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बजट 2025 – भारत के विकास की नई दिशा

बजट 2025 भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और इसे विकसित देशों की श्रेणी में ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह बजट अल्पकालिक, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसमें जहां एक ओर निवेश को बढ़ावा देने की योजना है, वहीं दूसरी ओर विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी बनाने और भविष्य में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की नींव रखी गई है।

आर्थिक स्थिरता और राजकोषीय अनुशासन

सरकार ने इस बजट में आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए राजकोषीय घाटे को 4.4% तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में भारत का सार्वजनिक ऋण-जीडीपी अनुपात 83% है, जो अन्य देशों की तुलना में संतुलित स्थिति में है। कई विकसित और विकासशील देश इस समय भारी कर्ज के कारण मंदी और बढ़ती मुद्रास्फीति (महंगाई) की समस्या का सामना कर रहे हैं, लेकिन भारत की वित्तीय स्थिति अपेक्षाकृत मजबूत बनी हुई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 6 वर्षीय वित्तीय रोडमैप से संकेत मिलता है कि भारत आगे भी इस स्थिरता को बनाए रखेगा।

विकास को गति देने के लिए बढ़ा सरकारी खर्च

इस साल के बजट में कुल सरकारी खर्च में 7% की वृद्धि की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता मांग (खपत) को बढ़ावा देना है ताकि आम लोगों की क्रय शक्ति (खरीदने की क्षमता) में इजाफा हो। इसके लिए आयकर दरों में व्यापक संशोधन, किसानों, शहरी स्ट्रीट वेंडर्स, मछुआरों और महिला उद्यमियों के लिए आसान ऋण योजनाएं और पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की गई है।

स्वच्छ ऊर्जा और टिकाऊ विकास

भारत की ऊर्जा सुरक्षा और हरित विकास (ग्रीन ग्रोथ) को बढ़ावा देने के लिए इस बार ऊर्जा क्षेत्र के लिए ₹81,000 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 31% अधिक है। खासतौर पर प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बजट का एक बड़ा हिस्सा आवंटित किया गया है।

इसके अलावा, सरकार ने बिजली वितरण प्रणाली में सुधार के लिए राज्यों को प्रोत्साहन देने का फैसला किया है। अगर राज्य सरकारें आवश्यक सुधार लागू करती हैं तो उन्हें केंद्र से 50 वर्ष तक के लिए बिना ब्याज का ऋण मिलेगा। यह कदम बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार लाने और अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) को अपनाने में तेजी लाने के लिए उठाया गया है।

परमाणु ऊर्जा में बड़ा निवेश

बजट में परमाणु ऊर्जा को भी विशेष महत्व दिया गया है। सरकार ने 2033 तक पांच छोटे परमाणु रिएक्टर विकसित करने की योजना बनाई है और इसके लिए ₹20,000 करोड़ का बजट तय किया है। परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 24×7 बिजली उत्पादन कर सकती है और इसका कार्बन उत्सर्जन शून्य होता है। साथ ही, नई तकनीकों के ज़रिए यूरेनियम के बजाय थोरियम आधारित रिएक्टर विकसित करने की योजना है, जो अधिक सुरक्षित और किफायती होंगे।

 भारत में मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र को समान बढ़ावा

भारत की अर्थव्यवस्था में विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) और सेवा (सर्विस) दोनों क्षेत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण और सॉफ्टवेयर क्षेत्र में भारत की सफलता को देखते हुए सरकार ने दोनों क्षेत्रों को समान रूप से बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।

विनिर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को मजबूत करने के लिए सरकार ने कैपिटल गुड्स मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई है। इसके तहत अब भारत में ही उन मशीनों का उत्पादन किया जाएगा जो फार्मा, ऑटोमोबाइल और अक्षय ऊर्जा क्षेत्रों में अंतिम उत्पाद निर्माण में उपयोग होती हैं।

शिक्षा और कौशल विकास में निवेश

भारत की सबसे बड़ी ताकत यहां की युवा आबादी है। वर्तमान में देश की 65% आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है और औसत आयु (मीडियन एज) मात्र 28 वर्ष है। इस जनसंख्या लाभ (डेमोग्राफिक डिविडेंड) को भुनाने के लिए सरकार ने शिक्षा और कौशल विकास के लिए ₹1.28 लाख करोड़ का बजट आवंटित किया है।

बजट में सरकारी स्कूलों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने, नए कौशल विकास केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर स्किलिंग) स्थापित करने और उद्योगों की जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण देने की योजना बनाई गई है।

कृषि, निर्यात और उद्यमिता को बढ़ावा

सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है। महिला उद्यमियों और स्टार्टअप्स को भी प्रोत्साहित किया गया है। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत सुधार किए गए हैं ताकि भारत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सके।

संतुलित और भविष्य उन्मुख बजट

बजट 2025 को संतुलित और दूरदर्शी कहा जा सकता है। यह एक ओर अल्पकालिक आर्थिक विकास को गति देने पर ध्यान केंद्रित करता है, वहीं दूसरी ओर स्वच्छ ऊर्जा, मैन्युफैक्चरिंग, शिक्षा और बुनियादी ढांचे में निवेश के ज़रिए दीर्घकालिक विकास की नींव रखता है।

इस बजट के माध्यम से सरकार ने भारत को वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भी स्थिर और तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।

(लेखक महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान में अतिथि प्राध्यापक हैं, प्रस्तुत विचार लेखक के निजी हैं)

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