Home » CII के वार्षिक सत्र के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री का संबोधन
- सबसे पहले तो CII को 125 साल सफलतापूर्वक पूर्ण करने के लिए आप सबको बहुत-बहुत बधाई.
- 125 साल की यात्रा बहुत लंबी होती है। अनेक पड़ाव आए होंगे, अनेक उतार-चढ़ाव आए होंगे, लेकिन सवा सौ साल तक एक संगठन को चलाना, ये अपने-आप में बहुत बड़ी बात होती है। उसमें समयानुकूल परिवर्तन आए हैं, व्यवस्थाएं बदली हैं और पहले तो मैं इन 125 साल में सीआईआई को मजबूती देने में जिन-जिन लोगों ने योगदान दिया है, वैसे सभी पूर्व के आपके महानुभावों को भी इस समय बधाई दूंगा।
- जो हमारे बीच में नहीं होंगे, उनको आदरपूर्वक नमन करूंगा, और भविष्य में जो इसको संभालने वाले हैं उनको अनेक-अनेक शुभकामनाएं भी देता हूं।
- कोरोना ने हमारी स्पीड जितनी भी धीमी की हो, लेकिन आज देश की सबसे बड़ी सच्चाई यही है कि भारत, लॉकडाउन को पीछे छोड़कर अनलॉक में इंटर कर चुका है।
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ने गरीबों को तुरंत लाभ देने में बहुत मदद की है। इस योजना के तहत करीब 74 करोड़ लाभार्थियों तक राशन पहुंचाया जा चुका है।
- भारत को फिर से तेज़ विकास के पथ पर लाने के लिए, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए 5 चीजें बहुत ज़रूरी हैं। Intent, Inclusion, Investment, Infrastructure और हाल में जो bold फैसले लिए गए हैं, उसमें भी आपको इन सभी की झलक मिल जाएगी।
- इन फैसलों के साथ हमने तमाम सेक्टर्स को Future ready किया है। इसी वजह से आज भारत एक नए growth-oriented future की दिशा में बड़ी उड़ान के लिए तैयार है। साथियों, हमारे लिए reforms कोई random या scattered decisions नहीं हैं। हमारे लिए reforms systemic, planned, integrated, inter-connected और futuristic process है।
- सरकार जिस दिशा में बढ़ रही है, उससे हमारा mining sector हो, energy sector हो, या research और technology हो, हर क्षेत्र में इंडस्ट्री को भी अवसर मिलेंगे, और youth के लिए भी नई opportunities खुलेंगी।
- इस सबसे भी आगे बढ़कर, अब देश के strategic sectors में भी private players की भागीदारी एक reality बन रही है। आप चाहे space sector में निवेश करना चाहें, atomic energy में नयी opportunities को तलाशना चाहें, possibilities आपके लिए पूरी तरह से खुली हुई है।
- आप ये भली-भांति जानते हैं कि MSME sector की लाखों units हमारे देश के लिए economic engines की तरह हैं। इनका देश की GDP में बहुत बड़ा contribution है, ये contribution करीब-करीब 30 परसेंट का है।
- MSMEs की definition स्पष्ट करने की मांग लंबे समय से उद्योग जगत कर रहा था, वो पूरी हो चुकी है। इससे MSMEs बिना किसी चिंता के grow कर पाएंगे और उनको MSMEs का स्टेट्स बनाए रखने के लिए दूसरे रास्तों पर चलने की ज़रूरत नहीं रहेगी।
- देश के MSMEs में काम करने वाले करोड़ों साथियों को लाभ हो, इसके लिए 200 करोड़ रुपए तक की सरकारी खरीद में ग्लोबल टेंडर्स को खत्म कर दिया गया है। इससे हमारे छोटे उद्योगों को ज्यादा अवसर मिल पाएंगे। एक तरह से आत्मनिर्भर भारत पैकेज MSME sector के engine के लिए fuel का काम करने वाला है।
- आज विश्व के तमाम देश, पहले की तुलना में एक दूसरे का साथ और अधिक चाहते हैं। देशों में एक दूसरे की जरूरत और ज्यादा पैदा हुई है। लेकिन इसी के साथ ये चिंतन भी चल रहा है कि पुरानी सोच, पुरानी रीति-नीति, पुरानी policies कितनी कारगर होगी।
- स्वभाविक है कि इस समय नए सिरे से मंथन चल रहा है और ऐसे समय में, भारत से दुनिया की अपेक्षा, expectations और बढ़ीं हैं। आज दुनिया का भारत पर विश्वास भी बढ़ा है और नई आशा का संचार भी हुआ है।
- अभी आपने भी देखा है कि कोरोना के इस संकट में जब किसी देश के लिए दूसरे की मदद करना मुश्किल हो रहा था, तब भारत ने 150 से ज्यादा देशों को medical supplies भेजकर उनकी मदद की है। साथियों, World is looking for a trusted, reliable partner भारत में potential है, strength है, ability है।
- आत्मनिर्भर भारत world economy के साथ पूरी तरह integrated भी होगा और supportive भी लेकिन ध्यान रखिएगा, आत्मनिर्भर भारत का मतलब ये भी है कि है कि हम strategic क्षेत्रों में किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे।
- अब जरूरत है कि देश में ऐसे products बनें जो Made in India हों, Made for the World हों। कैसे हम देश का आयात कम से कम करें, इसे लेकर क्या नए लक्ष्य तय किए जा सकते हैं? हमें तमाम सेक्टर्स में productivity बढ़ाने के लिए अपने टार्गेट तय करने ही होंगे।
- बीते सालों में आप सभी साथियों के सहयोग से ही देश में वंदेभारत जैसी आधुनिक ट्रेनें बनीं हैं। देश आज मेट्रो के कोच निर्यात कर रहा है। इसी तरह मोबाइल फोन मैन्युफेक्चरिंग हो, डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग हो, अनेक क्षेत्रों में इंपोर्ट पर हमारी डिपेंडेंस को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
- मैं बहुत गर्व से कहूंगा कि सिर्फ 3 महीने के भीतर ही Personal Protective Equipment – PPE की सैकड़ों करोड़ की इंडस्ट्री आपने ही खड़ी की है। तीन महीने पहले तक भारत में एक भी PPE नहीं बनती थी। आज भारत एक दिन में 3 लाख PPE किट बना रहा है, तो ये हमारे उद्योग जगत का ही सामर्थ्य है।
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