Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

अमृतकाल में गरीब कल्याण से विकसित बनेगा भारत

आज हम अमृतकाल में भारत के अंत्योदय के लक्ष्य की प्राप्ति की बात कर रहे है। आज हमारा भारत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनकर दूसरे जरूरतमंद राष्ट्रों की आवाज भी बन रहा है और उनकी मदद भी कर रहा है। मोदी सरकार के पिछले 10 वर्षों के कार्यकाल में सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण की नीतियों के साथ 140 करोड़ देशवासियो को 2047 तक विकसित भारत बनाने हेतु प्रेरित किया है। कुछ प्रमुख वैश्विक एजेंसियों के अनुमान अनुसार अगले 5 से 6 वर्षों में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा।

भारतीय राजनीति पर मोदी सरकार का प्रभाव बहुआयामी एवं महत्वपूर्ण है। मोदी जी के सरकार  ने जनहितैषी नीति निर्माण और उनके सफल कार्यान्वयन का एक नया युग शुरू किया है। हालाँकि, सरकार के शुरुवाती दौर में पूर्ववर्ती सरकारों के समय से चली आ रही आर्थिक एवं सामजिक उत्थान कई नीतियों को समयानुकल बनाने के लिए एवं धारा के विपरत जाकर देश की 140 करोड़ जनता के कल्याण को केंद्रबिंदु बनाने हेतु सरकार को आलोचनाओं और चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है, जो भारत जैसे विविध और तेजी से बदलते देश पर शासन करने की जटिलता को दर्शाता है। हम ने यह भी देखा है की समग्र विकास, कल्याण और आर्थिक सुधार पर सरकार के जोर ने राजनीतिक चर्चा और चुनाव परिणामों को आकार दिया है। एक ओर सरकार की नीतियों ने स्वास्थ्य देखभाल, वित्तीय समावेशन और डिजिटल पहुंच में सुधार करने में उल्लेखनीय सफलता दिखाई है वही सामाजिक-आर्थिक नीतियों ने भारत की विकास यात्रा में योगदान दिया है ।

पिछले 10 वर्षों लगभग 4 करोड़ पीएम आवास घर, 10 करोड़ से अधिक उज्ज्वला एलपीजी कनेक्शन, पीएम गरीब कल्याण अन्य योजना के तहत पिछले तीन वर्षों में लगभग 81 करोड़ लोगों को 5 किलो मुफ्त राशन प्रतिमाह दिया। हर घर जल के तहत लगभग 13 करोड़ नल से जल कनेक्शन, सौभाग्य के माध्यम से अंतिम गांव तक बिजली और आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत लगभग 60 करोड़ लोगों को 5 लाख का व्यापक स्वास्थ्य बीमा मिल रहा है। मुद्रा, स्वनिधि, पीएम विश्वकर्मा और स्टैंड अप इंडिया जैसी योजनाओं के साथ मिलकर इन योजनाओं ने मध्यम वर्ग को अपने अस्तित्व से अवगत कराया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार गरीबों के लिए पूरी तरह समर्पित हैं तथा उसी उद्देश्य से गरीब कल्याण के लिए नीतियां और योजनाएं बनाई जाती हैं और उन्हें पूरी ईमानदारी के साथ लागू किया जाता है। योजनाओं के क्रियान्वयन पर प्रधानमंत्री मोदी की स्पष्ट नजर होती है। वे समय समय पर विभिन्न कार्यक्रमों में तथा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लाभार्थियों से सीधे संवाद कर फीडबैक लेते रहते हैं। उनकी सजगता की वजह से जहां योजनाओं का पूरा लाभ गरीबों को मिल रहा है, वहीं गरीबों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है।

हाल ही में नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), ऑक्सफोर्ड नीति और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) के इनपुट के आधार पर एक शोधपत्र जारी किया है। नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद द्वारा तैयार इस शोधपत्र में 2013-2014 से 2022-23 के बीच गरीबों की संख्या में तेजी से आई कमी के आंकड़े दिए गए हैं। शोधपत्र के अनुसार पिछले नौ वर्षो  में देश के 24.82 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। वर्ष 2013-2014 में भारत की 29.17 प्रतिशत से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे थी, जबकि वर्तमान समय में ये आंकड़ा घटकर 11.28 प्रतिशत रह गया है।

प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी नीति आयोग की इस रिपोर्ट की प्रसंशा कर कहा कि यह रिपोर्ट काफी उत्साहजनक है। यह समावेशी विकास को बल देने और अर्थव्यवस्था में परिवर्तनकारी बदलाव लाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है और उनकी सरकार समृद्ध भविष्‍य के लिए समग्र विकास की दिशा में काम करना जारी रखेगी।

वास्तव में यदि हम आंकड़ों की बात करे तो 9 वर्षो में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आए यानी प्रत्येक वर्ष 2.75 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। शोधपत्र के अनुसार गरीबी में सबसे ज्यादा कमी उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में आई है। उत्तर प्रदेश में पिछले 9  वर्षो में 5.94 करोड़ लोगों के बहुआयामी गरीबी से बाहर निकलने के साथ गरीबों की संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है, इसके बाद बिहार में 3.77 करोड़, मध्यप्रदेश में 2.30 करोड़ और राजस्थान में 1.87 करोड़ गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं।

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil) ने भी भारत की नीतियों सराहा है। क्रिसिल ने अपनी ‘इंडिया आउटलुक’ रिपोर्ट में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को घरेलू संरचनात्मक सुधारों और चक्रीय स्थितियों से समर्थन मिलेगा और यह वर्ष 2031 तक विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए अपनी वृद्धि संभावनाओं को बरकरार रखने के साथ उसमें सुधार भी कर सकती है। साथ ही क्रिसिल ने अगले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी (GDP) वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है और भारत की अर्थव्यवस्था भी दोगुनी होकर 7 लाख करोड़ डॉलर हो जाएगी यह भी कहा है। क्रिसिल रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया है की 2030-31 तक भारत में प्रति व्यक्ति आय भी अपर मिडिल इनकम ग्रुप तक पहुंच जाएगी जिससे हमारा भारत अपर मिडिल इनकम वाला देश बन जाएगा।

हमारा भारत एक कल्याणकारी देश है। सरकार की प्राथमिकता सामान्य नागरिकों के जीवन को आसान बनाना और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना यह सरकार का प्रमुख उद्देश्य होता है। इसी उद्देश्य के साथ मोदी जी सरकार ने एक तरफ नई योजनाएं बनाई, वहीं दूसरी तरफ सरकार ने सुनिश्चित किया कि योजना का लाभ हर पात्र लाभार्थी तक पहुंचे। विगत दस वर्षो में सरकार ने सिर्फ  वर्तमान पर ही नहीं बल्कि देश के भविष्य पर भी निवेश किया। है। मोदी सरकार के प्रतीक प्रत्येक बजट में चार मुख्य कारकों पर ही केंद्रित रखा जिसमे  पूंजीगत व्यय के रूप में रिकॉर्ड लाभकारी व्यय, कल्याणकारी योजनाओं पर अभूतपूर्व निवेश, फिजूलखर्ची पर नियंत्रण और वित्तीय अनुशासन का समावेश है। प्रधानमंत्री जी हमेशा कहते है की सरकार अपने वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने में “एक पैसा बचाना, एक पैसा कमाना है” के मंत्र को पर कार्य करती है, उदाहरण के तौर पर अनेक परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करने का का लक्ष्य रखा गया। क्योकि विलम्ब के कारण परियोजना की लागत बढ़ती है।

प्रधानमंत्री जी ने व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और प्रौद्योगिकी के उपयोग के जरिए देश के पैसे बचाने के प्राथमिकता दी है इसी वजह से सरकार ने 10 करोड़ फर्जी लाभार्थियों से छुटकारा  पाया है जो केवल कागजों पर उपस्थित थे, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिए धन का दुरूपयोग रोका गया, जिसकी वजह से 3.25 लाख करोड़ रुपये की राशि को गलत हाथों में जाने बची । प्रधानमंत्री जी हमेशा इस बात पर बल देते है की हम वर्तमान पीढ़ी के साथ ही आने वाली अनेकों पीढ़ियों के प्रति भी जवाबदेह हैं। इसलिए नीतियों और निर्णयों में वित्तीय प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।

हाल ही में एक सार्वजनकि कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि सात दशक पहले से हमारे यहां गरीबी हटाओ के नारे दिन–रात दिए जाते रहे हैं। लेकिन वे किसी तरह का प्रभाव डालने में विफल रहे और वातानुकूलित कमरों से सुझाव देने वाले लोग करोड़पति बन गए, जबकि गरीब, गरीब ही बने रहे। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के बाद चौतरफा काम शुरू हुआ जिसके परिणामस्वरूप पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए। उन्होंने इसका श्रेय  अपनी सरकार की नीतियों को दिया। श्री मोदी ने कहा, “मैं गरीबी से निकलकर यहां पहुंचा हूं इसलिए मुझे पता है कि गरीबी से लड़ाई कैसे लड़ी जाती है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए हम देश की गरीबी कम करेंगे, अपने देश को विकसित बनाएंगे।

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(लेखक कॉर्पोरेट लॉयर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)