Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

मोदी की विदेश नीति में भारतीय विरासत

नरेन्द्र मोदी की विदेश नीति में राष्ट्रीय विरासत और स्वाभिमान का सहज समावेश झलकता है। उन्होंने दुनिया के अनेक नेताओं को प्राचीन भारत के वांग्मय से परिचित कराया। योग पूरी दुनिया में पहुँच चुका है। करीब दो सौ देशों में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन होता है। कई देशों के नेता काशी की भव्य श्री गंगा आरती में सहभागी हो चुके हैं। मन्दिर की चौखट पर बैठ कर भी नरेन्द्र मोदी अपने समकक्ष विदेशी नेता से वार्ता कर चुके हैं। अनेक देशों से भारत से चोरी हुई ऐतिहासिक मूर्तियों को सम्मान के साथ वापस किया है। इस क्रम में जी सेवन देशों के नेताओं को मोदी द्वारा भेंट की गई वस्तुएँ अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है।पिछले कुछ समय के अन्तराल में कई अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय विरासत का प्रभाव दिखाई दिया। इसमें वैश्विक शांति सौहार्द के साथ ही वैचारिक और स्थानीय उद्योगों का संदर्भ भी शामिल है। इस संदर्भ में क्यूबा का एक निर्णय उल्लेखनीय है।इस समय भारत आजादी अमृत महोत्सव मना रहा है।  क्यूबा ने भारत की आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर विशेष डाक टिकट भी जारी किया.

जी सेवन शिखर सम्मेलन में नरेन्द्र मोदी ने पर्यावरण,ऊर्जा, जलवायु,खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य,आतंकवाद विरोधी,लैंगिक समानता और लोकतंत्र जैसे सामयिक मुद्दों को भारतीय विचारों के अनुरूप उठाया था।नरेन्द्र मोदी ने सेनेगल के राष्ट्रपति को उत्तर प्रदेश में हाथ से निर्मित हुईं प्रसिद्ध मूंज की टोकरियां और कपास की दरी इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को वाराणसी की लोकप्रिय काष्ठ और लाख की अद्भुत कला से निर्मित श्री राम दरबार की कलाकृति,ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को चीनी मिट्टी के अद्वितीय उत्पादों के लिए प्रसिद्ध बुलंदशहर की प्लेटिनम पेंटेड हैंड पेंटेड टी सेट जर्मनी चांसलर को मुरादाबाद की अद्भुत कलाकृति,इटली के मा। प्रधानमंत्री को आगरा निर्मित मार्बल इनले टेबल टॉप उपहार,फ्रांस राष्ट्रपति को हस्तशिल्प जरी जरदोजी से बने बॉक्स में उ।प्र।में निर्मित विभिन्न उपहार,जापान के प्रधानमंत्री को निजामाबाद की शिल्प कला से निर्मित काली मिट्टी के बर्तन अमेरिका राष्ट्रपति को देवाधिदेव महादेव की पावन नगरी काशी का प्रसिद्ध हस्तशिल्प गुलाबी मीनाकारी ब्रोच व कफलिंक सेट उपहार स्वरूप भेंट किए।

सरकार वोकल फॉर लोकल अभियान एक जिला एक उत्पाद योजना के जरिए जो स्थानीय उत्पादों पर बल दे रही है,उसने भी निर्यात बढ़ाने में मदद की है। अब दुनिया के नए नए देशों में हमारे अनेक उत्पाद पहली बार निर्यात किए जा रहे हैं। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी भारत के विचारों को समर्थन मिला। नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया था। उन्होने रूस यूक्रेन सहित अन्य सभी विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का संदेश दिया था। उनका कहना था कि संवाद से ही युद्ध की स्थिति का निवारण किया जा सकता है। मोदी के इस विचार को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के संयुक्त वक्तव्य में प्रमुखता के साथ शामिल किया गया था।नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद के विरोध में साझा प्रयास करने का संदेश दिया था। ब्रिक्स के संयुक्त वक्तव्य में आतंकवाद का विरोध भी स्पष्ट शब्दों में किया गया। किसी अन्य देश द्वारा आतंकवाद संरक्षण देने की भर्त्सना की गई।पाकिस्तान के प्रति चीन की सहानुभूति जगजाहिर है। चीन ब्रिक्स का सदस्य है। पाकिस्तान पर आतंकवाद को संरक्षण देने के आरोप है। अफगानिस्तान में तो आतंकी संगठन की सत्ता है। फिर भी आतंकवाद पर भारत के विचारों को ब्रिक्स के सभी देशों ने स्वीकार किया। चीन ने इस पाकिस्तान विरोधी विचार को संयुक्त वक्तव्य

में शामिल करने का विरोध नहीं किया। घोषणा पत्र में रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत का समर्थन करते हुए यूक्रेन में मानवीय हालात पर चिंता व्यक्त की गई। प्रभावित लोगों को संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों के जरिए आवश्यक सहायता पहुंचाने पर जोर दिया गया। कहा गया कि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के संगठन जी ट्वेंटी की एकता को बनाए रखा जाए। इस वर्ष अगले कुछ महीनों में इंडोनेशिया में जी ट्वेंटी देशों की शिखर वार्ता आयोजित है। अगले वर्ष जी ट्वेंटी की शिखर वार्ता की मेजबानी भारत करेगा। अमेरिका सहित पश्चिमी देशों के रूस विरोध के कारण इन शिखर वार्ता के ऊपर प्रश्न चिन्ह लग गया है। ब्रिक्स घोषणा पत्र में मानवाधिकारों और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मापदंडों का विरोध किया गया। मानवाधिकारों और लोकतंत्र के प्रति समर्थन व्यक्त किया गया। आतंकवाद और धार्मिक कट्टरता के सभी रूपों की निंदा की गई। भारत रूस चीन ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स के सदस्य हैं।इसमें नरेन्द्र मोदी वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए थे। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन,चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग,दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सनारो बीजिंग बैठक में शामिल हुए थे।

नरेन्द्र मंदी ने ब्रिक्स देशों के उद्योगपतियों भारत की विकास यात्रा के बारे में बताया। कहा कि भारत में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने निवेशकों से आग्रह किया कि वे भारत के पंद्रह खरब डॉलर वाले राष्ट्रीय आधारभूत ढांचा विकास अभियान में निवेश के अवसर उपलब्धि हैं। नये भारत में प्रोद्योगिकी के जरिये अर्थव्यवस्था को पुन गति देने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए हर क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहन मिल रहा है। तीन वर्षों में भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था का मूल्य दस खरब डॉलर तक पहुंचने का जिक्र किया। भारत में जिस तरह का डिजिटल रूपांतरण हो रहा है वैसा दुनिया ने कभी नहीं देखा है। भारत में नवाचार के लिए सबसे उत्तम सबसे अच्छा तंत्र और माहौल है। देश में स्टार्टअप की बढ़ती संख्या इसका प्रमाण है। भारत में सत्तर हजार से अधिक स्टार्टअप्स हैं जिनमें सौ से अधिक यूनिकॉर्न हैं। पिछले साल ऐतिहासिक वैश्विक व्यवधान के बावजूद भारत ने पचास लाख करोड़ रुपए का कुल निर्यात किया। सरकार ने बत्तीस हजार से अधिक अनावश्यक नियमों को खत्म कर व्यापार को सुगम बनाने का काम किया है।