22 मार्च 2020, रविवार को विश्व इतिहास में एक ऐसी तारीख के तौर पर याद किया जाएगा, जिस दिन दुनिया ने भारतीयों की सामूहिक शक्ति का नाद सुना। पूरा हिन्दुस्तान ताली, थाली और शंखनाद के लिए एक साथ शाम 5 बजे 5 मिनट के लिए इकट्ठा हो गया। सबसे अच्छी बात यह रही कि कुछ मानसिक विकृति के शिकार लोगों को छोड़कर मोदी विरोध करने वाले भी ताली, थाली और शंख बजाते अपने वीडियो सोशल मीडिया पर जारी कर रहे थे। यह देश के एक साथ खड़े हो जाने का 5 मिनट था जो 5 बजे से पहले शुरू हो गया था और 5 बजकर 5 मिनट से भी बहुत देर तक चलता रहा। यह वो स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा थी जिसमें साथ खड़े होकर भी हर कोई आगे रहने की कोशिश कर रहा था। यह सामान्य बात नहीं है। दरअसल, देश को इस तरह से एकजुट होने की जरूरत बहुत लम्बे समय से थी। 2010 में जब देश के शीर्ष 10 उद्योगपतियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखकर सरकारी नीतियों में भरोसा न होने की बात लिखी थी, तभी से देश को एकजुट करने वाले एक मजबूत नेता की जरूरत थी। प्रधानमंत्री बनने से पहले ही नरेंद्र मोदी ने यह करके दिखा दिया था और उसी का नतीजा है कि 2014 और फिर 2019 में जनता ने प्रचण्ड बहुमत से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया है। इस समय देश चीनी वायरस कोरोना की अकल्पनीय चुनौती से जूझ रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सतर्कतापूर्वक एक-एक कदम आगे बढ़ाते हुए जनता कर्फ्यू के बाद अब 21 दिन की देशबंदी का एलान कर दिया है। ज्यादातर लोग इसे सही मानते हैं क्योंकि दूसरा कोई विकल्प है ही नहीं, लेकिन सबके मन में एक जायज चिंता थी कि आखिर क्या होगा हिन्दुस्तान की उस बड़ी आबादी का, जिसके लिए 21 दिन में भुखमरी के हालात पैदा हो सकते हैं। ऐसी आपदा, महामारी का सबसे बुरा प्रभाव सबसे कमजोर लोगों पर ही पड़ता है। इसीलिए सरकार से उम्मीद की जा रही थी कि ऐसे लोगों को राहत देने वाला पक्का आर्थिक पैकेज जल्द से जल्द लेकर आए। आखिरकार नरेंद्र मोदी की सरकार उस भरोसे पर खरी उतरी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का एलान किया। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में खास ध्यान किसान, प्रवासी मजदूर, शहरी और ग्रामीण गरीब, महिला, बुजुर्ग और दिव्यांगों का रखा गया है। किसानों की खेत में खड़ी फसल पकने का यह समय है और करीब 15 दिन में फसल काटने का वक्त आ जाएगा। किसानों को अभी तुरन्त पैसों की जरूरत है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 8 करोड़ 90 लाख किसानों को राहत देने वाला एलान किया है। केंद्र सरकार किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 2000 रुपये की पहली किस्त अप्रैल महीने में देगी। इसमें एक और जरूरी काम जो राज्य सरकारों को करना चाहिए कि खेत में खड़ी फसल कटने का पक्का इंतजाम पहले से करें, जिससे किसानों को फसल काटने और उसे बेचने में किसी तरह की दिक्कत न हो। डॉक्टर पृथ्वी पर भगवान का रूप होता है, इस समय हर किसी को समझ में आ रहा है। डॉक्टरों के साथ ही नर्स, आशाकर्मी और सभी स्वास्थ्य कर्मियों के स्वास्थ्य की चिंता सबसे जरूरी है। इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य से जुड़े कर्मियों के लिए 50 लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा का प्रावधान किया है। इस समय कर्मचारियों की तनख्वाह समय पर नहीं मिल पाने का खतरा भी बढ़ जाता है और साथ ही कंपनियों के लिए बंदी के समय कर्मचारियों की तनख्वाह और उनके EPF का 12 प्रतिशत हिस्सा जमा करना चुनौती होती है। इसीलिए केंद्र सरकार ने आज कर्मचारियों और छोटी कंपनियों को राहत दी है। जिन कर्मचारियों का एम्प्लॉयी प्रॉविडेंट फंड कटता है, ऐसे कर्मचारी EPF से नॉन रिफंडेबल 75 प्रतिशत तक रकम निकाल सकेंगे। EPF रकम में से 3 महीने की तनख्वाह के बराबर या फिर EPF की 75 प्रतिशत तक की रकम जो भी कम हो, निकाल सकेंगे। इससे 4 करोड़ 80 लाख कर्मचारियों को राहत मिलेगी। साथ ही केंद्र सरकार छोटे उद्योगों में काम करने वाले कर्मचारियों की EPF की पूरी रकम अगले 3 महीने तक भरेगी। हालांकि यह राहत अधिकतम 100 कर्मचारियों वाले और उनमें से 90 कर्मचारियों की तनख्वाह 15 हजार रुपये महीने से कम वाले उद्योगों के लिए ही है।
देशबंदी के समय सारे काम ठप पड़ जाते हैं और काफी बुरा प्रभाव कंस्ट्रक्शन वर्कर्स पर पड़ता है। देश में कुल 3 करोड़ 50 लाख पंजीकृत बिल्डिंग एवं कंस्ट्रक्शन वर्कर्स हैं। राज्यों को सेस फंड में इकट्ठा 31 हजार करोड़ रुपये की रकम इन निर्माण क्षेत्र के मजदूरों की भलाई के लिए खर्च करने का निर्देश दिया गया है। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और दूसरी राज्य सरकारें सीधे ऐसे मजदूरों के खाते में रकम डाल रही है। केंद्र सरकार ने राज्यों डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड का उपयोग करने की स्वीकृति दी है। इस फंड से स्वास्थ्य सुविधाएं और टेस्टिंग की सुविधा बेहतर करने में किया जाएगा। नोटबंदी, जनधन और डीबीटी की खूब जमकर आलोचना हुई थी और जब नरेंद्र मोदी सरकार ने इन सुधारों को लागू किया था तो आलोचक यही कहने लगे थे कि डिजिटल बैंकिंग के अलावा क्या मिला। आज इस सवाल का जवाब पूरी मजबूती से मिल रहा है। सरकार आज नोटबंदी, जनधन और डीबीटी की ही वजह से सीधे जरूरतमंदों के खाते में रकम डाल पा रही है। 20 करोड़ महिलाओं के जनधन खाते में अगले 3 महीने तक 500 रुपये प्रतिमाह सरकार डालेगी। इसी तरह देश में करीब 3 करोड़ बुजुर्ग, दिव्यांग पेंशनधारक हैं, इन्हें अगले 3 महीने में 1000 रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे। उज्ज्वला से देश के गरीब और महिलाओं को कितना लाभ हुआ है, इस पर अब ढेरों शोध पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन इसकी एक आलोचना यह भी हो रही थी कि लोगों के पास रसोई गैस सिलिंडर दोबारा भराने के पैसे नहीं हैं। अब उज्ज्वला के तहत रसोई गैस सिलिंडर और चूल्हे मुफ्त में पाने वाले सभी 8 करोड़ 30 लाख लोगों को अगले 3 महीने तक मुफ्त में सिलिंडर दिया जाएगा। समाज के सबसे कमजोर के साथ आपदा की घड़ी में साथ खड़े रहने में सरकार की मदद वही फैसले कर रहे हैं, जिसे सरकार ने शांतिकाल में लिया था। उसमें नोटबंदी, जनधन खाते, डीबीटी, उज्ज्वला जैसी योजनाएं हैं। केंद्र सरकार ने महिला स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने का भी खूब प्रयास किया। अब ऐसी महिलाएं जिन्होंने स्वयं सहायता समूह बनाया है, उनके पास ऐसे समय में रकम रहे, इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत दिया जाने वाला कर्ज दोगुना कर दिया गया है। अब बिना गिरवी रखे 20 लाख तक का कर्ज उन्हें मिल सकेगा। ऐसे स्वयं सहायता समूहों से करीब 7 करोड़ परिवार जुड़े हुए हैं। सरकार को इस बात का ध्यान बखूबी है कि सबसे ज्यादा मार ऐसे समय में सबसे कमजोर लोगों पर पडती है। इसीलिए सरकार ने ऐसे लोगों को अलग-अलग तरीके से राहत देने के साथ उनके हाथ में कुछ रकम और सिलिंडर तक का पक्का इंतजाम अगले तीन महीने के लिए कर दिया है, लेकिन सबसे जरूरी है कि हर किसी के पास दोनों समय के भोजन का पक्का इंतजाम हो और इसके लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये 5 किलो आटा, 5 किलो चावल और एक किलो दाल भी दी जाएगी। वित्त मंत्री सीतारमण और वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने आज जिस 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का एलान किया है, अच्छी बात यही है कि उसके लिए बजट का प्रावधान सरकार ने पहले से कर लिया है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लोगों का जो भरोसा है, उसका प्रयोग उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में रकम देने के लिए करना चाहिए। केंद्र सरकार को एक बेहद जरूरी काम तुरन्त एलान करना चाहिए कि सामान्य कर्ज से लेकर उद्योगों तक का कर्ज पर अगले कम से कम तीन महीने के लिए ईएमआई हॉलीडे दिया जाएगा। सामान्य लोगों और छोटे-मंझोले उद्योगों को राहत देने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है, जिसका देश इंतजार कर रहा है। देश के लोगों को पता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनौतियों को अवसर में बदलना अच्छे से जानते हैं और देश के सामने आई इस सबसे बड़ी चुनौती को भी वो सबसे बड़े अवसर में बदल देंगे, इसलिए देश की जनता प्रधानमंत्री के हर फैसले के साथ अडिग खड़ी है और केंद्र सरकार का ताजा आर्थिक पैकेज देश की जनता, खासकर कमजोर वर्ग को ज्यादा भरोसा देगा।
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार एवं डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन में सीनियर फेलो है। लेख में व्यक्त उनके विचार निजी हैं।)