कोरोना वायरस के कहर को रोकने के लिये सरकार को 21 दिनों के लिये देशव्यापी लॉकडाउन करना पड़ा, जिसके कारण दिहाड़ी मजदुरों एवं कमजोर तबके के अन्य लोगों के लिये स्थिति थोड़ी कठिन हो गयी है. ऐसे में, देश में कोई भी भूखा नहीं रहे, इसके लिये सरकार ने 26 मार्च को 1.7 लाख करोड़ रूपये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत देने की घोषणा की. इस पैकेज का मकसद है, कोरोना वायरस से प्रभावित कमजोर तबके के सभी लोगों को कम से कम 3 महीनों के लिये आर्थिक सहायता देना, क्योंकि 21 दिनों में कोरोना वायरस पर काबू पाने के बाद भी पलायन किये प्रवासियों को वापिस काम पर लौटने और आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने में कम से कम 3 महीनों का समय लगेगा.
कोरोना वायरस के साथ लड़ाई में सबसे आगे स्वास्थ्य कर्मी हैं. उनकी वजह से ही कई कोरोना वायरस संक्रमित लोगों की जान बच सकी है. इस बीमारी की फिलहाल कोई दवा नहीं है. यह इतना खतरनाक है कि इससे संक्रमित होने पर असमय ही काल-कवलित होने का अंदेशा रहता है. इसलिये, स्वास्थ्य कर्मियाँ के लिये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत 50 लाख रूपये बीमा का प्रावधान किया गया है.
लॉकडाउन के कारण सभी अपने घरों में बंद हैं. आर्थिक रूप से समर्थ लोग अपने लिये भोजन का इंतजाम कर सकते हैं, लेकिन गरीबों के लिये ऐसा करना मुश्किल है. इसलिये, 80 करोड़ गरीब लोगों को अगले तीन महीनों तक 5 किलो गेहूं या चावल और दाल मुफ्त दिया जायेगा और पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 2 हजार रूपये की किस्त 8.7 करोड़ किसानों को अप्रैल के प्रथम सप्ताह में दे दी जायेगी.
अमूमन, बुजुर्गों, गरीब विधवाओं और गरीब दिव्यांगों की आय का कोई स्रोत नहीं होता है. वे जीवनयापन के लिये मोटे तौर पर अपने परिजनों पर निर्भर होते हैं, लेकिन आज उनके परिजन भी बेरोजगार हो गये हैं. इसलिये, उन्हें अगले 3 महीनों तक के लिये एक हजार रूपये दिये जायेंगे, ताकि वे अपना जीवनयापन कर सकें. साथ ही, सरकार उज्ज्वला योजना के तहत पात्रता रखने वालों को अगले 3 महीनों तक मुफ्त में गैस सिलेंडर देगी.
महिला आमतौर पर पैसों का इस्तेमाल सही कामों के लिये करती हैं. वे जुए या शराब में पैसे जाया नहीं करती हैं. इसलिये, 20 करोड़ महिला जनधन खाताधारकों को आगामी 3 महीनों तक हर महीने 500 रूपये दिये जायेंगे. मनरेगा के तहत दी जा रही मजदूरी को भी 182 रूपये से बढाकर 202 रूपये प्रतिदिन किया गया है. मुश्किल से गुजर रहे मजदूरों के लिये यह बहुत बड़ी राहत है. मजदूरी में 20 रूपये की बढ़ोतरी भी मजदूरों के लिये अहम् है. इससे उन्हें आर्थिक परेशानी का कम सामना करना पड़ेगा.
कोरोना वायरस के कारण निजी क्षेत्र में काम करने वालों को बड़ी संख्या में अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है. इसलिये, सरकार ने कहा है कि जो कर्मचारी हर महीने भविष्य निधि में अंशदान करते हैं वे अपने भविष्य निधि खाते से 75 प्रतिशत या 3 महीनों के वेतन के बराबर पैसों की निकासी कर सकेंगे, जिसे उन्हें वापिस जमा नहीं करना होगा. इससे एक बड़े वर्ग को मुश्किल वक्त में राहत मिलेगी.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत महिलाओं द्वारा संचालित स्व-सहायता समूह को अब 20 लाख रूपये तक का ऋण बिना संपार्श्विक प्रतिभूति के दिया जायेगा. ऋण के रूप में ज्यादा राशि मिलने से वे बड़े स्तर पर काम कर सकेंगे, जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी होगी और ज्यादा संख्या में लोगों को रोजगार मिल सकेगा. इस प्रावधान से कोरोना वायरस से निजात मिलने पर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने में मदद मिलेगी. वैसे कर्मचारी जो 15000 रूपये तक मासिक वेतन पा रहे थे, लेकिन कोरोना वायरस के कारण उनका रोजगार छीन गया है और अब वे भविष्य निधि में अंशदान करने में असमर्थ हैं के भविष्य निधि खाते में अंशदान अगले 3 महीनों तक सरकार करेगी. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत निर्माण क्षेत्र से जुड़े 3.5 करोड़ पंजीकृत कामगारों को आर्थिक मदद देने के लिये 31,000 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। सरकार द्वारा उठाया गया यह एक बेहद ही जरुरी कदम है, क्योंकि इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा मजदुर या कामगार काम करते हैं. आज इस क्षेत्र से जुड़े सभी लोग बेरोजगार हो गये हैं, जिन्हें राहत देना आवश्यक है.
मौजूदा समय में काम-धंधा चौपट होने और रोजगार छीन जाने के कारण असंगठित क्षेत्र के लोग बैंकों से लिये ऋण की क़िस्त एवं ब्याज नहीं दे पा रहे हैं. संगठित क्षेत्र के लोग भी आर्थिक परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं. इन परेशानियों को दृष्टिगत करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने 27 मार्च 2020 को मौद्रिक समीक्षा के दौरान सभी मियादी ऋणों पर क़िस्त एवं ब्याज की चुकौती में और वर्किंग कैपिटल के ऋण की ब्याज अदायगी में 3 महीनों की छूट देने या टालने के लिये बैंकों से कहा है.
कारोबारियों को सस्ती दर पर ऋण मिल सके के लिये केंद्रीय बैंक ने रेपो दर को 75 बेसिस पॉइंट कम भी किया है, जिससे सभी प्रकार के ऋण की क़िस्त कम हो जायेगी. जाहिर है, इस बुरे वक्त में लोगों के लिये यह बड़ी राहत होगी. देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने ऋण के ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत की कटौती कर भी दी है, जो 1 अप्रैल से लागू होगा. उम्मीद है कि जल्द ही दूसरे बैंक भी उधारी ब्याज दरों में कटौती करेंगे, जिससे लोन की किस्तों में कमी आयेगी और लोगों की जेब में कुछ पैसे बचे रह सकेंगे.
इसके अलावा, केंद्रीय बैंक ने संवाधिक तरलता अनुपात यानी सीआरआर को भी 4 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया है. इससे बैंकिंग प्रणाली में 3.74 लाख करोड़ रूपये की नकदी का प्रवाह होगा और बैंक इस सस्ती पूँजी का इस्तेमाल कारोबारियों और आमजनों को सस्ती दर पर ऋण उपलब्ध कराने में कर सकेंगे. इससे क्रेडिट ग्रोथ और आर्थिक गतिविधियां दोनों में तेजी आयेगी.
कोरोना वायरस का संक्रमण इंसान से इंसान में हो रहा है और इसे रोकने का हमारे पास लॉकडाउन और सामाजिक दूरी बनाये रखने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है. हालाँकि, इसके कारण बड़ी संख्या में लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है. सरकार प्रभावित लोगों के लिये भोजन और ठहरने की व्यवस्था कर रही है, लेकिन लोगों की संख्या बड़ी होने के कारण सभी को राहत नहीं मिल पा रहा है. कोरोना वायरस के सामने सभी बौने हो गये हैं. विकसित देश भी इसके सामने घुटने टेकते नजर आ रहे हैं.
कहा जा सकता है कि सरकार 1.70 लाख करोड़ रूपये के पैकेज के माध्यम से आमजन को राहत पहुँचाने की कोशिश कर रही है. केंद्रीय बैंक ने भी कई रियायतों की घोषणा करके आमजन और कारोबारियों को राहत देने की कोशिश की है. यह बड़ी विपदा है और ऐसी विपदा में सरकार के साथ-साथ सभी समर्थ लोगों को आर्थिक मदद के लिये आगे आना होगा, तभी हम इस आपदा पर काबू पा सकेंगे.
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)