Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

महिला विकास से महिलाओं के नेतृत्व में विकास तक

भारत की विकास यात्रा, देश की महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। इस महत्वपूर्ण संबंध की पहचान करते हुए, केंद्र सरकार ने पिछले नौ वर्षों में नारी शक्ति को अपने एजेंडे में सर्वोपरि रखा है। सरकार मानती है कि महिला सशक्तिकरण एक बार में हल किया जाने वाला समाधान नहीं है; इसके लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो जीवन-भर उनकी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो। इस संबंध में, महिलाओं का विभिन्न चरणों में समर्थन करने के लिए कई कल्याण कार्यक्रम तैयार किए गए हैं, ताकि उन्हें सामाजिक-आर्थिक बाधाओं को दूर करने और संपूर्ण सशक्तिकरण प्राप्त करने में सक्षम बनाया जा सके।

  • महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था के साथ नारी शक्ति अधिनियम पारित।
  • राष्ट्रीय लिंगानुपात पहली बार बेहतर होकर 1020 हो गया।
  • सवैतनिक मातृत्व अवकाश की अवधि को बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया।
  • पीएम सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत 73 करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं की जांच की गई।
  • 2 करोड़ सुकन्या समृद्धि योजना खाते।
  • एलपीजी गैस सिलेंडर उपलब्ध कराकर लगभग 10 करोड़ रसोईघरों को धुआं-मुक्त किया गया।
  • पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत 72 प्रतिशत स्वामित्व महिलाओं के नाम।
  • एमएमआर, 2014-16 के 130/लाख जीवित जन्मों से सुधरकर 2018-20 में 97/लाख जीवित जन्म हो गया।
  • मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु तीन तलाक की प्रथा की समाप्ति।
  • पीएमएमवाई के तहत महिला उद्यमियों को 69 प्रतिशत ऋण स्वीकृत किए गए हैं और स्टैंड-अप इंडिया के तहत 84 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं।
  • 12 शस्त्र बलों और सेवाओं में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया गया।
  • तीनों सेनाओं में अग्निवीर के रूप में महिलाओं का प्रवेश शुरू हुआ।
  • भारत में 43 प्रतिशत एसटीईएम स्नातक महिलाएं हैं जो दुनिया में सबसे ज्यादा हैं।

नारी शक्ति अधिनियम- अमृत-पीढ़ी का क्षण

नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023 पारित किए जाने के माध्यम से इस यात्रा की उपलब्धि हासिल की गई । यह अधिनियम महिलाओं के लिए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में कुल सीटों में से एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान करता है।

एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण विशेषता यह रही कि अमृत काल के लिए भूमिका निर्धारित करते हुए नए संसद भवन में सबसे पहले महिला आरक्षण विधेयक पर विचार-मंथन हुआ।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ- महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया कदम

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) योजना उन प्रमुख पहलों में से एक है, जिसने लड़के-लड़कियों के बीच भेदभाव से निपटने और बालिकाओं के महत्‍व को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों को साथ जोड़ा और प्रेरित किया। प्रत्‍येक स्तर पर, इस योजना ने सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से बालिकाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कर्मठता से काम किया है। जन्म के समय लिंग चयन न करने की वकालत करते हुए और उनके शैक्षिक विकास में सहायता के लिए सकारात्मक कार्रवाई को प्रोत्साहित कर बीबीबीपी एक सकारात्मक बदलाव लायी है। पिछले कुछ वर्षों में, जन्म के समय लिंगानुपात में सराहनीय सुधार हुआ है, जो 918 (2014-15) से 19 अंक की वृद्धि के साथ 937 (2020-21) हो गया। इसके अतिरिक्त, माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों का नामांकन 2014-15 में 75.51 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 79.46 प्रतिशत हो गया, जो महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। इसके अलावा, देश में पहली बार कुल जनसंख्या का लिंगानुपात (प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाएं) 1020 (एनएफएचएस-5, 2019-21) तक पहुंच गया है।

मातृत्व का उत्सव मनाना

भारत को कुपोषण मुक्त बनाने की दिशा में सरकार ने 8 मार्च, 2018 को पोषण अभियान शुरू किया। कुपोषण की समस्‍या से समग्र रूप से निपटने की दिशा में यह मिशन विभिन्न हितधारकों का एक समन्वित मंच है। एक मजबूत आईसीटी सक्षम प्‍लेटफॉर्म-पोषण ट्रैकर की सहायता से वास्तविक समय में पूरक पोषण की निगरानी और सेवाओं का त्वरित पर्यवेक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित किया जाता है। 14 लाख से अधिक आंगनबाड़ियों की सहभागिता  और लगभग 10 करोड़ लाभार्थियों का कवरेज इस पहल के माध्यम से प्राप्त प्रभाव के स्‍तर को दर्शाता है।

सवैतनिक मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है। कामकाजी माताओं को बेहतर सहायता और सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 में संशोधन पारित किया गया। यह महत्वपूर्ण नीतिगत परिवर्तन नई माताओं को प्रसव से उबरने, अपने शिशुओं के साथ जुड़ने और उनका समग्र कल्याण सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त समय देने के महत्व को पहचानता है।

प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण

महिलाओं के लिए सुरक्षित आवास और वित्तीय निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी भागीदारी के महत्व को पहचानते हुए, सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) की शुरुआत की। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि इस योजना के तहत प्रदान किए गए 72 प्रतिशत  से अधिक घर या तो पूर्ण रूप से या फिर संयुक्त रूप से महिलाओं के स्वामित्व में हैं। महिलाओं को घरों का स्वामित्व प्रदान करके, पीएमएवाई-जी ने उनकी आकांक्षाओं को पूरा किया है और उन्हें घरेलू निर्णय लेने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने हेतु सशक्त बनाया है।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना

महिलाओं के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने के उद्देश्य से, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) की शुरुआत मई 2016 में की गई थी। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण और वंचित परिवारों को खाना पकाने का स्वच्छ ईंधन (एलपीजी) प्रदान करना है। पीएमयूवाई के तहत 10 करोड़ से अधिक एलपीजी कनेक्शनों के वितरण ने लाखों महिलाओं के स्वास्थ्य की  रक्षा की है और उन्हें खाना पकाने के ईंधन के रूप में जलावन वाली लकड़ी, गाय के सूखे गोबर आदि जैसे पारंपरिक बायोमास ईंधन के उपयोग के खतरों एवं इसके परिणामस्वरूप घरों के भीतर पैदा होने वाले वायु प्रदूषण से मुक्त किया है।

स्वच्छ भारत मिशन

महिला सशक्तिकरण का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू स्वच्छता की सुलभता है। स्वच्छता की अपर्याप्त सुविधाओं के कारण महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को महसूस करते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) की शुरुआत  की। इस मिशन का उद्देश्य देश के सभी घरों में शौचालय उपलब्ध कराना है ताकि बेहतर स्वच्छता और साफ-सफाई सुनिश्चित की जा सके और 2 अक्टूबर 2019 को, संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित एसडीजी-6 लक्ष्य से 11 साल पहले, ग्रामीण भारत खुले में शौच-मुक्त (ओडीएफ) बन गया। “शौचालय की सुलभता और ग्रामीण भारत में महिलाओं की सुरक्षा, सुविधा और आत्म-सम्मान (एक्सेस टू टॉयलेट्स एंड द सेफ्टी कन्वीन्यन्स एंड सेल्फ-रेस्पेक्ट ऑफ वीमेन इन रूरल इंडिया)” शीर्षक रिपोर्ट के अनुसार, शौचालयों के निर्माण के बाद, 93 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें अब शौच के दौरान जानवरों द्वारा नुकसान पहुंचाए जाने, स्वास्थ्य संबंधी संक्रमण से ग्रसित होने और रात के अंधेरे में शौचालय जाने का डर नहीं है। स्वच्छता संबंधी सुविधाओं की उपलब्धता और उनके नियमित उपयोग ने महिलाओं के कल्याण और उनकी गरिमा को सुनिश्चित करने में काफी योगदान दिया है, जोकि एक स्वच्छ एवं स्वस्थ राष्ट्र बनने की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

जल जीवन मिशन

स्वच्छ पेयजल की सुलभता समुदायों, विशेषकर महिलाओं के कल्याण की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। इस समझ के साथ, सरकार ने 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन (जेजेएम) की शुरुआत की। प्रत्येक ग्रामीण घर और सार्वजनिक संस्थान को नल का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ, इस मिशन के तहत 14.45 करोड़ घरों में नल के पानी का कनेक्शन प्रदान किया गया है। सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करके, इस मिशन का उद्देश्य लंबी दूरी से पानी लाने के क्रम में महिलाओं पर पड़ने वाले बोझ को कम करना है। इस परिवर्तनकारी पहल ने महिलाओं को सशक्त बनाया है और पानी, स्वच्छता एवं साफ-सफाई से जुड़ी आदतों के महत्व के प्रति ग्रामीण लोगों को जागरूक बनाने में योगदान दिया है।

वित्तीय सशक्तिकरण

महिलाओं का सशक्तिकरण उनके आर्थिक सशक्तिकरण पर निर्भर है। इसीलिए सरकार ने स्टैंड-अप इंडिया और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना जैसी पहलों के माध्यम से महिलाओं के बीच वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। स्टैंड-अप इंडिया योजना महिलाओं, अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) के बीच ग्रीनफील्ड उद्यमों की स्थापना के लिए सहायता प्रदान करने पर केंद्रित है।   इसी तरह, पीएमएमवाई का लक्ष्य गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि सूक्ष्म और लघु उद्यमों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। पीएमएमवाई के तहत महिला उद्यमियों को लगभग 69 प्रतिशत ऋण स्वीकृत किए गए हैं और स्टैंड-अप इंडिया के तहत 84 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र को केंद्रीय बजट 2023-24 के हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया गया था, जो विशेष रूप से महिला निवेशकों के लिए एक छोटी बचत योजना है। इन पहलों ने महिलाओं को अपना रास्ता तय करने और देश की आर्थिक प्रगति में योगदान देने में सक्षम बनाया है।

सुरक्षा एवं संरक्षा

मिशन शक्ति सरकार का एक और महत्वपूर्ण प्रयास है। इसका उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा, सशक्तिकरण और कार्यबल में भागीदारी को बढ़ाना है। इस मिशन का उद्देश्य कौशल विकास, क्षमता निर्माण, वित्तीय साक्षरता और सूक्ष्म ऋण तक पहुंच के माध्यम से महिलाओं पर लैंगिक पूर्वाग्रह, भेदभाव और देखभाल की जिम्मेदारी का समाधान करना है। वन-स्टॉप सेंटर (ओएससी) के माध्यम से एक ही जगह प्रदान की जाने वाली एकीकृत सेवाएं, जैसे पुलिस, चिकित्सा और कानूनी सहायता, परामर्श और मनो-सामाजिक सहायता, हिंसा से प्रभावित महिलाओं के लिए व्यापक सहायता सुनिश्चित करती हैं। एक टोल-फ्री महिला हेल्पलाइन (181) आपातकालीन और गैर-आपातकालीन सहायता भी प्रदान करती है। मिशन शक्ति ने महिलाओं को आगे बढ़ने और समाज में सक्रिय योगदान देने के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार किया है।

तीन तलाक की प्रथा की समाप्ति

मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 भारत में 19 सितंबर, 2018 को लागू किया गया था। यह अधिनियम तीन बार तत्काल तलाक का उच्चारण करने की प्रथा, जिसे आमतौर पर तीन तलाक के रूप में जाना जाता है, को शून्य और अवैध बनाता है । यह तत्काल तीन तलाक की प्रथा में शामिल होने वाले पतियों के विरुद्ध तीन साल तक की कैद और जुर्माने सहित दंड लगाता है। तीन तलाक कानून को लागू करके, भारत सरकार का लक्ष्य उन मुस्लिम महिलाओं को कानूनी सुरक्षा प्रदान करना है, जो कई दशकों से इस प्रतिकूल प्रथा का शिकार थीं। इस महत्वपूर्ण सुधार से मुस्लिम महिलाओं की समग्र स्थिति में सुधार हुआ है, जिससे वे घरेलू हिंसा और समाज में पहले से होने वाले भेदभाव से बच सकी हैं।

महिलाओं के विकास से महिलाओं के नेतृत्व में विकास की ओर

दस वर्षों के दौरान सरकार के प्रयासों से महिला सशक्तिकरण में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। महिला पुलिसकर्मियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है और महिला एथलीटों ने अपनी महत्वपूर्ण उपलब्धियों से देश का नाम रोशन किया है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) के क्षेत्र में महिलाओं के प्रवेश में भी अत्यधिक वृद्धि देखी गई है।

महिलाओं को कल्याण का लाभ लेने से सशक्तिकरण के एजेंट के रूप में परिवर्तित करके, सरकार अपने देश की महिलाओं के जीवन में व्यापक बदलाव लाने में सफल रही है। लैंगिक भेदभाव को दूर करने से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, उद्यमिता और सुरक्षा को बढ़ावा देने तक, इन पहलों ने महिलाओं के जीवन में जबरदस्त सुधार लाए हैं तथा देश की समग्र प्रगति में योगदान दिया है। आज बात सिर्फ महिलाओं के विकास की नहीं बल्कि महिलाओं के नेतृत्व में विकास की है।

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