Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के कारण भी भारत की आर्थिक विकास दर में हो रही वृद्धि

किसी भी देश में स्वस्थ नागरिक उस देश के लिए एक बहुत बड़ी पूंजी मानी जाती है। नागरिकों के स्वस्थ रहने से देश की अर्थव्यवस्था को सीधे सीधे दो लाभ होते हैं। एक, देश के स्वस्थ नागरिकों की उत्पादकता तुलनात्मक रूप से अधिक रहती है। दूसरे, यदि नागरिक बीमार हैं तो उनको स्वस्थ रखने के लिए अधिक खर्च करना होता है, जो कि एक तरह से अनुत्पादक खर्च की श्रेणी में गिना जाता है, और बीमार नागरिकों की उत्पादकता तो कम होती ही है।

इस बीच यदि देश में उत्तम दर्जे की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं तो अस्वस्थ नागरिकों को जल्दी स्वस्थ कर पुनः उनकी उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। जिसका सीधा लाभ उस नागरिक के साथ ही देश के आर्थिक विकास में सुधार के रूप में भी देखने में आता है।

हाल ही के समय में, भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए केंद्र सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं और केंद्र सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च की जाने वाली राशि का बजट में प्रावधान लगातार बढ़ाया जा रहा है ताकि देश के नागरिक न केवल स्वस्थ रहें बल्कि यदि बीमार भी हों तो उन्हें उत्तम दर्जे की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करायी जा सके एवं वे शीघ्रतिशीघ्र स्वास्थ्य लाभ लेकर अपने आप को आर्थिक गतिविधियों में संलग्न कर सकें।

इसी संदर्भ में यहां केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई आयुष्मान भारत योजना का उल्लेख किया जा सकता है। यह योजना अल्पकाल में ही गरीब वर्ग के स्वस्थ जीवन का आधार बन कर गरीबों-वंचितों के लिए वरदान बन गई है। आयुष्मान भारत योजना या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, भारत सरकार की एक स्वास्थ्य बीमा कवर योजना है, जिसे 23 सितंबर, 2018 को पूरे भारत में लागू किया गया था।

इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों अर्थात बीपीएल धारकों को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है। इसके अन्तर्गत आने वाले प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपए तक का कैशरहित स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जा रहा है।

भारत में केवल  आयुष्मान भारत योजना को ही लागू नहीं किया गया है बल्कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं को आसान और सुलभ बनाने के लिए भी केंद्र सरकार अन्य कई प्रयास कर रही है। जैसे अभी गत वर्ष केंद्र सरकार ने ‘ई-संजीवनी’ टेलीमेडिसिन सेवा को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के साथ जोड़ दिया है। इसका उद्देश्य भारत में मौजूदा डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं की दूरियों को कम करने और संबंधित पक्षों के लिए डिजिटल रास्ता बनाना है।

वर्ष 2018 में प्रारम्भ की गई आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत टेली-परामर्श सेवा, 3 करोड़ टेली-परामर्श को पार कर गई है। वहीं, 23 सितंबर 2018 को शुरू हुई आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना के अंतर्गत अभी तक 21 करोड़ से अधिक परिवारों को आयुष्मान कार्ड प्रदान कर दिए गए है।

यूं तो स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही देश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए प्रयास किए जा रहे हैं परंतु पिछले 8-9 वर्षों के दौरान इस ओर विशेष ध्यान दिए जाने से देश की स्वास्थ्य व्यवस्था में व्यापक सुधार दृष्टिगोचर हुआ है। कोरोना महामारी के दौरान जिस तरीके से भारत में इस महामारी को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया गया, इसकी पूरे विश्व में भारत की सराहना हुई है।

130 करोड़ से अधिक आबादी वाले देश में अन्य विकसित देशों की तुलना में मृत्यु दर बहुत कम रही और बाद के समय में तो भारत में ही तैयार किए गए टीके के भी 200 करोड़ से अधिक डोज देश के नागरिकों को सफलतापूर्वक लगाए जा चुके हैं, जिससे कोरोना महामारी एक तरह से भारत में नियंत्रित हो गई है, वहीं चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, आदि देशों के नागरिक अभी भी कोरोना बीमारी से जूझ रहे हैं।

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में हुए सुधार के चलते ही देश के नागरिकों की जीवन प्रत्याशा में बढ़ोतरी हुई है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1970-75 के दौरान भारत में जीवन प्रत्याशा जहां करीब 51 वर्ष थी, वह वर्ष 2015-19 में बढ़कर 69 वर्ष तक पहुंच गई है। भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों की संख्या केवल 725 थी, जबकि आज देश में डेढ़ लाख से अधिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं। इसी प्रकार, वर्ष 1950-51 में भारत में मेडिकल कॉलेजों की संख्या मात्र 28 थी। जबकि आज भारत में 595 एलोपैथी और 733 आयुष मेडिकल कॉलेज स्थापित हो चुके हैं।

भारत में न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है बल्कि भारत में चिकित्सा क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने में भी केंद्र सरकार ने अतुलनीय कार्य किया है, इसमें चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के साथ ही तकनीकी सुविधाओं का विस्तार भी शामिल है। इसके कारण आज विदेशी नागरिकों के इलाज के लिये भी भारत एक पसंदीदा जगह बनता जा रहा है।

भारत मेडीकल टूरिज्म का हब बनता जा रहा है। मेडीकल सुविधाओं के मामले में भारत आज विश्व के कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है। विदेशी नागरिक भारत में अब केवल घूमने के मकसद से नहीं आ रहे हैं बल्कि अपना इलाज कराने भी आ रहे हैं। हर साल जटिल बीमारियों का इलाज कराने लाखों विदेशी नागरिक भारत आ रहे हैं। भारत आज दुनिया में तीसरा सबसे बडा, इलाज के लिहाज से, पसंद किया जाने वाला देश बन गया है।

दरअसल, विकसित देशों में बीमारियों का इलाज बहुत मंहगा है। भारत में उक्त राशि की तुलना में यह केवल 20 से 30 प्रतिशत तक की राशि के बीच ही हो जाता है। अतः भारत में मेडीकल टूरिज्म बहुत फल फूल रहा है। पडोसी देशों विशेष रूप से बांग्लादेश, अफगानिस्तान, ईराक, ओमान, नाईजीरिया, उजबेकिस्तान, आदि के नागरिक भी गम्भीर बीमारियों के इलाज हेतु भारत का रुख करते हैं।

इसके साथ ही विकसित देशों यथा, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, आदि के नागरिक भी अब इलाज के लिये भारत आ रहे हैं। भारत ने वर्ष 2014 में अपनी वीजा नीति को उदार बनाया था जिसका लाभ अब मेडीकल क्षेत्र को भी मिल रहा है।  प्रत्येक वर्ष मेडीकल वीजा की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। भारत के कई निजी अस्पताल विदेशी नागरिकों को इलाज हेतु अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।

वर्ष 2014 में केंद्र में सत्ता में आई मोदी सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं से करोड़ों लोगों को लाभ हुआ है। उक्त वर्णित आयुष्मान भारत योजना की साथ ही, अन्य योजनाओं जैसे, जनधन योजना के तहत 45 करोड़ से अधिक बैंक खाते खुले हैं। उज्जवला योजना के अंतर्गत 9 करोड़ से अधिक रसोई गैस कनेक्शन दिए गए हैं। किसान सम्मान निधि योजना से लगभग 12 करोड़ किसानों को लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से 80 करोड़ लोगों को फायदा हुआ है। जल जीवन मिशन के तहत 5.5 करोड़ से अधिक घरों तक नल का जल पहुंचा दिया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 2.71 करोड़ घरों का निर्माण हो चुका है।

इस प्रकार, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कर एवं अन्य कई प्रकार की योजनाओं को लागू कर भारत आज दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन चुका है और दुनिया की टॉप-3 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। विश्व बैंक के अनुसार, वर्ष 1947 से वर्ष 1980 के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर -5 प्रतिशत  से लेकर 9 प्रतिशत के दायरे में रही थी, इसमें समय समय पर बहुत उतार चढ़ाव देखने में आए हैं। वहीं कोरोना महामारी का दौर यदि छोड़ दें तो वर्ष 1992 से वर्ष 2019 तक भारत में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 4 प्रतिशत से 8 प्रतिशत  के दायरे में रही है।

अर्थात, अब भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता के साथ मजबूती भी आ रही है। अप्रेल-जून 2022 तिमाही में तो भारतीय अर्थव्यवस्था ने 13.5 प्रतिशत की विकास दर हासिल की। जबकि विश्व की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं जैसे, चीन की इस अवधि में जीडीपी वृद्धि दर 0.4 प्रतिशत रही है, स्पेन में 1.1 प्रतिशत, इटली में 1.0 प्रतिशत, फ्रांस में 0.5 प्रतिशत, जर्मनी में 0.1 प्रतिशत, ब्रिटेन में -0.10 प्रतिशत और अमेरिका में -0.6 प्रतिशत रही है। ऐसा शायद भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार हो रहे सुधार के चलते सम्भव हो पाया है।

(लेखक बैंकिंग क्षेत्र से सेवानिवृत्त हैं। स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)

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