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भारत के ‘अमृत काल’ हेतु ‘पंच प्रण’ का संकल्प

15 अगस्त को भारत को आजादी मिले 75 वर्ष पूर्ण हुए है। स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न भारत अमृत महोत्सव के रूप में मनाया रहा है।

आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी- आज़ादी की ऊर्जा का अमृत, आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी – स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत। आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी – नए विचारों का अमृत। नए संकल्पों का अमृत। आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी – आत्मनिर्भरता का अमृत। और इसीलिए, ये महोत्सव राष्ट्र के जागरण का महोत्सव है। ये महोत्सव, सुराज्य के सपने को पूरा करने का महोत्सव है। ये महोत्सव, वैश्विक शांति का, विकास का महोत्सव है। इस वर्ष लाल किले से देश के नाम अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत के विकास और भविष्य के लिए अगले 25 वर्ष बेहद महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने अपने भाषण में आजादी के ‘अमृत काल’ में ‘पंच प्रण’ के संकल्प का आह्वान किया है, जो देश की आजादी के 100 वर्ष पूरे होने पर देश की स्थिति के दिशादर्शक तत्व है। प्रधानमंत्री जी ने कहा की 2047 में देश की आजादी के 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे और इस पंच प्रण को स्वर्णिम काल तक हमे पूरा करना है।

‘पंच प्रण’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘विकसित भारत’, ‘गुलामी से मुक्ति’, ‘विरासत पर गर्व’, ‘एकता और एकजुटता’ और ‘नागरिकों का कर्तव्य’ को रखा है।

  1. विकसित भारत

प्रधानमंत्री मोदी के ‘पंच प्रण’ में पहला बड़ा संकल्प है- विकसित भारत। उन्होंने कहा कि अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा। छोटे-छोटे संकल्प का अब समय नहीं है। आने वाले 25 वर्षों में हमें किसी भी कीमत पर विकसित भारत चाहिए, उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि स्वच्छता अभियान, कोरोना वैक्सीनेशन अभियान, ढाई करोड़ लोगों को बिजली कनेक्शन, खुले में शौच से मुक्ति, रिन्यूअल एनर्जी, हम सभी मानकों पर संकल्प से आगे बढ़ रहे हैं। इन्हीं सभी बड़ी चीज़ों ने भारत के विकसित देश की नींव डाली है।

  1. गुलामी से मुक्ति

‘पंच प्रण’ में दूसरा संकल्प ‘गुलामी से मुक्ति’ है।  हमारे मन के भीतर किसी भी कोने में गुलामी का एक भी अंश न बचा रहे। यदि जरा भी गुलामी है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। उसे उखाड़ फेंकना है। सैकड़ों वर्षो की गुलामी ने जो हमें जकड़कर रखा है, हमें उससे 100 फीसदी मुक्ति पानी ही होगी। क्योंकि गुलामी किसी भी देश को दीमक की तरह धीरे-धीरे खा जाती है, जिसका लंबे समय बाद पता चलता है।

  1. विरासत पर गर्व

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हमें अपने देश की विरासत पर गर्व होना चाहिए। हमें अपने सामर्थ्य पर भरोसा होना चाहिए। इसी विरासत ने भारत को कभी स्वर्ण काल दिया था। हमें अपनी पारिवारिक व्यवस्था पर भी गर्व करना है। हमारी विरासत को विश्व मान  रहा  है। भारत की जीवनशैली से से विश्व  प्रभावित है। सबके सुख और सबके आरोग्य की बात करना हमारी विरासत की प्राथमिकता है। हम वे लोग हैं जो जीव में शिव देखते हैं। हमें विश्व  से किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं। देश को अपना एक मानक बनाना होगा। हम अपनी धरती से जुड़ेंगे, तभी ऊंचा उड़ेंगे। ग्लोवल वार्मिंग के हल के लिए समूचा विश्व भारत की ओर देख रहा  है। हमारे पास विश्व को देने के लिए बहुत कुछ है। भारत के पास अनमोल क्षमता है। हमारा अनुभव कहता है कि एक बार अगर हम सब संकल्प लेकर पथ पर चल पड़ें तो हम निश्चित ही निर्धारित लक्ष्यों को कैसे भी पार कर लेते हैं।

  1. एकता और एकजुटता

हमें अपनी देश की विविधता को बड़े उल्लास से मनाना चाहिए। लैंगिक समानता, फर्स्ट भारत, देश के श्रमिकों का सम्मान इसी कड़ी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। देश में नारी का अपमान एक प्रमुख विकृति है, जिससे निजात पाने का रास्ता हर हाल में खोजना ही होगा। जब हम अपनी धरती से जुड़ेगे, तभी हम ऊंची उड़ान भरेंगे तभी विश्व को समाधान दे पाएंगे। क्योंकि किसी देश की सबसे बड़ी ताक़त उस देश की एकता और एकजुटता में लीन होती है। अगर ये न हों तो देश के पतन की शुरुआत होने लगती है।

  1. नागरिकों का कर्तव्य

नागरिकों का कर्तव्य देश और समाज की प्रगति का रास्ता तैयार करता है। यह मूलभूत प्रणशक्ति है। देश के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति भी इससे बाहर नहीं हैं। बिजली की बचत, खेतों में मिलने वाले पानी का पूरा इस्तेमाल, केमिकल मुक्त खेती, हर कीमत पर भ्रष्टाचार से दूरी आदि हर क्षेत्र में नागरिकों की जिम्मेदारी और भूमिका बनती है। किसी देश का प्रत्येक नागरिक अगर अपना कर्तव्य निष्ठा पूर्वक निभाने लगे तो देश हमेशा मजबूती से खड़ा रहता है और हर क्षेत्र में आगे बढ़ता रहता है। आने वाले 25 वर्ष के लिए हमें भी उन पंच प्रण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करना होगा। हमें पंच प्रण को लेकर वर्ष 2047 तक चलना है, जब आजादी के 100 वर्ष पूरे होंगे। हमें आजादी के दिवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा।

गौरतलब है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इस बात को स्पष्ट किया कि आजादी के इतने दशकों के बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है। समस्याओं का समाधान समूचा विश्व  भारत की धरती पर खोजने लगा  है। विश्व का ये बदलाव, विश्व की सोच में ये परिवर्तन 75 वर्ष की हमारी यात्रा का परिणाम है। उन्होंने अपने इस ‘पंच प्रण’ के माध्यम से आने वाले 25 वर्षों का एक सुखद  ब्लू प्रिंट तैयार कर दिया है, जो यदि सफलतापूर्वक पूरा हो जाए तो वो दिन दूर नहीं जब हमारा देश विश्व शक्ति के  रूप में स्थापित हो जाएगा।

प्रधानमंत्री  जी अपने भाषण में लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए खुद अपनी सरकार समेत राज्य सरकारों के समूचे तंत्र को जो नसीहत दी है,वह बेहद महत्वपूर्ण  है। भारत की जनता को आकांक्षित जनमन बताते हुए उन्होंने कहा कि आकांक्षी समाज किसी भी देश की बहुत बड़ी शक्ति  होती है और हमें गर्व है कि आज भारत  के हर कोने में, हर समाज के हर वर्ग में, हर तबके में, असीम आकांक्षाएं है। देश का हर नागरिक स्तितिया  बदलना चाहता है, बदलते देखना चाहता है, लेकिन इंतजार करने को तैयार नहीं है। 75 वर्ष में संजोय हुए सारे सपने अपनी ही आंखों के सामने पूरा करने के लिए वो लालयित है, उत्‍साहित है।

वास्तव में प्रदानमंत्री जी के भाषण का निहितार्थ यह है की अमृतकाल में हमें अपनी महान सांस्कृतिक परंपराओं और उच्च नैतिक मूल्यों पर चलते हुए देश को स्वच्छ, स्वस्थ और खुशहाल बनाने के लिए एकजुट होकर काम करना है।

(लेखक कॉर्पोरेट लॉयर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

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