वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% करने की घोषणा की है। इस कदम का उद्देश्य बीमा उद्योग को प्रोत्साहित करना और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना है। इस लेख में हम इस निर्णय के प्रभाव, बीमा क्षेत्र की वर्तमान स्थिति, और ग्राहकों को होने वाले लाभों पर चर्चा करेंगे।
बीमा क्षेत्र की वर्तमान स्थिति
भारत में बीमा क्षेत्र ने पिछले दशकों में सीमित वृद्धि दर्ज की है। मैकिंज़ी एंड कंपनी की नवंबर 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के बीमा उद्योग की वृद्धि को “आधा भरा गिलास” के रूप में वर्णित किया गया है, जिसमें उत्पाद नवाचार, वितरण दक्षता, और नवीनीकरण प्रबंधन में अंतराल हैं।
बीमा पैठ में कमी
बीमा पैठ और घनत्व दो महत्वपूर्ण मानक हैं, जिनसे किसी देश के बीमा क्षेत्र के विकास का मूल्यांकन किया जाता है। बीमा पैठ को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के रूप में मापा जाता है, जबकि बीमा घनत्व को प्रति व्यक्ति प्रीमियम के रूप में। भारत में, बीमा पैठ 2001 में 2.7% से बढ़कर 2024 में 3.7% हो गई है, जबकि बीमा घनत्व $11.5 से बढ़कर $95 हो गया है। इसके विपरीत, 2024 में वैश्विक औसत बीमा पैठ 7% और बीमा घनत्व $889 है। यहां तक कि 2019 में, भारत की बीमा पैठ 3.76% थी, जो मलेशिया (4.72%), थाईलैंड (4.99%), और चीन (4.30%) से कम थी। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण 2020-2022 में कुछ वृद्धि देखी गई, लेकिन 2022-2024 में यह घटकर 3.7% हो गई, जो दर्शाता है कि बीमा कवरेज में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है।
100% एफडीआई से बीमा क्षेत्र पर प्रभाव
2000 में एफडीआई की शुरुआत के बाद से, भारत के बीमा क्षेत्र ने सितंबर 2024 तक ₹82,847 करोड़ का निवेश आकर्षित किया है। यह निवेश क्षेत्र की वृद्धि, संचालन में सुधार, और ग्राहक पहुंच बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वर्तमान में, 41 बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश है।
सरकार का लक्ष्य भारत के बीमा उद्योग की पूरी क्षमता को अनलॉक करना है, जो अगले पांच वर्षों में 7.1% की वार्षिक दर से बढ़ने का अनुमान है। एफडीआई की सीमा को 100% तक बढ़ाने से विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, प्रौद्योगिकी में सुधार होगा, और देशभर में बीमा पैठ में वृद्धि होगी।
ग्राहकों को होने वाले लाभ
बढ़ते विदेशी निवेश से बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धा होगी, जिससे बेहतर उत्पाद, उन्नत ग्राहक सेवा, और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण संभव होगा। इससे बीमा पैठ में सुधार होगा और सुरक्षा अंतराल कम होगा। हालांकि, विदेशी भागीदारी बढ़ने के बावजूद, भारतीय नियामक प्राधिकरण (IRDAI) और सरकारी नीतियां यह सुनिश्चित करेंगी कि उद्योग पॉलिसीधारकों के सर्वोत्तम हित में काम करे।
एफडीआई नियमों में संशोधन
विदेशी निवेशकों ने बीमा क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी की आवश्यकता जताई है, विशेषकर विश्वसनीय घरेलू भागीदारों की खोज में। इसलिए, सरकार एफडीआई नियमों में संशोधन पर विचार कर रही है, जिसमें प्रमुख प्रबंधन नियुक्तियों और बोर्ड संरचना से संबंधित प्रावधान शामिल हैं, ताकि विदेशी निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया जा सके।
निष्कर्ष
बजट 2025 में 100% एफडीआई की स्वीकृति से भारतीय बीमा उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती मिलेगी, जिससे ग्राहकों को बेहतर सेवाएं और उत्पाद मिलेंगे। यह कदम बीमा क्षेत्र के विकास, रोजगार सृजन, और आर्थिक समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
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