Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

वक्फ कानून में बदलाव: समृद्धि और समाज कल्याण की नई राह

भारत में वक्फ संपत्तियाँ न केवल धार्मिक और सामाजिक मूल्यों की संवाहक हैं, बल्कि समाज के वंचित और जरूरतमंद तबकों के कल्याण का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी मानी जाती हैं। वक्फ अधिनियम, 1995 के अंतर्गत इन संपत्तियों का प्रबंधन किया जाता था, लेकिन समय के साथ इसमें कई व्यावहारिक और प्रशासनिक चुनौतियाँ सामने आईं। पारदर्शिता की कमी, कानूनी विवाद, अतिक्रमण और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं ने वक्फ संपत्तियों के मूल उद्देश्य को बाधित किया। इन जटिलताओं को दूर करने और वक्फ संपत्तियों के कुशल प्रबंधन के लिए सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 प्रस्तुत किया, जो प्रशासनिक सुधार, पारदर्शिता और समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के विवादों को कम करने, सरकारी भूमि पर अवैध दावों को रोकने और वक्फ बोर्डों की वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान करता है। डिजिटलीकरण, लेखा परीक्षा प्रणाली को मजबूत करना, और सर्वेक्षण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना इसके प्रमुख सुधारों में शामिल हैं। साथ ही, यह विधेयक सामाजिक समावेशिता को भी बढ़ावा देता है, जिससे वक्फ संपत्तियों का लाभ समाज के सभी वर्गों को मिल सके। वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 न केवल वक्फ संपत्तियों के बेहतर उपयोग की दिशा में एक प्रभावी प्रयास है, बल्कि यह धार्मिक संस्थाओं के प्रशासन में भी एक नई व्यावहारिकता और उत्तरदायित्व स्थापित करने की ओर बढ़ता कदम है।

वक्फ संपत्तियों का प्रशासन और चुनौतियाँ :

भारत में वक्फ संपत्तियों का प्रशासन वक्फ अधिनियम, 1995 के अंतर्गत आता है। इस अधिनियम के तहत मुख्य रूप से तीन प्रशासनिक निकाय कार्यरत हैं—केंद्रीय वक्फ परिषद (सीडब्ल्यूसी), राज्य वक्फ बोर्ड (एसडब्ल्यूबी) और वक्फ न्यायाधिकरण। केंद्रीय वक्फ परिषद नीति-निर्माण में सहायता करती है, जबकि राज्य वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों के संरक्षण और प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालता है। वक्फ न्यायाधिकरण इन संपत्तियों से संबंधित विवादों का निपटारा करता है। हालांकि, समय के साथ वक्फ प्रबंधन में कई चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं। इनमें अवैध कब्जे, संपत्तियों की पंजीकरण प्रक्रिया में देरी, कुप्रबंधन, कानूनी विवाद और पारदर्शिता की कमी प्रमुख हैं।

वर्तमान प्रणाली में कई कमियाँ पाई गई हैं, जिनमें ‘एक बार वक्फ, हमेशा वक्फ’ के सिद्धांत के कारण संपत्तियों को लेकर विवाद उत्पन्न होना, वक्फ न्यायाधिकरणों की स्वतंत्रता का अभाव, वक्फ संपत्तियों का अधूरा सर्वेक्षण और वक्फ अधिनियम की संवैधानिक वैधता पर उठते सवाल शामिल हैं। कई राज्यों में सर्वेक्षण अभी तक पूरा नहीं हुआ है, जिससे कई संपत्तियों की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है। इसके अतिरिक्त, धारा 40 के दुरुपयोग के कारण कई निजी संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया, जिससे कानूनी संघर्ष और तनाव उत्पन्न हुए।

वक्फ अधिनियम, 1995 और वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 में क्या है फर्क?

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 ने वक्फ अधिनियम, 1995 में कई बदलाव किए हैं, जिससे वक्फ प्रबंधन अधिक पारदर्शी और संगठित हो सके। सबसे बड़ा परिवर्तन अधिनियम के नाम में हुआ है, जिसे “एकीकृत वक्फ प्रबंधन, संरक्षण, देखभाल और विकास अधिनियम, 1995” कर दिया गया है। अब वक्फ संपत्तियों की स्थापना के लिए केवल घोषणा पर्याप्त नहीं होगी, उन्हें धार्मिक और समाजसेवा के उद्देश्य से समर्पित होना आवश्यक होगा। मुस्लिम महिलाओं की संपत्तियों को वक्फ में शामिल करने के लिए उनकी पूर्व सहमति अनिवार्य कर दी गई है।

सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित करने की प्रक्रिया को भी संशोधित किया गया है। अब सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता और इससे जुड़े विवादों का निपटारा केवल उच्चतम न्यायालय करेगा। वक्फ संपत्तियों के प्रशासनिक नियंत्रण में बदलाव करते हुए, अब यह अधिकार वक्फ बोर्ड की बजाय कलेक्टर और राज्य सरकार के अधिकारियों को सौंपा गया है।

वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण की जिम्मेदारी अब कलेक्टर के नेतृत्व में होगी। केंद्रीय वक्फ परिषद में अब गैर-मुस्लिमों को भी शामिल किया जा सकता है, जबकि मुस्लिम सदस्यों में दो महिलाओं का होना अनिवार्य रहेगा। राज्य वक्फ बोर्ड की संरचना में भी परिवर्तन किया गया है, जिससे राज्य सरकार को अधिक नियंत्रण मिला है।

विधेयक के तहत न्यायाधिकरण की संरचना बदली गई है- अब इसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय न्यायाधीश करेंगे, और अपील की अधिकतम समयसीमा 90 दिन होगी। वित्तीय प्रबंधन के तहत, केंद्र सरकार को वक्फ संपत्तियों की निगरानी का अधिकार दिया गया है, और शिया व सुन्नी वक्फ बोर्डों की अलग-अलग बनाने की बाध्यता समाप्त कर दी गई है।इन संशोधनों से वक्फ प्रबंधन को अधिक प्रभावी और न्यायसंगत बनाया गया है, जिससे वक्फ संपत्तियों का कुशल उपयोग और विवादों का त्वरित समाधान संभव होगा।

वक्फ प्रशासन में क्यों पड़ी सुधार की आवश्यकता?

वक्फ संपत्तियों का प्रशासनिक ढांचा अत्यधिक जटिल है और इसे अधिक पारदर्शी व प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। भारत में वक्फ संपत्तियों की संख्या 8.72 लाख से अधिक है, लेकिन इनमें से कई संपत्तियों के स्वामित्व दस्तावेज स्पष्ट नहीं हैं, जिससे स्वामित्व विवाद, अतिक्रमण और प्रशासनिक अक्षमताएँ उत्पन्न होती हैं। वक्फ अधिनियम, 1995 के अंतर्गत राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद प्रमुख भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनकी कार्यप्रणाली में कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

वक्फ बोर्डों की भूमिका प्रशासनिक निकायों के रूप में होनी चाहिए, न कि धार्मिक संस्थानों के रूप में। सार्वजनिक ट्रस्टों की तुलना में, वक्फ बोर्ड एक विशिष्ट कानूनी इकाई हैं, लेकिन उनमें प्रशासनिक सुधार की सख्त जरूरत है। इसीलिए, गैर-मुस्लिम विशेषज्ञों की भागीदारी का प्रस्ताव एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है, जिससे पारदर्शिता और कार्यकुशलता बढ़ेगी।

डिजिटलीकरण इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। एकीकृत डिजिटल पोर्टल, भू-टैगिंग, ऑनलाइन पट्टा प्रणाली और सख्त लेखा परीक्षा तंत्र जैसे उपाय वक्फ संपत्तियों के कुशल प्रबंधन में सहायक होंगे। निष्कर्षतः, वक्फ बोर्डों को पारदर्शी और व्यावसायिक प्रक्रियाओं को अपनाना होगा, ताकि वक्फ संपत्तियाँ अधिक प्रभावी ढंग से समाज के कल्याण के लिए उपयोग हो सकें।

वक्फ प्रशासन में सुधार: समावेशिता से न्यायसंगत और प्रभावी प्रबंधन की ओर

वक्फ प्रशासन में सुधार की अनिवार्यता इसकी समावेशिता से जुड़ी हुई है। भारत में वक्फ संपत्तियाँ बड़े पैमाने पर फैली हुई हैं, लेकिन प्रशासनिक ढांचे में मुस्लिम समुदाय के विभिन्न संप्रदायों और पिछड़े वर्गों की भागीदारी सीमित है। आगाखानी, बोहरा और अन्य समुदायों को निर्णय-निर्माण प्रक्रिया से बाहर रखा गया है, जिससे उनकी आवश्यकताओं की अनदेखी होती है। महिलाओं को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलता, जिससे महिला-केंद्रित योजनाएँ कमजोर पड़ जाती हैं।

इतिहास गवाह है कि गैर-मुसलमानों ने भी वक्फ संपत्तियों में योगदान दिया है, लेकिन वे प्रशासन से बाहर रखे गए हैं। यह स्थिति न केवल वक्फ की पारदर्शिता को प्रभावित करती है, बल्कि व्यापक समुदाय के लिए इसकी उपयोगिता को भी सीमित कर देती है। इन समस्याओं को हल करने के लिए वक्फ बोर्डों में मुस्लिम संप्रदायों, पिछड़े वर्गों और महिलाओं का उचित प्रतिनिधित्व अनिवार्य किया जाना चाहिए।

गैर-मुसलमानों को भी कानूनी, वित्तीय और प्रशासनिक विशेषज्ञों के रूप में वक्फ बोर्डों में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि उनका योगदान नीति-निर्माण में सहायक हो सके। इसके अतिरिक्त, महिला नेतृत्व वाली समितियों का गठन किया जाना चाहिए, ताकि शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन योजनाओं में लैंगिक संवेदनशीलता सुनिश्चित हो।

इन सुधारों से न केवल वक्फ प्रशासन पारदर्शी और जवाबदेह बनेगा, बल्कि इससे गरीबों और वंचित समुदायों को भी वास्तविक लाभ मिलेगा। वक्फ संपत्तियों के प्रभावी उपयोग से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक सशक्तीकरण को प्रोत्साहित किया जा सकता है, जिससे समाज का समग्र विकास संभव होगा। यदि प्रशासन में निष्पक्षता और दक्षता लाई जाए, तो यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि वक्फ अपनी मूल भावना और उद्देश्य को पूरी तरह पूरा कर सके।

वक्फ में मुस्लिम महिलाओं का समावेशन और सशक्तीकरण

मुस्लिम महिलाओं के वक्फ-अलल-औलाद में उत्तराधिकार अधिकारों की रक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है। पारिवारिक वक्फ में अक्सर महिला उत्तराधिकारियों को उनका वैध हिस्सा नहीं मिलता, जिससे वे आर्थिक असुरक्षा की स्थिति में आ जाती हैं। विशेष रूप से विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए यह समस्या और गंभीर हो जाती है।

इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी संपत्ति को वक्फ में समर्पित करने से पहले महिला उत्तराधिकारियों को उनका अधिकार मिल गया हो। प्रस्तावित विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि कोई भी वक्फ महिला उत्तराधिकारियों के वैध अधिकारों से इनकार नहीं कर सकता। इससे महिलाओं के आर्थिक अधिकारों को कानूनी सुरक्षा मिलेगी।

इसके अतिरिक्त, मुस्लिम महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को मजबूत करना भी आवश्यक है। वर्तमान में वक्फ की आय मुख्य रूप से धार्मिक शिक्षा और विकास कार्यों के लिए आवंटित होती है, लेकिन कमजोर वर्गों के लिए संरचित वित्तीय सहायता का अभाव है। इस संदर्भ में, नए संशोधन के तहत वंशावली समाप्त होने पर वक्फ की आय को विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के कल्याण में उपयोग करने का प्रावधान किया गया है। इससे महिलाओं की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

वक्फ प्रशासन में मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी को भी बढ़ावा देना आवश्यक है। पारंपरिक रूप से, महिलाओं को वक्फ बोर्ड और अन्य प्रशासनिक निकायों में सीमित प्रतिनिधित्व मिला है, जिससे नीति-निर्धारण में उनकी आवश्यकताओं को पर्याप्त महत्व नहीं मिल पाया। इस असमानता को दूर करने के लिए केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में कम से कम दो मुस्लिम महिलाओं को सदस्य के रूप में अनिवार्य रूप से शामिल करने का प्रावधान किया गया है।

इससे न केवल महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि लिंग-समावेशी नीति निर्माण को भी बढ़ावा मिलेगा। वक्फ संपत्तियों के उपयोग को महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण से जोड़ने के लिए, महिला-नेतृत्व वाले वक्फ संगठनों को भी बढ़ावा देना आवश्यक होगा।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 में प्रस्तावित सुधार :

वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन को पारदर्शी और उत्तरदायी बनाना है। इस विधेयक में कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं, जो वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली को प्रभावी बनाने में सहायक होंगे। सबसे महत्वपूर्ण संशोधन वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को डिजिटल बनाने से संबंधित है। अब वक्फ संपत्तियों का विवरण एक केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल पर उपलब्ध होगा, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। यह पोर्टल संपत्तियों के पंजीकरण, ऑडिट, योगदान और मुकदमेबाजी की निगरानी में सहायक होगा। इसके अतिरिक्त, वक्फ ट्रस्टों को वक्फ से पृथक करने का प्रावधान भी किया गया है, जिससे मुसलमानों द्वारा बनाए गए ट्रस्ट स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें।

एक अन्य महत्वपूर्ण संशोधन के अनुसार, केवल वे व्यक्ति ही अपनी संपत्ति वक्फ को समर्पित कर सकते हैं, जो कम से कम पाँच वर्षों से प्रैक्टिसिंग मुस्लिम हों। इससे वक्फ समर्पण की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और प्रामाणिकता सुनिश्चित होगी। इसके अलावा, वक्फ न्यायाधिकरणों को अधिक स्वतंत्र और प्रभावी बनाने के लिए उनकी चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है।

महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए पारिवारिक वक्फ में महिलाओं की उचित भागीदारी को सुनिश्चित किया गया है। विधवा, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसके अलावा, मुतवल्लियों को यह अनिवार्य किया गया है कि वे वक्फ संपत्तियों का विवरण छह महीने के भीतर डिजिटल पोर्टल पर दर्ज करें, जिससे जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।

सरकारी संपत्तियों और वक्फ विवादों का समाधान:

वक्फ संपत्तियों और सरकारी भूमि को लेकर विवाद दशकों से प्रशासनिक और कानूनी उलझनों में फंसा हुआ है। अक्सर यह देखा गया है कि सरकारी भूमि पर वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जाता है, जिससे भूमि प्रबंधन प्रभावित होता है और कानूनी व सामाजिक तनाव बढ़ता है। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 इस समस्या को हल करने के लिए पारदर्शी और सुव्यवस्थित प्रक्रिया प्रस्तुत करता है।

पहले वक्फ बोर्डों को यह अधिकार था कि वे किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकते थे, जिससे निजी और सरकारी संपत्तियों पर विवादित दावे किए जाते थे। संशोधित विधेयक में अब यह व्यवस्था की गई है कि ऐसे दावों की जांच कलेक्टर या उच्च पदस्थ अधिकारी करेंगे, जिससे मनमाने और अनुचित दावों को रोका जा सकेगा।

इस विधेयक का उद्देश्य न्यायिक प्रणाली पर मुकदमों का बोझ कम करना और संपत्ति मालिकों को कानूनी लड़ाई में फंसने से बचाना है। पहले कई संपत्ति मालिकों को अपनी ही संपत्ति के स्वामित्व को सिद्ध करने के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। नए प्रावधानों के तहत परिसीमा अधिनियम, 1963 को वक्फ संपत्तियों पर लागू किया गया है, जिससे विवादों को निश्चित समयसीमा में सुलझाया जा सकेगा।

विधेयक यह भी स्पष्ट करता है कि यदि किसी संपत्ति को पहले से सरकारी संपत्ति के रूप में अधिसूचित किया गया है, तो उसे वक्फ संपत्ति के रूप में दावा नहीं किया जा सकता। इससे सरकारी भूमि और वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व विवादों को रोका जा सकेगा।

यह विधेयक न केवल वक्फ बोर्डों की जवाबदेही बढ़ाएगा, बल्कि संपत्तियों पर अनुचित दावों को रोककर समाज में समावेशिता और विश्वास स्थापित करेगा। इससे न्यायपालिका पर दबाव कम होगा, सामुदायिक सौहार्द बढ़ेगा और प्रशासनिक पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।

भारत बनाम विश्व: वक्फ बोर्ड की स्थिति

विभिन्न देशों में वक्फ प्रशासन की प्रणालियों का तुलनात्मक अध्ययन करने पर यह स्पष्ट होता है कि कई मुस्लिम बहुल देशों में अभी तक वक्फ के लिए कोई स्वतंत्र अधिनियम नहीं है, बल्कि वहां वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए अध्यादेश या विनियम लागू किए गए हैं। इसके विपरीत, पाकिस्तान में वक्फ संपत्तियों के लिए विभिन्न प्रांतीय और संघीय अधिनियम लागू किए गए हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन को नियंत्रित करते हैं।

भारत में यह विधेयक समावेशिता को प्राथमिकता देता है, जिसमें महिलाओं और विभिन्न मुस्लिम समुदायों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया गया है। अन्य देशों की तुलना में भारत ने वक्फ प्रशासन में शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी और अन्य पिछड़े समुदायों के लिए प्रतिनिधित्व का विशेष प्रावधान किया है। इससे न केवल वक्फ बोर्डों में विविधता और समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि निर्णय-प्रक्रिया में संतुलन भी सुनिश्चित होगा। वैश्विक स्तर पर देखें तो कतर, सऊदी अरब, यूएई, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में महिलाओं के वक्फ प्रशासन में प्रतिनिधित्व के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है, जिससे यह विधेयक भारत को एक प्रगतिशील दिशा में स्थापित करता है।

विधेयक का एक प्रमुख उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण और पारदर्शिता को सुनिश्चित करना भी है। कतर, तुर्की और सऊदी अरब जैसे देशों ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए आधुनिक डिजिटल प्रणालियों को अपनाया है, जिससे संपत्तियों के स्वामित्व, उपयोग और लेखा-जोखा को पारदर्शी बनाया जा सके। भारत में भी इसी दिशा में कदम उठाते हुए वक्फ संपत्तियों के केंद्रीकृत पंजीकरण और निगरानी को मजबूत किया जा रहा है। इससे भ्रष्टाचार और संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी, जिससे वक्फ संपत्तियों को उनके मूल उद्देश्य – धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए संरक्षित रखा जा सकेगा।

इसके अतिरिक्त, विधेयक में वक्फ संपत्तियों के विवाद समाधान और पुनर्स्थापन के लिए भी ठोस प्रावधान किए गए हैं। कई देशों में वक्फ संपत्तियों को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है, जिससे उनकी आर्थिक उपयोगिता बढ़ती है। उदाहरण के लिए, सऊदी अरब में “अवकाफ निवेश कंपनी” के माध्यम से वक्फ संपत्तियों का वित्तीय नियमन किया जाता है, और ओमान में “इशराक वक्फ निवेश फंड” जैसी योजनाएं लागू हैं। भारत में इस विधेयक के माध्यम से यह सुनिश्चित किया गया है कि वक्फ संपत्तियों को आर्थिक रूप से भी समृद्ध किया जाए, ताकि उनका लाभ दीर्घकालिक रूप से समुदायों को मिलता रहे।

वक्फ संपत्तियों के कुशल उपयोग और गरीबों को लाभ:

वक्फ संपत्तियाँ समाजसेवी कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जिनका उद्देश्य जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करना है। इनसे होने वाली आय का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और आजीविका सहायता के लिए किया जा सकता है, जिससे कमजोर वर्गों को सीधा लाभ मिले। हालांकि, दशकों से कुप्रबंधन, अतिक्रमण और वित्तीय अनियमितताओं के कारण इनका सही उपयोग नहीं हो पाया। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 इस समस्या को हल करने के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और डिजिटल प्रबंधन को बढ़ावा देता है।

डिजिटलीकरण और पारदर्शिता: इस विधेयक के तहत एक केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल विकसित किया जाएगा, जिसमें सभी वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण और प्रबंधन होगा। इससे संपत्तियों के स्वामित्व, उपयोग, आय और प्रशासन की जानकारी संरक्षित रहेगी, जिससे दुरुपयोग पर रोक लगेगी। यह पोर्टल अवैध कब्जों की पहचान में भी मदद करेगा, जिससे समय पर कार्रवाई संभव होगी।

वित्तीय अनुशासन और सामाजिक उपयोग: वक्फ बोर्डों को अब अपनी आय और व्यय का सही रिकॉर्ड रखना अनिवार्य होगा। राजस्व का उपयोग शिक्षा, चिकित्सा, अनाथालयों, आश्रयगृहों और कौशल विकास कार्यक्रमों में किया जाएगा। गरीबों के लिए छात्रवृत्ति, स्वास्थ्य सेवाएँ और रोजगार सहायता जैसी योजनाओं में वक्फ संपत्तियों की आय को प्राथमिकता मिलेगी। इससे वास्तविक लाभार्थियों को सीधा फायदा होगा और वक्फ की उपयोगिता बनी रहेगी।

लेखा परीक्षा और जवाबदेही: जिन वक्फ संस्थानों की वार्षिक आय ₹1 लाख से अधिक होगी, उन्हें राज्य सरकार द्वारा नियुक्त लेखा परीक्षकों से ऑडिट कराना अनिवार्य होगा। इससे वित्तीय पारदर्शिता बढ़ेगी और किसी भी प्रकार की अनियमितताओं को समय पर पकड़ा जा सकेगा। साथ ही, वक्फ बोर्डों को अपनी आय-व्यय का सार्वजनिक विवरण देना होगा, जिससे वित्तीय गड़बड़ियों पर तुरंत कार्रवाई हो सके।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 भारतीय वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण सुधार लाने वाला विधेयक है। यह विधेयक न केवल वक्फ संपत्तियों के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करेगा, बल्कि वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही भी लाएगा। डिजिटलीकरण, महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा, न्यायाधिकरणों की स्वतंत्रता और सरकारी संपत्तियों के अनुचित दावों पर रोक जैसे प्रावधान इस विधेयक को अधिक प्रभावी बनाते हैं।

इसके माध्यम से वंचित वर्गों को अधिक लाभ मिल सकेगा और वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग किया जा सकेगा। वक्फ अधिनियम, 1995 की कमियों को दूर करने के साथ-साथ इस विधेयक में वक्फ बोर्डों की शक्ति का संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया गया है। यदि यह विधेयक प्रभावी रूप से लागू किया जाता है, तो यह वक्फ संपत्तियों के बेहतर उपयोग और गरीबों के कल्याण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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