2024 के केंद्रीय बजट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने और किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। यह बजट ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसमें कृषि को आत्मनिर्भरता, नवाचार और जलवायु-लचीले मॉडल की ओर अग्रसर किया जा रहा है।
कृषि और ग्रामीण विकास को प्राथमिकता
कृषि बजट में इस बार ₹1.52 लाख करोड़ का आवंटन कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए किया गया है। इसके साथ-साथ ग्रामीण विकास के लिए ₹2.66 लाख करोड़ का प्रावधान है, जो दर्शाता है कि सरकार कृषि को सिर्फ खेती-बाड़ी तक सीमित न रखकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार का साधन बना रही है।
प्राकृतिक खेती और जैविक इनपुट केंद्रों की स्थापना
अगले दो वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती में शामिल किया जाएगा। यह कदम रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता कम करेगा और किसानों को कम लागत में बेहतर गुणवत्ता वाली उपज प्राप्त करने में मदद करेगा। इस पहल को ब्रांडिंग और प्रमाणन के साथ जोड़ा गया है, जिससे किसानों को अपनी उपज के लिए प्रीमियम दाम मिल सकेंगे।
सरकार ने 10,000 जैविक इनपुट केंद्रों की स्थापना का भी प्रस्ताव दिया है। ये केंद्र किसानों को सुलभ और पर्यावरण के अनुकूल खेती के संसाधन प्रदान करेंगे, जिससे टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा।
जलवायु परिवर्तन के अनुकूल किस्में और आत्मनिर्भरता पर जोर
जलवायु परिवर्तन से कृषि उत्पादन पर लगातार पड़ रहे प्रभावों को देखते हुए सरकार ने 32 फसलों की 109 नई जलवायु-लचीली और उच्च उत्पादक किस्मों को जारी करने का ऐलान किया है। इन फसलों के विकास से किसानों की आय में सुधार होगा और वे अनिश्चित मौसम की परिस्थितियों का सामना बेहतर ढंग से कर सकेंगे।
इसके साथ-साथ सरकार ने दालों और तेलबीजों में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़े सुधार किए हैं। सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, और सूरजमुखी जैसी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं बनाई गई हैं। इस पहल से न केवल भारत की आयात पर निर्भरता घटेगी, बल्कि किसानों को घरेलू बाजार में प्रतिस्पर्धी मूल्य भी मिलेंगे।
डिजिटल अवसंरचना और आधुनिक कृषि प्रबंधन
मोदी सरकार ने कृषि को डिजिटलीकरण से जोड़ने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं।
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI): इस नई व्यवस्था के तहत 400 जिलों में खरीफ फसलों का डिजिटल सर्वेक्षण किया जाएगा।
- किसान और भूमि पंजीकरण: छह करोड़ किसानों और उनकी भूमि का पंजीकरण इस प्रणाली में किया जाएगा, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों तक तेजी से पहुंचेगा।
- जन समर्थ आधारित किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): इस साल पाँच राज्यों में इस योजना को लागू करने का प्रस्ताव है, ताकि किसानों को आसान और सस्ते ऋण की सुविधा दी जा सके।
सहकारी समितियों और किसान संगठनों का प्रोत्साहन
सरकार किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और सहकारी समितियों के माध्यम से कृषि आपूर्ति श्रृंखला को बेहतर बनाने पर जोर दे रही है। यह पहल छोटे और सीमांत किसानों को एकजुट कर उनके उत्पादों का कुशल संग्रहण, विपणन और निर्यात सुनिश्चित करेगी। इसके अलावा, राष्ट्रीय सहकारिता नीति का प्रस्ताव सहकारी क्षेत्र में व्यवस्थित विकास और रोजगार सृजन के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।
मत्स्य पालन और कृषि प्रसंस्करण का विस्तार
मोदी सरकार ने मत्स्य पालन के क्षेत्र में भी निवेश बढ़ाने की योजना बनाई है। श्रिम्प ब्रूडस्टॉक के लिए नाभिकीय प्रजनन केंद्रों की स्थापना की जाएगी, जिससे मत्स्यपालन और प्रसंस्करण उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने और निर्यात को बढ़ावा देने में सहायक होगी। नाबार्ड के माध्यम से इस क्षेत्र में वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी।
आर्थिक स्थिरता और मुद्रास्फीति से निपटने का प्रयास
भारत में हाल के वर्षों में मौसम की अनिश्चितताओं और खाद्य मुद्रास्फीति ने किसानों की आय पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। बजट 2024 में कृषि के लिए बढ़ाए गए आवंटन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं।
उदाहरण के तौर पर, सरकार ने सब्जी उत्पादन के बड़े पैमाने के क्लस्टर विकसित करने का प्रस्ताव दिया है। ये क्लस्टर प्रमुख उपभोक्ता बाजारों के पास स्थापित किए जाएंगे, जिससे आपूर्ति श्रृंखला में सुधार होगा और किसानों को बेहतर मूल्य मिलेंगे।
महत्वपूर्ण सामाजिक पहल और किसानों का सशक्तिकरण
सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने के अपने वादे को पूरा करते हुए सभी प्रमुख फसलों के लिए उत्पादन लागत से 50% अधिक MSP की घोषणा की है। यह पहल किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने में मददगार होगी।
इसके अतिरिक्त, प्रधनमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अगले पाँच वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है, जिससे 80 करोड़ से अधिक लोगों को सस्ती खाद्य सामग्री मिल सकेगी। यह ग्रामीण और कृषि अर्थव्यवस्था को स्थिर करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
आत्मनिर्भर और नवाचारी भारत की दिशा में कदम
निःसंदेह मोदी सरकार का 2024 कृषि बजट एक व्यापक और दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह न केवल किसानों की वर्तमान समस्याओं का समाधान करता है, बल्कि कृषि को दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता और स्थिरता की ओर ले जाता है।
डिजिटल तकनीक, प्राकृतिक खेती, और जलवायु अनुकूल फसल किस्मों के माध्यम से यह बजट भारत की कृषि को एक नई दिशा दे रहा है। इसके साथ-साथ सहकारी संगठनों, किसान उत्पादक संगठनों और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित कर सरकार ने कृषि में नवाचार और रोजगार सृजन को गति दी है।
इस बजट के माध्यम से मोदी सरकार ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि कृषि केवल अन्न उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के आर्थिक विकास और ग्रामीण समृद्धि का आधार भी है। यह बजट ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।