Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

Dr Syama Prasad Mookerjee Research Foundation organized a National Seminar On Pali : India’s classical Language and Buddha’s Legacy at Jetawan Inter College Shrawasti, Uttar Pradesh on January 19, 2025

दिनांक: 19 जनवरी 2025 (रविवार)
स्थान: जैतवन इंटर कॉलेज, श्रावस्ती

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा पालि भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के पश्चात डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन द्वारा दिनांक 19 जनवरी 2025 को श्रावस्ती के जेतवन इंटर कॉलेज में पालि भारत की शास्त्रीय भाषा और बुद्ध की विरासत विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ।

संगोष्ठी में पाली भाषा और बुद्ध की शिक्षाओं की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता पर चर्चा की गई।

मुख्य अतिथि भदंत श्रद्धालोक महास्थवीर (विहाराध्यक्ष, श्रीलंका बुद्ध विहार, श्रावस्ती) ने अपने उद्घाटन भाषण में पाली भाषा की प्रासंगिकता और बुद्ध के विचारों को आज की पीढ़ी तक पहुंचाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ अनिर्बान गांगुली ने सर्वप्रथम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए धन्यवाद और आभार प्रगट किया।

अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “पाली केवल भाषा नहीं है, यह भारतीय संस्कृति की जड़ है। बुद्ध की शिक्षाओं को समझने और वैश्विक मंच पर भारत की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा भारतीय संस्कृति, परंपराओं और शास्त्रीय भाषाओं को पुनर्जीवित करने के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “मोदी सरकार ने पाली जैसी शास्त्रीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार और संरक्षण के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। ये प्रयास भारतीयता को वैश्विक मंच पर स्थापित करने और हमारे प्राचीन ज्ञान को नए आयाम देने की दिशा में मील का पत्थर हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि “इन प्रयासों से न केवल पाली भाषा का महत्व बढ़ा है, बल्कि यह युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का अवसर भी प्रदान करता है।”

प्रमुख वक्ता प्रो. (डॉ.) राम नक्षत्र प्रसाद (पूर्व कुलपति, नव नालंदा महाविहार) ने कहा कि पाली भाषा बुद्ध के विचारों और उनके दर्शन को सही ढंग से समझने का प्रमुख माध्यम है। उन्होंने इसे आधुनिक समय में भी प्रासंगिक बताया।

भिक्षु धम्ममेघा थेरी (संचालिका, महाप्रजापति गौतमी श्रमणेर प्रशिक्षण केंद्र, श्रावस्ती) ने पाली भाषा के माध्यम से बौद्ध शिक्षा के प्रचार पर चर्चा की।

डॉ. अरुण कुमार यादव (एसोसिएट प्रोफेसर, पाली एवं बौद्ध अध्ययन विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय) ने पाली साहित्य और दर्शन के महत्व पर प्रकाश डाला।

सुब्रतो बरुआ (कार्यकारी अध्यक्ष, बुद्ध त्रिरत्न मिशन) ने पाली भाषा को संरक्षित करने की अपील की। उन्होंने कहा कि पाली को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयास साधुवाद के काबिल है।

पवन कुमार सिंह (प्रधानाचार्य, जैतवन इंटर कॉलेज, श्रावस्ती) ने इस संगोष्ठी के आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन निश्चित ही पाली भाषा को समृद्ध करेंगे।

इस अवसर पर शिक्षाविदों, बौद्ध विद्वानों और छात्रों ने भाग लिया और पाली भाषा के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर चर्चा की।

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