Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

सर्वहित में पारदर्शिता और भरोसे की पहल

भारत जैसे बहुसांस्कृतिक और विविधतापूर्ण देश में धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन हमेशा से एक चुनौती रहा है। वक्फ संपत्तियों के संदर्भ में यह चुनौती और भी जटिल हो जाती है, क्योंकि ये संपत्तियां इस्लामी परंपरा के अनुसार धार्मिक, शैक्षिक और सामाजिक कल्याण के लिए समर्पित होती हैं। भारत में वक्फ का इतिहास औपनिवेशिक काल से जुड़ा है, जब 1913 में पहला वक्फ अधिनियम बनाया गया था। इसका उद्देश्य इन संपत्तियों को व्यवस्थित करना था, लेकिन समय के साथ प्रबंधन में अनियमितताएं और दुरुपयोग की शिकायतें बढ़ती गईं। आजादी के बाद 1954 और फिर 1995 में वक्फ अधिनियम में संशोधन हुए, मगर प्रशासनिक कमियां और भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होती गईं। वक्फ बोर्ड संशोधन कानून इसी पृष्ठभूमि में एक आवश्यक सुधार के रूप में सामने आया है। यह कानून न केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को पारदर्शी बनाता है, बल्कि सामाजिक समरसता, कानूनी स्पष्टता और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की दिशा में भी एक ठोस कदम है।

वक्फ संपत्तियां भारत में एक विशाल संसाधन हैं। मार्च 2025 तक भारत में लगभग 8.72 लाख पंजीकृत वक्फ संपत्तियां हैं, जो 38 लाख एकड़ से अधिक भूमि में फैली हुई हैं। इनका मूल उद्देश्य समाज कल्याण है, मगर वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता की कमी ने इस उद्देश्य को कमजोर किया है। अवैध कब्जे और भ्रष्टाचार की घटनाएं आम हो गई हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन दरगाह के पास की वक्फ जमीन पर अवैध निर्माण की शिकायतें वर्षों से चर्चा में रही हैं। दरगाह के अवैध निर्माण को 31 मार्च 2023 को दिल्ली पीडब्ल्यूडी ने बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया। वक्फ बोर्ड संशोधन कानून इस स्थिति को बदलने के लिए डिजिटल रिकॉर्ड, कड़ाई से निगरानी और पारदर्शी प्रबंधन का ढांचा लाता है। इससे संपत्तियों का संरक्षण होगा और उनका उपयोग वास्तविक धार्मिक व सामाजिक लक्ष्यों के लिए सुनिश्चित होगा। यह मुस्लिम समुदाय के भीतर विश्वास बढ़ाएगा, क्योंकि उन्हें यकीन होगा कि उनकी संपत्तियां सुरक्षित हैं और सही दिशा में प्रयोग हो रही हैं।

भारत में धार्मिक संपत्तियों से जुड़े विवाद अक्सर सामुदायिक तनाव का कारण बनते हैं। वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे इस तनाव को और बढ़ाते हैं। मिसाल के तौर पर, मुंबई में एक वक्फ संपत्ति पर कथित अतिक्रमण को लेकर स्थानीय समुदायों के बीच लंबा विवाद चला, जिसने सामाजिक माहौल को प्रभावित किया। यह कानून ऐसे विवादों को कम करने में सक्षम है। पारदर्शी रिकॉर्ड और प्रबंधन से अवैध दावों की गुंजाइश घटेगी, जिससे अदालतों का बोझ कम होगा और सामाजिक स्तर पर विश्वास बढ़ेगा। यह सभी धर्मों के लिए लाभकारी है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी समुदाय की संपत्ति का दुरुपयोग न हो। यह सामाजिक एकता को बल देता है, क्योंकि विवादों की बजाय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।

कानूनी दृष्टिकोण से यह संशोधन समानता और निष्पक्षता की ओर बढ़ता है। मौजूदा व्यवस्था में वक्फ बोर्डों को व्यापक अधिकार हैं, जिसके तहत वे बिना पुख्ता सबूत के संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकते हैं। इससे कई बार अन्य लोगों के अधिकार प्रभावित हुए हैं। संशोधन कानून जिला कलेक्टर जैसे प्राधिकारी द्वारा दावों की जांच का प्रावधान लाता है, जो मनमाने फैसलों पर रोक लगाएगा। यह सभी नागरिकों (चाहे वे किसी भी धर्म के हों) के लिए कानून के समक्ष समानता को मजबूत करता है। इससे उन लोगों को न्याय मिलेगा, जो वक्फ विवादों में फंसे हैं। यह कदम कानूनी प्रक्रिया को स्पष्ट और संतुलित बनाता है।

राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में यह कानून एकता का संदेश देता है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां सभी धर्मों को समान सम्मान मिलना चाहिए। वक्फ बोर्डों की अपारदर्शी कार्यप्रणाली इस सिद्धांत पर सवाल उठाती थी। यह संशोधन सभी के हितों को ध्यान में रखता है। जब वक्फ का प्रबंधन पारदर्शी होगा, तो यह अन्य धार्मिक संस्थाओं के लिए भी नजीर बनेगा। मंदिरों या गुरुद्वारों की संपत्तियों में भी ऐसी पारदर्शिता की मांग उठ सकती है, जो देश की प्रशासनिक व्यवस्था को सशक्त करेगी। यह संदेश देता है कि कानून सभी के लिए समान है।

इसके दूरगामी लाभ भी प्रभावशाली हैं। वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में हो सकता है। यदि इन पर स्कूल या अस्पताल बनें, तो यह पूरे समाज को लाभ पहुंचाएगा। इससे रोजगार बढ़ेगा, गरीबी घटेगी और शिक्षा का स्तर सुधरेगा। संपत्ति विवादों में कमी से अदालती संसाधन बचेगा, जिसे अन्य मुद्दों पर लगाया जा सकेगा। यह सरकार के उस संकल्प को दर्शाता है, जिसमें धार्मिक संस्थाएं राष्ट्र निर्माण में योगदान दें। कुछ आलोचक कह सकते हैं कि यह वक्फ की स्वायत्तता पर अंकुश है, मगर यह तर्क कमजोर है। यह कानून वक्फ की मूल भावना को मजबूत करता है और उसे प्रभावी बनाता है। पारदर्शिता से समुदाय का विश्वास बढ़ेगा और बाहरी हस्तक्षेप की आशंका कम होगी।

लिहाजा वक्फ बोर्ड संशोधन कानून एक प्रगतिशील कदम है, जो भारत के सामाजिक, कानूनी और राष्ट्रीय ढांचे को सुदृढ़ करता है। यह वक्फ संपत्तियों को सुरक्षित करता है, सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करता है और विवादों को सुलझाने में मदद करता है। यदि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो यह एक ऐतिहासिक सुधार होगा, जो पूरे राष्ट्र के हित में है।

 

Author

  • Devendra Raj Suthar

    Devendra Raj Suthar is a prominent young Hindi writer who writes on contemporary issues. He has received education from Jodhpur University. Active in writing for the past 10 years, Suthar's works have been published in over 100 magazines and web platforms. He is the Rajasthan Bureau Chief of the magazine 'The Foundation of Democracy'. He has received several prestigious awards, including the Hindi Seva Samman and the Yashpal Literary Award.

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