पिछले दिनों म्यूनिख में प्रवासी भारतीयों के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, “आज 21वीं सदी का भारत, चौथी औद्योगिक क्रांति में, इंडस्ट्री 4.0 में, पीछे रहने वालों में नहीं बल्कि इस औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करने वालों में से एक है। सूचना प्रौद्योगिकी में, डिजिटल टेक्नॉलोजी में भारत अपना परचम लहरा रहा है।”
प्रधानमंत्री ने अपने इस कथन के माध्यम से विश्व को यही संदेश दिया है कि आज का नया भारत इतना सक्षम और समर्थ है कि विश्व में घटित हो रही चौथी औद्योगिक क्रांति की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार है।
विश्व आर्थिक मंच की 2016 में हुई बैठक की थीम ‘उद्योग 4.0’ को रखा गया था। इसके बाद से विश्व में चौथी औद्योगिक क्रांति का विचार फैलने लगा। फिर वर्ष 2018 में विश्व आर्थिक मंच द्वारा चौथी औद्योगिक क्रांति के लिए नई दिल्ली में एक केंद्र की शुरुआत की गई। उसवक्त विश्व आर्थिक मंच के पटल से ही मोदी ने पिछली औद्योगिक क्रांतियों का जिक्र करते हुए कहा था कि, “जब पहली औद्योगिक क्रांति हुई, तो भारत गुलाम था। जब दूसरी औद्योगिक क्रांति हुई, तो भी भारत गुलाम था। जब तीसरी औद्योगिक क्रांति हुई, तो भारत स्वतंत्रता के बाद मिली चुनौतियों से ही निपटने में संघर्ष कर रहा था। लेकिन अब 21वीं सदी का भारत बदल चुका है। मैं मानता हूं कि चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत का योगदान, पूरे विश्व को चौंकाने वाला होगा।“
तब सैन फ्रांसिस्को, टोकियो और बीजिंग के बाद दुनिया का यह चौथा औद्योगिक क्रांति केंद्र था, जिसकी शुरुआत भारत में हुई थी। हालांकि आज इन केन्द्रों की संख्या बढ़कर पंद्रह हो गई है। यह दर्शाता है कि दुनिया किस तेजी से चौथी औद्योगिक क्रांति की दिशा में बढ़ रही है।
पिछली तीनों औद्योगिक क्रांतियों के वक्त भारत के हालात अलग थे। वो इनमें कोई योगदान देने और किसी प्रकार की भूमिका का निर्वाह करने की स्थिति में नहीं था। लेकिन आज स्थिति भिन्न है। आज का भारत परमाणु शक्ति संपन्न होकर, न केवल राष्ट्रीय स्तर पर हर प्रकार से सशक्त और समर्थ हैं, अपितु विश्व पटल पर भी एक प्रतिष्ठित स्थान रखता है। साथ ही, विश्व की सर्वाधिक युवा आबादी की एक अतिरिक्त क्षमता भी हमारे पास है।
ऐसे में, यदि प्रधानमंत्री मोदी यह कह रहे हैं कि 21वी सदी की औद्योगिक क्रांति में भारत की भूमिका अग्रणी रहेगी तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। चौथी औद्यगिक क्रांति सूचना प्रौद्योगिकी के आधार पर ही आकार लेगी और भारत इस क्षेत्र में अग्रणी है। यह क्रांति मानव जीवन की विकासयात्रा को ‘स्मार्ट लाइफ’ की ओर ले जाने का माध्यम बनेगी। निस्संदेह चौथी औद्योगिक क्रांति का मुख्य उपकरण इंटरनेट होगा।
इस मामले में भारत की स्थिति देखें तो दुनिया में सर्वाधिक मोबाइल डाटा की खपत भारत में है तथा सबसे सस्ता डाटा भी यहीं उपलब्ध है। इसके साथ ही, हर वर्ष 30 करोड़ उत्पादन के साथ भारत मोबाइल का भी सबसे बड़ा उत्पादक बन चुका है। देश की पंचायतों को तेजी से ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ने का काम भी जारी है। अबतक 1,80,992 ग्राम पंचायत ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जुड़ चुकी हैं।
इतना ही नहीं, बीते वर्षों में स्टार्टअप के लिहाज से भी देश का माहौल बदला है। स्टार्टअप इंडिया योजना की शुरुआत के बाद मोदी सरकार के प्रयासों और प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप देश में तेजी से स्टार्टअप स्थापित हो रहे हैं। अबतक 72 हजार से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत हो चुके हैं। वहीं इनमें से 100 से अधिक स्टार्टअप 1 बिलियन डॉलर से अधिक का मूल्यांकन हासिल कर यूनिकॉर्न भी बन चुके हैं। पिछले चार वर्षों में (वित्त वर्ष 2017-18 के बाद से) यह संख्या तेजी से बढ़ रही है और हर साल अतिरिक्त यूनिकॉर्न की संख्या में सालाना आधार पर 66 प्रशित की वृद्धि हुई है।
अबतक जिन स्टार्टअप्स को मान्यता दी गई है, उनमें आईटी सेवाओं से 13 प्रतिशत, स्वास्थ्य सेवा एवं जीवन विज्ञान से 9 प्रतिशत, शिक्षा से 7 प्रतिशत, पेशेवर एवं वाणिज्यिक सेवाओं से 5 प्रतिशत, कृषि से 5 प्रतिशत और खाद्य एवं पेय पदार्थों से 5 प्रतिशत के साथ 56 विविध क्षेत्रों में विभिन्न समस्याओं का समाधान करने वाले अलग-अलग स्टार्टअप को मान्यता दी गई है।
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि देश में नवोन्मेष की भावना बढ़ती जा रही है। रक्षा और अन्तरिक्ष के क्षेत्र में भी भारत सतत आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। कोविड काल में देश तेजी से स्वदेशी टीके का निर्माण करने में भी कामयाब रहा है। यह सब बातें यही दर्शाती हैं कि भारत अब अपनी पूरी क्षमता के साथ चौथी औद्योगिक क्रांति के कारवां को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)