Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

विश्व पटल पर दिख रहा भारत का दम

गत वर्ष भारत ने अपने अमृतकाल में प्रवेश किया और संयोगवश इसी वर्ष देश को जी-20 की अध्यक्षता भी प्राप्त हुई। इस प्रकार अमृतकाल का आरंभ अत्यंत शुभ माना जा सकता है।  वास्तव में 2014  में नरेंद्र मोदी के केंद्र की सत्ता में आने के बाद से ही भारत की वैश्विक साख में लगातार वृद्धि हुई है। अब विश्व समुदाय यह बात समझने लगा है कि दुनिया का कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय भारत की भागीदारी के बिना नहीं लिया जा सकता। शायद यही कारण है कि आज विश्व का सबसे ताकतवर आर्थिक समूह जी-20 भारत की अध्यक्षता में कार्य कर रहा है। इस वर्ष सितम्बर में पहली बार भारत में जी-20 का शिखर सम्मेलन भी आयोजित होने जा रहा है। अभी भारत की अध्यक्षता में जी-20 की बैठकें चल रही हैं। लगभग 200 बैठकों के बाद 9-10 सितंबर को  इस वर्ष जी-20 का 18वां  शिखर सम्मेलन देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा, जिसमें इस समूह में शामिल देशों के प्रमुख शिरकत करेंगे। भारत ने जी-20 की थीम ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के उपनिषद वाक्य पर आधारित रखी है।

उल्लेखनीय है कि जी-20 शिखर सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने से सम्बंधित मुद्दों और चुनौतियों पर चर्चा की जाती है। जी-20 में शामिल सदस्य देशों का वैश्विक जीडीपी में लगभग 85 फीसदी का योगदान है। इसके साथ ही शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व के बदलते परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, आदि विश्व की आर्थिक प्रगति को प्रभावित करने वाले विविध मुद्दे भी चर्चा के केंद्र में होते हैं। भारत में होने वाले शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज, रूस के राष्ट्रपति ब्लादमीर पुतिन समेत अन्य सदस्य व आमंत्रित देशों के शीर्ष नेताओं को हिस्सा लेना है। कहने की आवश्यकता नहीं कि ऐसी वैश्विक हस्तियों से सजे सम्मेलन की अध्यक्षता करना भारत के लिए अत्यंत गर्व और गौरव का अवसर होगा।

प्रथमद्रष्टया यह किसी चमत्कार जैसा लगता है कि जो भारत 2014 के पूर्व वैश्विक समूहों की बैठकों और निर्णयों में अलग-थलग पड़ा होता था, वो आज जी-20 जैसे वैश्विक समूह की अध्यक्षता कर रहा है। वास्तव में, यह चमत्कार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के शासन की रीति-नीति में आए बदलाव के कारण ही संभव हो पाया है।

गौर करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शासन के आरम्भ से ही भारत की आवाज को विश्व पटल पर पूरी मजबूती से रखने का काम किया है। 2014  में सत्तारूढ़ होने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने प्रथम संबोधन में ही मोदी ने भारत के योग को अंतर्राष्ट्रीय रूप देने का प्रस्ताव रखा था, जो बहुमत से स्वीकृत हुआ और आज पूरी दुनिया में 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है। अपने संबोधनों में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भारत में मौजूद संभावनाओं को पूरे दमखम से विश्व के समक्ष रखा जाता है। विदेश यात्राओं के दौरान वहाँ रहने वाले भारतवंशी लोगों से संवाद के माध्यम से भी मोदी देश की सामर्थ्य का परिचय दुनिया को देते रहे हैं।

अब भारत की विदेश नीति का आधार ‘राष्ट्र प्रथम’ है, जिसके तहत देश का रुख स्पष्ट है कि वह सबसे आँख मिलाकर अपनी बात कहेगा लेकिन अगर कोई आँख दिखाने की कोशिश करेगा तो उसे जवाब देने में पीछे भी नहीं हटेगा। अब वह भारत गुजरे जमाने की बात हो चुका है जो पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद और कश्मीर जैसी अपनी समस्याओं और चुनौतियों से निपटने के लिए महाशक्ति देशों का मुंह देखता था। आज का भारत आतंकवाद के विरुद्ध डंके की चोट पर सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक करके मुंहतोड़ जवाब देता है, तो वहीं जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाकर उसे शांति व विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का काम करता है। इन क़दमों ने भारत के एक सक्षम और सशक्त स्वरूप का परिचय विश्व को दिया था।

आज का भारत न केवल अपनी समस्याओं से निपट रहा है, अपितु वैश्विक चुनौतियों के विरुद्ध लड़ाई में भी भारत की उल्लेखनीय भूमिका रही है। चाहें वो जलवायु परिवर्तन का विषय हो या कोरोना महामारी से निपटने का, भारत ने सदैव दुनिया को रास्ता दिखाने का ही काम किया है। जी-20 समूह में भारत एकमात्र ऐसा देश है जो पेरिस जलवायु समझौते का ठीक ढंग से अनुपालन करते हुए उसके लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। इतना ही नहीं, जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सतत जीवनशैली के रूप में विश्व को इस संकट से निपटने के लिए समाधान भी दिया गया है। इसी प्रकार कोरोना महामारी के समय देश ने न केवल अपने आंतरिक हालातों को संभाला बल्कि अन्य जरूरतमंद देशों की सहायता करते हुए सफलतापूर्वक विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाकर विश्व के समक्ष आदर्श प्रस्तुत किया। इन सब बातों ने देश के नीति और नेतृत्व को लेकर विश्व के नजरिये को बदलने का काम किया है। यही कारण है कि वैश्विक पटल पर आज हर प्रकार से भारत की साख बेहद मजबूत हुई है।

लेखक एसपीएमआरएफ में सीनियर फेलो एवं स्तंभकार हैं.