Home » ICC के 95 वें वार्षिक सत्र के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री का संबोधन
- नॉमोष्कार !!! आशा कोरि, आपनारा शोबाई भालो आछेन !!! 95 वर्ष से निरंतर देश की सेवा करना, किसी भी संस्था या संगठन के लिए अपने आप में बहुत बड़ी बात होती है। ICC ने पूर्वी भारत और North East के Development में जो contribution दिया है,
- विशेषकर वहां की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स को, वो भी historical है। ICC के लिए अपना योगदान देने वाले आप सभी लोगों का, प्रत्येक महानुभाव का मैं अभिनंदन करता हूं।
- साथियों, ICC ने 1925 में अपने गठन के बाद से आज़ादी की लड़ाई को देखा है, भीषण अकाल और अन्न संकटों को देखा है और भारत की Growth Trajectory का भी आप हिस्सा रहे हैं।
- अब इस बार की ये AGM एक ऐसे समय में हो रही है, जब हमारा देश Multiple Challenges को Challenge कर रहा है। कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लड़ रही है, भारत भी लड़ रहा है लेकिन अन्य तरह के संकट भी निरंतर खड़े हो रहे हैं।
- कहीं Flood की चुनौती, कहीं लॉकस्ट, ‘पोंगोपा’ का कहर, कहीं ओलावृष्टि, कहीं Oil-Field में आग, कहीं छोटे-छोटे Earthquake, ये भी कम ही होता है कि पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र में एक के बाद एक, दो Cyclones चुनौती बनकर आएं।
- काश हम Edible Oil में, फर्टिलाइजर्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होते! काश हम Electronic Manufacturing में आत्मनिर्भर होते! काश हम Solar Panels, Batteries और Chip Manufacturing में आत्मनिर्भर होते। काश हम Aviation Sector में आत्मनिर्भर होते ऐसे कितने सारे काश, अनगिनत काश, हमेशा से हर भारतीय को झकझोरते रहे हैं।
- साथियों, ये एक बहुत बड़ी वजह रही है कि बीते 5-6 वर्षों में, देश की नीति और रीति में भारत की आत्मनिर्भरता का लक्ष्य सर्वोपरि रहा है। अब कोरोना क्राइसिस ने हमें इसकी गति और तेज करने का सबक दिया है। इसी सबक से निकला है- आत्मनिर्भर भारत अभियान।
- साथियों, हम देखते हैं, परिवार में भी संतान-बेटा हो या बेटी, 18-20 साल का हो जाता है, तो हम कहते हैं कि अपने पैरों पर खड़े रहना सीखो। एक तरह से आत्मनिर्भर भारत का पहला पाठ, परिवार से ही शुरू होता है। भारत को भी अपने पैरों पर ही खड़े होना होगा।
- साथियों, आत्म निर्भर भारत अभियान का सीधा सा मतलब है कि भारत, दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता कम से कम करे। हर वो चीज, जिसे Import करने के लिए देश मजबूर हैं, वो भारत में ही कैसे बने, भविष्य में उन्हीं Products का भारत Exporter कैसे बने,
- मैं आपको कुछ उदाहरण देकर समझाता हूं। जैसे LED बल्ब। 5-6 वर्ष पहले एक LED बल्ब साढ़े तीन सौ रुपए से भी ज्यादा में मिलता था। आज वहीं बल्ब 50 रुपए तक में मिल जाता है। आप सोचिए, कीमत कम होने से, देशभर में करोड़ों की संख्या में LED बल्ब घर-घर पहुंचे हैं,स्ट्रीट लाइट्स में लग रहे हैं। ये Quantity इतनी बड़ी है कि इससे उत्पादन की लागत कम हुई है और Profit भी बढ़ा है। इससे लाभ किसको मिला है?
- People को, आम देशवासी को जिसका बिजली का बिल कम हुआ है। आज प्रतिवर्ष देशवासियों के करीब-करीब 19 हजार करोड़ रुपए बिजली के बिल में, LED की वजह से बच रहे हैं। ये बचत गरीब को हुई है, ये बचत देश के मध्यम वर्ग को हुई है।
- इसका लाभ Planet को भी हुआ है। सरकारी एजेंसियों ने जितने LED बल्ब कम कीमत पर बेचे हैं, अकेले उससे ही हर साल करीब-करीब 4 करोड़ टन कार्बन डाइ-ऑक्साइड का emission कम हुआ है।
- यानि Profit दोनों को है, दोनों के लिए Win-Win Situation है। अगर आप सरकार की अन्य योजनाओं और फैसलों को भी देखें, तो बीते 5-6 वर्षों में People, Planet and Profit का ये Concept जमीन पर और मजबूत ही हुआ है।
- अब जैसे अभी आपने भी देखा है कि कैसे सरकार का बहुत ज्यादा जोर Inland Waterways पर है। हल्दिया से बनारस तक तो वॉटरवे चालू हो चुका है, अब नॉर्थ ईस्ट में भी वॉटरवेज बढ़ाए जा रहे हैं।
- इन वॉटरवेज से People का फायदा है, क्योंकि इससे Logisticsका खर्च कम होता है।
- इन वॉटरवेज से Planet का भी फायदा है, क्योंकि इसमें ईंधन कम जलता है।और हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि ये पेट्रोल-डीजल के Import को कम करेगा, रोड पर ट्रैफिक कम करेगा,
- सामान सस्ते होंगे, सामान Shortest Route से जल्दी पहुंचेगा, खरीदने वाले और बेचने वाले, दोनों को ही इसमें Profit ही Profit है।
- साथियों, भारत में एक और अभियान अभी चल रहा है- देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का। इसमें People, Planet और Profit तीनों ही विषय Address होते हैं।
- विशेषकर पश्चिम बंगाल के लिए तो ये बहुत ही फायदेमंद है। इससे आपके यहां Jute का कारोबार बढ़ने की संभावना बढ़ती है। क्या आपने इसका फायदा उठाया है? क्या अब पैकेजिंग मैटेरियल जूट से बनना शुरू हुआ है। एक तरह से आपकी तो पांचों उंगलियां घी में हैं।
- आपको तो इस मौके का और फायदा उठाना चाहिए। अगर ये मौका छोड़ देंगे, तो कौन मदद करेगा? सोचिए, जब पश्चिम बंगाल में बना Jute का बैग, हर किसी के हाथ में होगा, तो बंगाल के लोगों को कितना बड़ा Profit होगा।
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