भगवान बुद्ध की धरोहर एवं पालि– भारत की शास्त्रीय भाषा
नई दिल्ली, 4 जनवरी 2025: बुद्ध त्रिरत्न मिशन, नई दिल्ली में आज एक विशेष सार्वजनिक व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. अनिर्बान गांगुली ने “भगवान बुद्ध की धरोहर एवं पाली भाषा – भारत की शास्त्रीय भाषा” विषय पर अपना संबोधन दिया।
डॉ गांगुली ने सर्वप्रथम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पालि भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने भारतीय संस्कृति में भगवान बुद्ध के योगदान, बौद्ध धरोहरों के संरक्षण, तथा पाली भाषा के पुनर्जागरण पर अपने विचार साझा किए।
डॉ. गांगुली कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ केवल धार्मिक उपदेश नहीं, बल्कि मानवता के मार्गदर्शन का प्रकाशस्तंभ हैं। भारत की धरोहर में पाली भाषा का योगदान अविस्मरणीय है, और इसे केवल बौद्ध ग्रंथों की भाषा के रूप में नहीं, बल्कि भारत की एक महान शास्त्रीय भाषा के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। हमें अपने बौद्ध स्थलों, ग्रंथों एवं परंपराओं को संरक्षित करने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे।
इस कार्यक्रम के दौरान सर आशुतोष मुखर्जी एवं प्रो. बेनी माधब बरुआ के योगदान को भी विशेष रूप से रेखांकित किया गया। डॉ. गांगुली ने कहा कि सर आशुतोष मुखर्जी ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में इतिहास और संस्कृति के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए, जबकि प्रो. बेनी माधब बरुआ ने बौद्ध अध्ययन को एक नई ऊँचाई दी।
कार्यक्रम में विद्वानों, शोधार्थियों एवं बुद्ध अनुयायियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। बुद्ध त्रिरत्न मिशन ने इस आयोजन को एक नई दिशा देने वाला बताया और भविष्य में भी इस प्रकार के विमर्श आयोजित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
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