ब्रजबिहारी। राजनीतिक चश्मे को उतार कर देखा जाए तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में पिछले सात साल के अपने कार्यकाल में देश के चौतरफा विकास की नींव को मजबूत किया है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की दृष्टि से संचालित उनकी सरकार को इसी वजह से बहुसंख्य आबादी का समर्थन प्राप्त है। खासकर देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों की तो पूरी दुनिया में सराहना हो रही है। राष्ट्र्रीय सुरक्षा को सशक्त बनाने में पीएम के योगदान के बारे में विस्तार से जानना है तो आपको ‘मोदी 2.0Ó के पन्नों को पलटना होगा।
डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध संस्थान के निदेशक अनिर्बान गांगुली और रंजीत पचनंदा, बिबेक देबराय एवं उत्तम कुमार सिन्हा के संपादकत्व में आई इस पुस्तक में 17 अध्याय हैं, जिनके तहत असम में उग्रवाद, पुलिस सुधार, अंडरवल्र्ड और माफिया के खिलाफ सरकार की जंग, राष्ट्रीय सुरक्षा प्रौद्योगिकी की भूमिका, आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग, अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के कारण भारत की सुरक्षा पर खतरा, भारत-चीन संघर्ष और मोदी सरकार की कश्मीर एवं पाकिस्तान नीति जैसे विषयों पर सारगर्भित आलेखों का संकलन किया गया है।
यह कहने की जरूरत नहीं है कि किसी भी देश की प्रगति में सुरक्षा और संरक्षा का कितना महत्व है। आंतरिक और बाह्य रूप से कमजोर देश कभी आगे बढ़कर दुनिया में अपना वास्तविक स्थान प्राप्त नहीं कर सकता है। चीन और पाकिस्तान जैसे कुटिल पड़ोसियों के रहते हुए भारत अपनी सुरक्षा को लेकर कभी लापरवाह नहीं रहा है, लेकिन मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से इस पर विशेष बल दिया गया है। खासकर, आतंक को विदेश नीति का हिस्सा बनाने वाले पाकिस्तान को सही पाठ पढ़ाने के लिए किए गए सर्जिकल स्ट्राइक ने भारत की छवि को बदलकर रख दिया है। ‘साफ्ट स्टेट’ के रूप में पहचाने जाने वाला भारत अब आतंक के खिलाफ ‘जीरो टालरेंसÓ की नीति पर चल रहा है। यह सब मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के कारण ही संभव हुआ है।
गौर से देखा जाए तो स्वतंत्रता के बाद नरेन्द्र मोदी तीसरे ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की ऊर्जा सद्य स्वतंत्र देश को संभालने में ही खर्च हो गई, जबकि देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपनी ही पार्टी के अंदर मौजूद विरोधियों और विपक्ष से लडऩे में ही व्यस्त रहीं। नरेंद्र मोदी एक ऐसे समय में प्रधानमंत्री बने, जब देश एक बुरे दौर से गुजर रहा था। सत्ता में आने के बाद से उन्होंने न सिर्फ राजनीतिक वर्ग के प्रति विश्वसनीयता के संकट को दूर किया, बल्कि एक नई राजनीतिक संस्कृति को भी जन्म दिया।
सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करना प्रधानमंत्री मोदी की सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इस देश में पहले भी योजनाएं बनती थीं, लेकिन वह लक्षित व्यक्ति या वर्ग तक पहुंचने से पहले ही बंदरबांट का शिकार हो जाती थीं। ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार का बोलबाला था। प्रधानमंत्री ने डाइरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए इस भ्रष्टाचार को समूल नष्ट कर दिया। मोदी के विरोधी इसका अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि उच्च्वला और पीएम आवास जैसी योजनाओं के कारण भाजपा सरकार के समर्थन में कितनी च्यादा वृद्धि हुई है। इसी नासमझी के कारण चुनाव दर चुनाव उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ रहा है।
कोविड-19 महामारी के दौर में जब दुनिया भर के देशों के राष्ट्राध्यक्षों की लोकप्रियता रसातल में जा रही थी, तब मोदी सरकार के प्रति जनता का विश्वास आसमान की ओर जा रहा था। अमेरिका, जापान, कनाडा, इटली और आस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों में जब कोरोना के कारण अफरातफरी का माहौल था, तब भारत में स्थितियां नियंत्रण में थीं। भारत की जनसंख्या को देखते हुए कोरोना के कारण देश में जो समस्याएं पैदा हुईं, उनका मोदी सरकार ने बखूबी सामना किया। सिर्फ अपना ही ख्याल नहीं रखा, बल्कि पूरी दुनिया को दवा, पीपीई किट से लेकर वैक्सीन तक मुहैया कराई।