Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

भारत में तेज गति से बढ़ रही है नागरिकों की औसत आय

भारत में लगातार मजबूत हो रही आर्थिक स्थिति का असर अब देश के नागरिकों की औसत आय में वृद्धि के रूप में भी देखने को मिल रहा है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले नागरिक मध्यम वर्ग की श्रेणी में एवं मध्यम वर्ग की श्रेणी के नागरिक उच्च वर्ग की श्रेणी में स्थानांतरित हो रहे है। भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 से सम्बंधित आय कर विवरणियों के आंकड़ों का एक विशेष अध्ययन किया गया एवं इस अधय्यन के उपरांत कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले गए हैं।

इस संदर्भ में कुछ समय पूर्व जारी किए गए एक प्रतिवेदन के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 से सम्बंधित आय कर विवरणियों की संख्या रिकार्ड स्तर 7 करोड़ तक पहुंच गई है। वित्तीय वर्ष 2046-47 के लिए अनुमान लगाया गया है कि भारत में 48.2 करोड़ नागरिक आय कर विवरणियां फाइल कर रहे होंगे।

वित्तीय वर्ष 2012 से वित्तीय वर्ष 2023 के बीच निम्न स्तर की आय दर्शाने वाले नागरिकों में से 13.6 प्रतिशत नागरिक मध्यम श्रेणी की आय दर्शाने वाली श्रेणी में शामिल हो गए हैं। जबकि वित्तीय वर्ष 2024 से वित्तीय वर्ष 2047 के बीच निम्न स्तर की आय दर्शाने वाले नागरिकों में से 25 प्रतिशत नागरिक मध्यम श्रेणी की आय दर्शाने वाली श्रेणी में शामिल हो जाएंगे।

वित्तीय वर्ष 2014 में आय कर विवरणियां दाखिल करने वाले नागरिकों की औसत आय 4.4 लाख रुपए थी जो वित्तीय वर्ष 2023 में तीन गुना से भी अधिक बढ़कर 13 लाख रुपए हो गई है एवं वित्तीय वर्ष 2047 में और अधिक बढ़कर 49.7 लाख रुपए हो जाएगी। इसका कारण यह बताया गया है कि देश में हो रहे आर्थिक विकास का लाभ अब आम नागरिकों की आय में वृद्धि के रूप में दिखाई देने लगा है, जिसके चलते निम्न आय की श्रेणी के नागरिक उच्च आय की श्रेणी में शामिल हो रहे हैं।

दूसरे, आय कर विवरणियां दाखिल करने वाले नागरिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एक अनुमान के अनुसार, देश में आय कर विवरणियां दाखिल करने योग्य नागरिकों में से केवल 22.4 प्रतिशत नागरिक ही आय कर विवरणियां दाखिल कर रहे हैं जबकि वित्तीय वर्ष 2047 में यह संख्या बढ़कर 85.3 प्रतिशत होने जा रही है।

वित्तीय वर्ष 2023 में भारत में प्रति व्यक्ति आय 2 लाख रुपए प्रतिवर्ष (2500 अमेरिकी डॉलर) आंकी गई है जबकि वित्तीय वर्ष 2047 में यह बढ़कर 14.9 लाख रुपए प्रतिवर्ष (12,400 अमेरिकी डॉलर) होने जा रही है।

भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न आर्थिक कार्यक्रमों जैसे ‘स्किल इंडिया’ आदि के चलते प्रति व्यक्ति आय में उक्त वृद्धि होने जा रही है। साथ ही, भारत के लिए कई नए क्षेत्रों जैसे ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स’, ‘इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल्स’, ‘स्पेस टेक्नॉलजी’ डिफेन्स के क्षेत्र, आदि में अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं और इन क्षेत्रों में भारत का दबदबा बढ़ने की सम्भावना है।

साथ ही, वित्तीय वर्ष 2012 में कुल आय कर विवरणियां फाइल करने वाले नागरिकों में से 84.1 प्रतिशत नागरिकों ने कर निर्धारित की जाने वाली राशि से कम राशि (शून्य कर देयता राशि) की आय कर विवरणियां फाइल की थीं जबकि वित्तीय वर्ष 2023 में यह संख्या घटकर 64 प्रतिशत हो गई है, इससे भी यह झलकता है कि अब नागरिकों की औसत आय में वृद्धि हो रही है।

चीन में आर्थिक विकास की दर अब लगातार कम हो रही है, शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी की दर बढ़कर लगभग 20 प्रतिशत तक पहुंच गई है, चीन में विशेष रूप से कन्स्ट्रक्शन एवं बैंकिंग के क्षेत्र में विकराल समस्याएं आ रही हैं, इस क्षेत्र में कार्य कर रही बड़ी बड़ी कम्पनियों के डूबने का खतरा मंडरा रहा है। चीन का निर्यात लगातार कम हो रहा है। चीन की केंद्र एवं राज्य सरकारों ने इतना अधिक कर्ज लिया है कि अब इस कर्ज पर ब्याज चुकाने के लिए भी उन्हें कर्ज लेना पड़ रहा है।

चीन में युवाओं की आबादी कम होकर बुजुर्गों की आबादी लगातार बढ़ रही है। चीनी युवाओं का ही चीन की अर्थव्यवस्था पर अब भरोसा नहीं रहा है। इस माहौल में विदेशी निवेशकों ने चीन में निवेश करने से मुंह मोड़ लिया है। अब विदेशी निवेशक जापान, ताईवान एवं भारत जैसे देशों की ओर रूख कर रहे हैं। जापान में चूंकि युवाओं की आबादी बहुत कम है एवं बुजुर्गों की आबादी अधिक होती जा रही है अतः विदेशी निवेश को सम्हालने की ताकत जापान में अब पहिले जैसे नहीं रही है।

इसके साथ ही ताईवान एक छोटा देश है अतः अत्यधिक बढ़ी राशि के विदेशी निवेश ताईवान में करने की अपनी सीमाएं हैं। जबकि भारत में युवाओं की आबादी विश्व में सबसे अधिक है एवं भारत में उत्पादित वस्तुओं के लिए विश्व का सबसे बड़ा उपभोग बाजार उपलब्ध है। इस प्रकार कुल मिलाकर अब विदेशी निवेशकों को निवेश की दृष्टि से केवल भारत ही एक आकर्षण का केंद्र नजर आ रहा है।

विश्व बैंक के एक अनुमान के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या वर्तमान के 140 करोड़ के स्तर से वर्ष 2027 में 161 करोड़ के स्तर पर पहुंच जाएगी। वित्तीय वर्ष 2023 में भारत में 53 करोड़ नागरिक, कार्यशील जनसंख्या (15 से 64 वर्ष के बीच) की श्रेणी में शामिल है जबकि वित्तीय वर्ष 2047 में यह संख्या बढ़कर 172.5 करोड़ हो जाएगी। अर्थात, वित्तीय वर्ष 2023 में भारत की कुल जनसंख्या का 37.9 प्रतिशत भाग ही कार्यशील जनसंख्या की श्रेणी में शामिल है जो वित्तीय वर्ष 2047 में बढ़कर 45 प्रतिशत हो जाएगा।

साथ ही, कार्यशील जनसंख्या में से वित्तीय वर्ष 2023 में आय कर अदा करने की श्रेणी में 31.3 करोड़ नागरिक शामिल थे जो वित्तीय वर्ष 2047 में बढ़कर 56.5 करोड़ हो जाएंगे। यह वित्तीय वर्ष 2023 में कुल कार्यशील जनसंख्या का 59.1 प्रतिशत था और वित्तीय वर्ष 2047 में यह बढ़कर 78 प्रतिशत हो जाएगा।

युनाईटेड नेशन्स के एक अन्य अनुमान के अनुसार भारत में कार्यशील जनसंख्या (15 से 64 वर्ष के बीच) वर्ष 2040 तक बढ़ती रहेगी एवं अपने उच्चत्तम स्तर पर पहुंच कर इसके बाद घटनी शुरू होगी। वर्ष 2047 में भारत की कुल कार्यशील जनसंख्या का 22 प्रतिशत भाग ही कृषि क्षेत्र पर निर्भर रहेगा। वर्ष 2047 तक भारत की कुल कार्यशील जनसंख्या का अधिकतम हिस्सा (78 प्रतिशत) उद्योग एवं सेवा क्षेत्र में कार्यरत होगा जिससे इस वर्ग की औसत आय और अधिक तेजी से बढ़ने की संभावना व्यक्त की गई है।

(लेखक बैंकिंग क्षेत्र से सेवानिवृत्त हैं। स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)

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