता होने से उन्हें ऋण मिलने में भी आसानी होगी। बैंक से नहीं जुड़े होने के कारण ग्रामीण अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए या तो सूदखोर, साहूकार आदि की शरण लेता है या फिर किसी चिट-फंड कंपनी की। प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 16 जून 2021 तक 42 करोड़ 50 लाख खाते खोले जा चुके थे और इनमें 1.44 लाख करोड़ रूपये जमा थे. इन खोले गए खातों में 31 करोड़ रुपे कार्ड भी जारी किये गए हैं, जिससे डिजिटल लेनदेन में तेजी आ रही है. आज वित्तीय संस्थानों से जुड़ने के कारण ही किसानों या गरीबों के खाते में सीधे सहायता राशि अंतरित की जा रही है और सिर्फ इसी वजह से कोरोना काल में लाखों गरीबों को भूखे मरने से बचाने में सरकार सफल रही.

प्रधानमंत्री जनधन योजना के माध्यम से सरकार वित्तीय समावेशन की संकल्पना को पूरा करने के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों को भी पूरा करना चाहती है। इसके अंतर्गत वित्तीय सेवाओं मसलन, बचत खाता खोलने से लेकर, धन अंतरण, ऋण (ओवरड्राफ्ट सीमा), बीमा आदि सुविधायें ग्राहकों को उपलब्ध कराई जा रही है। इस योजना की मदद से पहाड़ी इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों को भी बैंक से जोड़ा जा रहा है।

बैंक शाखा, बिजनेस कोरेस्पोंडेंट (बीसी) या मिनी बैंक की उपलब्धता 5 किलोमीटर के दायरे में कितनी है, का पता करने के लिए सरकार ने एक भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित एप विकसित किया है, जिसका नाम जन धन दर्शक ऐप या जेडीडी एप है, जिसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने विकसित किया है. बैंक इस एप में लॉग-इन करके अपनी शाखाओं, बीसी और एटीएम से संबंधित जानकारी को भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) में अपलोड कर सकते हैं. जेडीडी एप में संग्रहित सूचना के अनुसार देशभर में बैंकों की 1.66 लाख शाखाएं, 4.35 लाख बीसी और 2.07 लाख एटीएम कार्यरत हैं. इस एप में 5.53 लाख गांवों की जानकारियां भी संग्रहित हैं, जिसके मुताबिक 5.52 लाख गांवों में 5 किलोमीटर की दूरी के भीतर बैंक शाखा या बीसी हैं।

इन आंकड़ों से पता चलता है कि देश में अभी भी शत-प्रतिशत वित्तीय समावेशन की संकल्पना साकार नहीं हो सकी है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 6,49,481 गाँव थे, लेकिन इनमें से 5,93,615 गाँवों में ही आबादी थी. अगर वर्ष 2011 की जनगणना को आधार मानें तो 93 प्रतिशत गाँववासियों की बैंकों तक पहुँच है. हालाँकि, 5 किलोमीटर की दूरी कोई कम दूरी नहीं है. गाँवों में सड़क नहीं होने के कारण गाँववासियों को छोटी दूरी तय करने में भी काफी ज्यादा समय लग जाता है.
कोरोना महामारी के दौरान प्रधानमंत्री जनधन योजना को अमलीजामा पहनाने के कारण ही किसान, गरीब और समाज के वंचित तबकों के खातों में सहायता राशि तुरंत पहुंचाई जा सकी। प्रधानमंत्री जनधन योजना के कारण ही बड़ी संख्या में ग्रामीणों को रुपे कार्ड, मोबाइल बैंकिंग की सुविधा, दुर्घटना व जीवन बीमा कवर, पेंशन आदि की सुविधायेँ मिल रही हैं। साथ ही, बैंकों में खाता खुलने से किसान, किसान क्रेडिट कार्ड, दूसरे प्रकार के ऋण, सब्सिडी आदि लाभ ले रहे हैं, जिससे उन्हें घर का अर्थ प्रबंधन करने में आसानी हो रही है।

प्रधानमंत्री जनधन योजना के तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 मई 2015 को कोलकाता में तीन बडी सामाजिक योजनाओं जैसे, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना को शुरू करने की घोषणा की। इनमें से दो बीमा से जुड़ी योजनाएं हैं, जबकि एक पेंशन से संबंधित। इन योजनाओं को शुरू गरीबों का सशक्तीकरण करने के लिए किया गया है, इन सामाजिक योजनाओं को लागू कराने की जिम्मेवारी बैंकों एवं बीमा कंपनियों की है।

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना:-

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत किसी भी वजह से मृत्यु होने पर बीमित व्यक्ति को दो लाख रूपये देने का प्रावधान है। बीमा अवधि 1 जून से 31 मई तक का होगा। योजना को जीवित रखने के लिए प्रत्येक साल 31 मई तक बीमा का नवीनीकरण कराना होगा। योजना का लाभ 18 से 50 साल आयु वर्ग के बचत बैंक खाताधारक उठा सकते हैं. एक बार बीमा करा लेने के बाद बीमित व्यक्ति 55 साल की उम्र तक बीमा का लाभ ले सकेगा। इस योजना की प्रीमियम 330 रुपये है, जो हर साल 31 मई तक बीमा के नवीनीकरण के लिए देनी होगी। 330 रुपये के प्रीमियम में 289 रुपये बीमा कंपनी के खाते में, 30 रुपये एजेंट को, और 11 रुपये बैंक को प्रशासनिक खर्च की प्रतिपूर्ति के रूप में दिये जायेंगे। बीमा का प्रीमियम बैंक प्रणाली द्वारा स्वचालित तरीके से नामे की जायेगी। अगर कोई योजना का सदस्य देरी से बनता है तो नये सदस्यों को भी प्रीमियम की पूरी राशि देनी होगी। इस योजना की मास्टर पॉलिसी गृह बैंक या जिस बैंक में बीमित व्यक्ति का बचत खाता है में उपलब्ध होगा। 55 साल की उम्र पूरी होने या बैंक खाता बंद होने या फिर खाते में अपर्याप्त राशि होने पर बीमा कवर समाप्त हो जायेगा। एक से अधिक बैंक खातों के जरिये एक से अधिक बीमा कराने पर बीमित व्यक्ति को एक ही बीमा का लाभ मिलेगा और एक से अधिक बार जमा की गई प्रीमियम की राशि को नहीं लौटाया जायेगा।

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना:-

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत दुर्घटना के कारण मृत्यु होने पर बीमित व्यक्ति को दो लाख रूपये मिलेंगे और दुर्घटना में दोनों आँखों की रोशनी जाने, दोनों हाथों या दोनों पैरों के अपंग होने, एक आँख की रोशनी जाने और एक हाथ या पैर के अपंग होने पर बीमित व्यक्ति को दो लाख रूपये मिलेंगे। एक आँख की रोशनी जाने या एक हाथ या पैर के अपंग होने पर बीमित व्यक्ति को एक लाख रूपये मिलेंगे। बीमा की अवधि 1 जून से 31 मई रखी गई है, जिसका हर वर्ष नवीनीकरण कराना होगा, अन्यथा प्रीमियम के भुगतान नहीं होने पर बीमा का लाभ बीमित व्यक्ति को नहीं मिलेगा। इस योजना का लाभ 18 से 70 साल के आयु वर्ग के हर बचत बैंक खाताधारक, जिसका केवाईसी हो चुका है, उठा सकता है। इस बीमा कवर को प्राप्त करने के लिए हर साल 12 रुपये का प्रीमियम देना होगा। 12 रुपये के प्रीमियम में 10 रुपये बीमा कंपनी को, एक रुपया एजेंट को एवं शेष एक रुपया बैंक को प्रशासनिक खर्च की प्रतिपूर्ति के रूप में मिलेगा। इस योजना का लाभ उठाने के लिए हर साल 31 मई तक बैंक में आवेदन दिया जा सकता है। प्रीमियम की राशि स्वचालित तरीके से खाते से डेबिट की जायेगी। विलंब से योजना का भागीदार बनने वालों को भी प्रीमियम की पूरी राशि अदा करनी होगी। खाताधारक के गृह बैंक में बीमा की मास्टर पॉलीसी उपलब्ध होगी। 70 साल की उम्र होने या बैंक खाता बंद होने या इसमें अपर्याप्त राशि होने पर बीमित व्यक्ति का बीमा कवर समाप्त हो जायेगा। एक से अधिक बैंक खातों के जरिये एक से अधिक जगह बीमा करवाने वालों की एक ही बीमा कवर वैध होगी और एक से अधिक बार जमा प्रीमियम राशि को लौटाया नहीं जायेगा।

अटल पेंशन योजना:-

इस योजना में एक, दो, तीन, चार और पाँच हजार रुपये मासिक पेंशन प्राप्त करने का विकल्प उपलब्ध है। 18 से 40 साल की उम्र के ऐसे बैंक खाताधारक जिनकी आय कर योग्य नहीं है और वे किसी अन्य संवैधानिक सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ नहीं उठा रहे हैं इस योजना के पात्र होंगे। 60 साल की उम्र पूरी होने के बाद पेंशन का विकल्प चुनने वाले खाताधारक को पेंशन देने का प्रावधान योजना में किया गया है।

निष्कर्ष:-

भारत एक लोकतान्त्रिक एवं कल्याणकारी देश है। इसलिए, गरीबों को बुनियादी सुविधा मुहैया कराने एवं उनके जीवनयापन के लिये आवश्यक तंत्रों की उपलब्धता को सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी सरकार की है। सरकार उन्हें भगवान भरोसे नहीं छोड़ सकती है। इसलिए, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एक तरफ प्रधानमंत्री जनधन योजना की मदद से वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को हासिल करने, डिजिटल इंडिया की संकल्पना को मूर्त रूप देने, आमजन को आत्मनिर्भर बनाने आदि का काम कर रहे हैं तो दूसरी तरफ आम आदमी के जीवन को आर्थिक रूप से सुरक्षित बनाने के लिए बीमा और पेशन योजनाओं को चलाने का काम कर रहे हैं.

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)

Author

  • सतीश सिंह

    (लेखक भारतीय स्टेट बैंक में सहायक महाप्रबंधक (ज्ञानार्जन एवं विकास) हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)

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