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बड़े बाजार के रूप में स्थापित होने के बाद अब वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित होता भारत

वैश्विक स्तर पर भारत एक बड़े बाजार के रूप में स्थापित होने के बाद अब एक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित हो रहा है। आज चीन के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर कम हो रही है, इसके ठीक विपरीत भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर लगातार बढ़ रही है। चीन में हाल ही के समय में कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का विदेशी निवेश चीन से बाहर निकाल लिया है।

ये बहुराष्ट्रीय कम्पनियां चीन में अपनी विनिर्माण इकाईयों को बंद कर अन्य देशों की ओर रूख कर रही हैं। इनमें से अधिकतर बड़ी बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत की ओर भी आ रही हैं एवं अपनी विनिर्माण इकाईयों की स्थापना यहां कर रही हैं। अब तो भारत का “मेक इन इंडिया” ब्राण्ड चीन के “मेड इन चाइना” ब्राण्ड पर भारी पड़ता दिखाई दे  रहा है।

विभिन्न प्रकार के आईफोन, लैपटॉप, टेबलेट आदि उच्चत्तम स्तर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद का निर्माण करने वाली विश्व की सबसे बड़ी कम्पनियों में से एक “ऐपल” भारत में अपनी विनिर्माण इकाईयों की स्थापना कर रही है एवं आईफोन का निर्माण तो भारत में प्रारम्भ भी कर दिया है। वर्ष 2024 में ऐपल कम्पनी भारत में एक लाख करोड़ रुपए के आई फोन का उत्पादन करेगी, ऐसी योजना इस कम्पनी ने बनाई है। इन आईफोन का न केवल भारत में निर्माण किया जा रहा है बल्कि भारत में निर्मित इन आईफोन को विश्व के कई देशों, विकसित देशों सहित, को निर्यात भी किया जा रहा है।

वर्ष 2014 में भारत में केवल 6 करोड़ मोबाइल फोन का निर्माण प्रतिवर्ष हो रहा था जो आज बढ़कर 30 करोड़ से अधिक मोबाइल फोन प्रतिवर्ष हो गया है। इसी प्रकार चीन, जापान एवं दक्षिण कोरिया की सबसे बड़ी कम्पनियों में से एक “सैमसंग” नामक बहुराष्ट्रीय कम्पनी भी भारत में ही मोबाइल फोन का निर्माण कर रही है और अपने ही देश यथा जापान एवं दक्षिण कोरिया को मोबाइल फोन का भारत से निर्यात भी कर रही है।

अर्थात, इन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा भारत में उत्पादों का निर्माण कर अपने ही देश को भारत से निर्यात किया जा रहा है। 4 वर्ष पूर्व तक भारत अपनी मोबाइल फोन की कुल आवश्यकता का 81 प्रतिशत भाग अन्य देशों से आयात करता था परंतु अब अपने देश में 100 प्रतिशत आपूर्ति करने के बाद अपने कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत भाग निर्यात करता है।

अमेरिका की “डेल” एवं “एचपी” नामक बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भी भारत में आईटी हार्डवेयर का निर्माण करने हेतु विनिर्माण इकाईयों की स्थापना कर रही हैं। अमेरिका की इन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को भारत में विनिर्माण इकाई स्थापित करने हेतु अनुमति भी मिल चुकी है।

चीन की एक “लेनोवो” नामक कम्पनी भी भारत में आईटी हार्डवेयर निर्माण हेतु एक इकाई की स्थापना करने जा रही है। जबकि उक्त समस्त बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की चीन में विनिर्माण इकाईयां पूर्व से ही स्थापित हैं, परंतु अब चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के उद्देश्य से चीन+1 पॉलिसी के तहत यह समस्त कम्पनियां भारत में भी अपनी विनिर्माण इकाईयों की स्थापना कर रही हैं।

इसी प्रकार, ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में भी भारत विनिर्माण केंद्र के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। अब भारत में निर्मित कारें पूरी दुनिया में बिक रही हैं। जापान की बहुत बड़ी कार निर्माता कम्पनी “सुजुकी” नामक बहुराष्ट्रीय कम्पनी भारत में कारों का निर्माण कर विश्व के 100 से अधिक देशों को निर्यात कर रही है। जापान की हुण्डाई, होण्डा एवं सुज़ुकी नामक बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत को अपना ऑटोमोबाइल केंद्र बना रही हैं। हुण्डाई तो भारत में अपने कुल उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत भाग निर्यात कर रही है। ये समस्त कम्पनियां जापान की हैं और भारत में करों का निर्माण कर जापान को ही निर्यात कर रही हैं।

कपड़ों के निर्माण करने वाले बड़े बड़े अंतरराष्ट्रीय ब्राण्ड भी कपड़ों का उत्पादन करने हेतु अपनी विनिर्माण इकाईयों की स्थापना भारत में कर रही हैं। आज भारत से भारी मात्रा में कपड़ों का निर्यात पूरे विश्व को किया जा रहा है। दवाईयों एवं टीकों के निर्माण के क्षेत्र में भारत पहिले से ही वैश्विक स्तर पर एक शक्ति के रूप में अपने आप को स्थापित कर चुका है।

हाल ही के समय में, भारत सुरक्षा के क्षेत्र में भी अपनी पैठ बना रहा है एवं भारत ने 85 देशों को 16,000 करोड़ रुपए के उपकरण एवं हथियार निर्यात किए हैं। सेमी-कंडकटर चिप का निर्माण करने वाली बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भी अब भारत में अपनी विनिर्माण इकाईयां स्थापित करने जा रही हैं। “मेक इन इंडिया” अब बहुत बड़ी ताकत बनता जा रहा है।

उक्त वर्णित कारकों के चलते वित्तीय वर्ष 2023-24 की द्वितीय तिमाही (जुलाई-सितम्बर 2023) के दौरान भारत में उद्योग के क्षेत्र में 13.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है जबकि विनिर्माण के क्षेत्र में 13.9 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज हुई है और इससे उद्योग के क्षेत्र में भी अब रोजगार के भरपूर अवसर निर्मित हो रहे हैं।

(लेखक बैंकिंग क्षेत्र से सेवानिवृत्त हैं। स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)

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