Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

एक्सप्रेसवे से लेकर वंदे भारत की सौगात, दस वर्षों में नये भारत की तस्वीर

मोदी सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर के तेज विकास के जरिए एक समावेशी, टिकाऊ और लचीला न्यू इंडिया बनाने की राह आसान की है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करके अमीरों और गरीबों के बीच की खाई को पाटने पर जोर दिया जा रहा है।

‘स्केल भी और स्पीड भी।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने शासन का मूल मंत्र इसे ही बताते हैं। वो जोर देकर कहते हैं कि जो हो भव्य हो और लेट-लतीफी बिल्कुल नहीं। मोदी सरकार के दो कार्यकाल में विभिन्न बुनियादी ढाचों के विकास पर गौर करेंगे तो पीएम के इस मंत्र का मतलब समझ आ जाएगा। सड़क हो या रेल या फिर हवाई अड्डे, ‘पीएम गति शक्ति नैशनल मास्टर प्लान’ के तहत हर क्षेत्र में बहुत तेज प्रगति हुई है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की छवि ही मोदी सरकार के नगीने की हो गई है। उन्होंने हाइवेज और एक्सप्रेसवेज के निर्माण का रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बना दिए। स्थिति ये है कि विपक्ष के नेता भी गडकरी की खुले मन से प्रशंसा करते हैं। मोदी सरकार के 10 साल की उपलब्धियों के आकलन की सीरीज में आज बात इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की। पिछले 10 सालों में देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर में जबरदस्त बदलाव देखने को मिले हैं। रेलवे और हाईवे को आधुनिक बनाने से लेकर जलमार्गों और हवाई परिवहन को नया स्वरूप देने तक, मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास पर पूरा जोर लगाया है।

हाइवेज और एक्सप्रेसवेज के बन रहे रिकॉर्ड

यह तो मोदी सरकार के विरोधी भी खुले दिल से स्वीकार करते हैं। बीते 10 वर्षों में देश के सड़क और राजमार्ग क्षेत्र ने अभूतपूर्व विकास और प्रगति देखी है। सरकार का दावा है कि पिछले एक दशक में 55 हजार किलोमीटर से ज्यादा हाईवे का निर्माण हुआ है। भारतमाला परियोजना जैसे प्रॉजेक्ट न केवल संपर्क को बेहतर बना रहे हैं बल्कि अछूते क्षेत्रों, आर्थिक केंद्रों और पर्यटन स्थलों की जरूरतों को भी पूरा कर रहे हैं। पीएम गति शक्ति योजना और नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन जैसी पहलों के माध्यम से मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी को प्राथमिकता देकर सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स को तेजी से पूरा कर रही है।

 भारतमाला परियोजना: 83,677 किमी नए राजमार्ग बनाने और 57,923 किमी मौजूदा राजमार्गों में सुधार करने का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम। इससे राजमार्ग निर्माण की गति में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, जो 2014 से पहले 12 किमी की तुलना में प्रति दिन 37 किमी तक पहुंच गई है।

पीएम ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई): इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इस योजना के तहत, 5.3 लाख किमी से अधिक ग्रामीण सड़कें बनाई गई हैं, जिससे ग्रामीण सड़क कनेक्टिविटी लगभग 99% तक बढ़ गई है।

समर्पित माल ढुलाई गलियारे: इन उच्च गति, उच्च क्षमता वाली माल ढुलाई रेलवे का उद्देश्य लॉजिस्टिक्स एफिसिएंसी में सुधार करना है। कई गलियारे निर्माणाधीन हैं, जिनमें ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्राइट कॉरिडोर और वेस्टर्न डेडिटेकेटेड फ्राइट कॉरिडोर शामिल हैं।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे: दिल्ली को राजस्थान के लालसोट से जोड़ने वाले पहले 246 किलोमीटर लंबे हिस्से का उद्घाटन फरवरी में किया गया था। 2024 में पूरा होने पर पूरा एक्सप्रेसवे 1,386 किमी तक फैल जाएगा, जिससे दिल्ली और मुंबई के बीच यात्रा का समय 24 घंटे से घटकर केवल 12 घंटे रह जाएगा।

वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे: इस एक्सप्रेसवे का उद्देश्य वडोदरा और मुंबई के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाना, सुगम परिवहन और आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाना है।

चारधाम कनेक्टिविटी हाइवे: उत्तराखंड में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के पवित्र हिंदू तीर्थ स्थलों तक कनेक्टिविटी में सुधार करने के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना।

अन्य राजमार्ग विस्तार: 2025 तक सरकार की योजना मौजूदा 1,61,350 किमी नेटवर्क में 38,650 किमी राजमार्ग जोड़ने की है।

सुखद होती जा रही है रेल यात्रा

मोदी सरकार के बीते 10 वर्षों में रेलवे का कायाकल्प करने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। बात रेलवे लाइनों के इलेक्ट्रिफिकेशन की हो या रेलवे स्टेशनों के जीर्णोद्धार की, नई ट्रेनें चलाने की हो या यात्री सुविधाओं में विस्तार की, रेलवे ने चौतरफा प्रगति की है। सरकार का दावा है कि 25 हजार किलोमीटर से अधिक नए रेलवे ट्रैक बिछाए गए हैं, जो कई विकसित देशों में रेलवे लाइनों की कुल लंबाई से अधिक है। दावा यह भी है कि रेलवे विद्युतीकरण 94% तक बढ़ गया है, मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग हटा दिए गए हैं और सुरक्षा उपायों को बढ़ाया गया है। बायो-टॉयलेट्स, जीपीएस-आधारित ट्रैकिंग सिस्टम और ऑनलाइन रिजर्वेशन प्लैटफॉर्मों की शुरुआत ने यात्रियों के अनुभव को क्रांतिकारी रूप से बदल दिया है, जिससे ट्रेन यात्रा को सुरक्षित, स्वच्छ और अधिक कुशल बनाया गया है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जैसी पहल और वंदे भारत एक्सप्रेस और नमो भारत जैसी स्वदेशी सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों ने रेल यात्रा का अनुभव बेहतर कर दिया है। अब सोशल मीडिया के जरिए यात्री ट्रेनों में असुविधाओं की शिकायत करते हैं और उस पर तुरंत एक्शन भी होता है। हालांकि, यह भी सच है कि रेलवे के क्षेत्र में अभी बहुत काम करना बाकी है। खासकर, नई दिल्ली से कोलकाता के बीच ज्यादातर ट्रेनों में टिकट मिलना आज भी काफी मुश्किल है। इस लाइन पर ट्रैक जोड़ने के सिवा कोई चारा नहीं दिखता है जिस पर अब तक सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं हुई है।

यात्रियों के लिए रेलवे स्टेशनों पर वाई-फाई, यात्री हेल्पलाइन (138), सुरक्षा हेल्पलाइन (182), कागजरहित अनारक्षित टिकट प्रणाली, ई-कैटरिंग, मोबाइल सिक्यॉरिटी ऐप और महिलाओं की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरा जैसी अनगितन सुविधाओं की शुरुआत हुई।

रेलवे अब अर्थव्यवस्था के इंजन के रूप में काम करेगा और खदानों, तटों आदि को आपस में जोड़ेगा। मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर के बीच हाई स्पीड बुलेट ट्रेन पर तेजी से काम चल रहा है।

वंदे भारत ट्रेनें: सरकार का लक्ष्य रेल कनेक्टिविटी और यात्री अनुभव को बढ़ाने के लिए 400 वंदे भारत ट्रेनें (सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनें) बनाने का है।

अहमदाबाद मेट्रो रेल: शहरी परिवहन में सुधार के लिए अहमदाबाद, गुजरात में एक आधुनिक मेट्रो प्रणाली।

रेलवे अवसंरचना: सरकार ने लास्ट और फर्स्ट मील कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण ट्रासंपोर्टेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स की पहचान की है, विशेष रूप से बंदरगाहों, कोयला, इस्पात, उर्वरक और खाद्यान्न क्षेत्रों के लिए।

जलमार्गों का हो रहा विस्तार

अभी पिछले वर्ष ही हमारे देश में दुनिया का सबसे लंबा रिवर क्रूज ने अपनी यात्रा शुरू की थी। नाम है- गंगा विलास। मोदी सरकार में सागरमाला प्रॉजेक्ट जैसे प्रयास से समुद्री व्यापार और परिवहन को भी आसान बनाने पर जोर दिया गया है। ऐसे प्रयासों से जहां ट्रेड और ट्रांसपोर्टेशन की लागत कम हो रही है तो टिकाऊ विकास को भी बढ़ावा मिल रहा है। देश के अंदर के जलमार्गों की पूरी आर्थिक क्षमता का दोहन करने पर मोदी सरकार का खास फोकस है। गंगा विलास इसी का एक उदाहरण है। वाटर ट्रांसपोर्टेशन के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने से न केवल रोजगार के अवसर पैदा होने की गुंजाइश बनती है, बल्कि सड़क और रेल नेटवर्क पर बोझ भी कम होता है। 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है।

मोदी का मंत्र- उड़े देश का आम नागरिक

मोदी सरकार में एयरपोर्ट्स को लेकर भी बड़े पैमाने पर काम हुआ है। हवाई अड्डों और फ्लाइ रूट्स के विस्तार से आर्थिक विकास और यात्रा सुविधा में का विस्तार हुआ है। सरकार का दावा है कि 10 वर्ष में ऑपरेशनल एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। सरकार ने सस्ते हवाई सफर के लिए ‘उड़ान’ (उड़े देश का आम नागरिक) योजना लाई। इसके तहत छोटे शहरों में भी एयरपोर्ट्स बनाए जा रहे हैं तो कई बंद पड़े एयरपोर्ट्स को फिर से ऐक्टिव किया जा रहा है। नैशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन से इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास और प्रबंधन को गति मिल रही है। इससे उड्डयन क्षेत्र में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट और इनोवेशन को बढ़ावा मिल रहा है।

उड़ान योजना: इसका उद्देश्य कम सेवा वाले और बिना सेवा वाले हवाई अड्डों को जोड़ना है, जिससे हवाई यात्रा अधिक किफायती और सुलभ हो सके। इससे पिछले नौ वर्षों में 74 नए हवाई अड्डों का परिचालन शुरू हुआ है।

विस्तार और आधुनिकीकरण: बढ़ते यात्री यातायात को संभालने के लिए मौजूदा हवाई अड्डों को उन्नत किया जा रहा है। दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर नए टर्मिनल और रनवे का निर्माण किया जा रहा है।

जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा: ग्रेटर नोएडा में स्थित इस हवाई अड्डे से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हवाई कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा।

नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा: बढ़ते हवाई यातायात को संभालने के लिए मुंबई के पास एक प्रमुख हवाई अड्डा परियोजना।

दूसरा चेन्नई हवाई अड्डा: भीड़भाड़ कम करने और हवाई यात्रा क्षमता बढ़ाने की योजना बनाई गई।

अब शहर-शहर मेट्रो नेटवर्क का विस्तार

मोदी सरकार में देश के विभिन्न हिस्सों में मेट्रो का तेजी से विकास हुआ है। मेट्रो नेटवर्क का विस्तार शहरी परिवहन के लिए गेम चेंजर साबित हुआ है। बीते 10 वर्षों में मेट्रो रेल सिस्टम वाले शहरों की संख्या चौगुनी हो गई है। 2014 में केवल पांच शहरों में मेट्रो थे, लेकिन अब 20 शहरों में मेट्रो का परिचालन हो रहा है। इस तेजी से विकास ने न केवल प्रमुख शहरों में यातायात समस्या का बड़े पैमाने पर समाधान किया है बल्कि यात्रियों को तेज, अधिक विश्वसनीय ट्रांसपोर्टेशन मोड मिल गया है। मेट्रो से यात्रा आसान तो होती ही है, तेज भी होती है। अभी कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नै, हैदराबाद, अहमदाबाद, जयपुर, गुरुग्राम, नोएडा, कोच्चि, लखनऊ, नागपुर, कानपुर, पुणे, विशाखापत्तनम, गुवाहाटी, इंदौर, कोयंबटूर जैसे शहरों में मेट्रो रेल सिस्टम ऑपरेशनल है।

डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ रहा भारत

मोदी सरकार ने फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर के अलावा डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी खास जोर दिया है। यूपीआई के रूप में भारत का पेमेंट सिस्टम दुनिया में सबसे आधुनिक और सबसे श्रेष्ठ है। इतना ही नहीं, सरकारी काम हो या पढ़ाई-लिखाई, हर क्षेत्र में डिजिटल सिस्टम को तेजी से बढ़ावा मिला है। मोदी सरकार का उद्देश्य है कि आम नागरिकों को सरकारी दफ्तरों में जाने की नौबत नहीं आए। इसी क्रम में अब अदालतों की सुनवाई का भी ऑनलाइन प्रसारण होने लगा है। कई मामलों में मुद्दई की अदालत में पेशी भी डिजिटल मोड में ही होने लगी है। सरकार का दावा है कि भारत भारतनेट और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं के जरिए एक मजबूत डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है।

लेखक नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से जुड़े हैं। प्रस्तुत विचार निजी हैं।