भारतीय सेना में भर्ती को लेकर अब तक का सबसे बड़ा बदलाव हुआ है। आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में अब अग्निपथ स्कीम के तहत अग्निवीर की भर्ती होगी। ये सैनिक होंगे, लेकिन इनका रैंक मौजूदा रैंक से अलग होगा और ये अग्निवीर ही कहलाएंगे। ये अग्निवीर आर्मी, नेवी या एयरफोर्स में चार साल के लिए रहेंगे। इन अग्निवीरों में से ही अधिकतम 25 प्रतिशत को फिर बाद में सेना में स्थायी होने का मौका दिया जाएगा। पहले चरण में आर्मी के लिए 40 हजार, नेवी के लिए 3 हजार और एयरफोर्स के लिए 3 हजार 500 अग्निवीरों की भर्ती होगी।
वास्तव में यह योजना अभूतपूर्व है, इससे सेना भविष्य की चुनौतियों से बेहतर ढंग से निपट सकेगी। आर्मी में अभी सैनिकों की औसत उम्र 32 वर्ष है। अग्निवीरों के आने के बाद 6-7 वर्ष में औसत उम्र 26 वर्ष हो जाएगी और आर्मी ज्यादा युवा और फिट होगी। युवा हर दिन बदलती तकनीक को जल्दी सीखेंगे। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय सेना को विश्व की बेहतरीन सेना बनाने के लिए अग्निपथ नाम की ऐतिहासिक योजना लाई गई है। उन्होंने कहा कि युवा नई टेक्नॉलजी जल्दी सीखेंगे और उनका फिटनेस का स्तर भी अच्छा रहेगा। इससे रोजगार के मौके बढ़ेंगे। भारतीय अर्थव्यवस्था को भी हायर स्किल्ड वर्कफोर्स मिलेगी।
“अग्निपथ योजना समय की जरूरत है। भारत के आसपास माहौल बदल रहा है। बदलते समय के साथ सेना में बदलाव जरूरी है। इसे एक नजरिए से देखने की जरूरत है। अग्निपथ अपने आप में एक स्टैंडअलोन योजना नहीं है। 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आए, तो उनकी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक भारत को सुरक्षित और मजबूत बनाना था। ये योजना उसी का एक हिस्सा है।”
“देश को सुरक्षित करने के लिए तकनीक, हाईटेक हथियार, सिक्योर डिफेंस कम्युनिकेशन के क्षेत्र में काफी काम हुआ है। हमने नई-नई तकनीक का प्रयोग शुरू किया है। यहां तक की हमने स्पेस पॉवर में भी बड़ी सफलता हासिल की है। इसको ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा युवाओं की जरूरत पड़ेगी जो तकनीक के मामले में दक्ष होते हैं। अग्निपथ योजना इसी का एक हिस्सा है। इससे हमें बड़ी संख्या में टेक फ्रेंडली युवा मिलेंगे।”
“यह कितना बड़ा विरोधाभास है कि भारत की जनसंख्या विश्व में सबसे युवा है लेकिन उसकी सेना सबसे ज्यादा उम्रदराज है। अग्निवीर से कभी पूरी आर्मी नहीं बनेगी। सेना अग्निवीरों को चार वर्ष तक परखेंगे और तब पता चलेगा कि वो कौन से 25 प्रतिशत अग्निवीर हैं जिन्हें आगे ले जाना है। परमानेंट सर्विस वाले अग्निवीरों को हर तरह की ट्रेनिंग दी जाएगी।
यह गौरतलब है की 22-23 वर्ष का युवक चार वर्ष अग्निवीर के रूप में सेवा देकर जब नियमित नौकरी में आना चाहेगा तो उसकी तुलना उस युवक से कीजिए जो अग्निवीर नहीं बना। जो अग्निवीर अपने प्रतिस्पर्धी के मुकाबले हर मोर्चे पर आगे रहेगा। इसलिए उसके पास कोई मार्ग बंद नहीं हुआ है। उसके पास करीब 11 लाख रुपये भी हैं। यदि वह चाहे तो पढ़ाई कर सकता है, कोई व्यवसाय कर सकता है।
“सेना में चार साल बिताने के बाद अग्निवीर जब वापस जाएगा तो वह स्किल्ड और ट्रेन्ड होगा। वह समाज में सामान्य नागरिक की तुलना में कहीं ज्यादा योगदान कर पाएगा। पहला अग्निवीर जब रिटायर होगा तो 25 साल का होगा। उस वक्त भारत की इकनॉमी 5 ट्रिलियन डॉलर की होगी। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को ऐसे लोग चाहिए होंगे। सेंट्रल आर्म्ड फोर्सेज, राज्य पुलिस समेत अन्य कई भर्तियों में ऐसे ट्रेंड युवाओं की जरूरत होगी। सभी विभागों ने पहले ही अग्निवीरों को नौकरी में वरीयता देने का एलान कर दिया है।”
वास्तव में कुछ विपक्षी राजनैतिक दलों की तरफ से योजना को लेकर संशय भी पैदा किया गया है, जैसे अग्निवीरों का चार साल बाद क्या होगा? उन्हें अनुबंध/संविदा (कांट्रेक्ट) पर क्यों रखा जा रहा है? पेंशन की क्या व्यवस्था रहेगी? चार सालों में क्या यह सभी कुशल सैनिक बन पाएंगे? इत्यादि।
आमतौर पर आशंका तो किसी भी बात पर व्यक्त की जा सकती है। मगर उसे अराजक हिंसक हमलों में तब्दील करना लोकतांत्रिक नहीं है। किसी भी आशंका के समाधान के लिए संसद है, वहां इसपर व्यापक बातचीत की जा सकती है।
अग्निपथ योजना का विरोध समझ से परे है। यह योजना स्वैच्छिक है। सेना किसी को उसकी इच्छा के विरुद्ध इसमें नहीं ले रही है। करियर के अन्य विकल्प बंद नहीं किए जा रहे हैं। ऐसे में विरोध का यह तरीका सही नहीं है, जो देखने में आ रहा है। सेना के लिए ऐसे युवा कतई फिट नहीं माने जा सकते हैं। उनका मानसिक स्तर ऐसा नहीं है, जिसकी सेना में जरूरत होती है। गाड़ियों व ट्रेनों को जलाकर युवा स्वयं का और देश का नुकसान कर रहे हैं। अगर आपको पसंद नहीं है, तो मत आइए फौज में, किसी और को मौका मिलेगा। देश को ऐसी फौज चाहिए, जो अच्छी तरह से लड़ सके। समझदार, तकनीकी तौर पर कुशल और मानसिक तौर पर मजबूत साहसी जवान सेना के लिए सबसे बेहतर साबित होते हैं।
हमे अग्निपथ योजना को भारतीय सेना के आधुनिकीकरण और सुधार के तौर पर देखना चाहिए । यह निर्णय भारत की वर्तमान परिस्थिति और आवश्यकता को देखते हुए लिया गया है। देश के सामाजिक, आर्थिक, तकनीकी और बदले परिदृश्यों को देखते हुए ऐसा करना आवश्यक था। सभी को यह समझना चाहिए कि भविष्य में जिस तरह की चुनौतियां होंगी और देश जिस तरह की लड़ाई लड़ने जा रहा है, उन्हें देखते हुए ऐसे परिवर्तन आवश्यक हैं।
(लेखक कॉर्पोरेट लॉयर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)
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