जिस समय यह पंक्तियाँ लिखी जा रही हैं, सब ओर नए संसद भवन के उद्घाटन के चित्र छाए हुए हैं. मोदी पूजन में बैठे हैं, सेंगोल को स्थापित कर रहे हैं. इन 9 सालों में भारत की जनता ने देखा कि मोदी बड़े से बड़े प्रोजेक्ट का शिलान्यास करते हैं, और लोकार्पण भी. इसके पहले यह परंपरा नहीं रही. देश में लाखों शिलान्यास के धूल धूसरित पत्थर हैं जो दशकों से काम शुरू होने का इंतज़ार कर रहे हैं.
मोदी ने इतना कुछ बदल दिया है कि विपक्ष हतप्रभ है, उसे पैर जमाने के लिए जमीन नहीं मिल रही है. दुनिया की भारत को देखने की दृष्टि बदल चुकी है. मोदी स्वयं वैश्विक नेताओं की कतार में अग्रिम पंक्ति में सहजता से खड़े हुए हैं. दुनिया के ताकतवर नेता भारत के प्रधानमंत्री को “बॉस” कहकर बुला रहे हैं, उनका ऑटोग्राफ माँग रहे हैं, दुनिया के जटिल मामलों में हस्तक्षेप करने का आग्रह कर रहे हैं. कृतज्ञता से झुके नेता, पैर छू रहे हैं. देखने में लगता है कि इन 9 सालों में भारत की दिशा 90 डिग्री घूम गई है.
जब मोदी ने सत्ता संभाली थी, और पहला दौरा नेपाल का किया था, तब दुनिया ने देखा था कि स्वाधीन भारत में जन्मा भारत का पहला प्रधानमंत्री अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव को लेकर बेहिचक है. तब से विश्व योग दिवस, गंगा आरती, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, महाकाल कॉरिडोर, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर शिलान्यास, नयी संसद का लोकार्पण से लेकर विदेशी मेहमानों को गीता भेंट करने की नई परंपरा तक यह स्थापित हो चुका है कि मोदी को अपनी जड़ों का गौरव है.
तुष्टिकरण से मुक्त, विकास और सुसाशन के मूल मंत्र के कारण, विपक्ष मोदी की बनाई नयी पिच पर खेलने को मजबूर है. इधर मोदी पर विपक्ष के आरोप लगते रहे, उधर भाजपा में दूसरी पीढ़ी का नेतृत्व सामने आता गया. देश की राजनीति इस कदर बदली है कि कांग्रेस और अन्य कई दल दोबारा पैरों पर खड़े होते नहीं दीखते.
मोदी ‘ट्रेंड सेटर’ के रूप में उभरे हैं. मोदी कुर्ता, मन की बात, चाय पर चर्चा, स्वच्छ भारत अभियान इसका प्रमाण हैं कि मोदी के स्पर्श से कोई भी अभियान, कोई भी चीज ब्रांड बन जाती है. शौचालय निर्माण , प्रधानमंत्री आवास योजना, जनधन खाते , स्वास्थ्य योजनाएँ, 1 रुपए में बीमा और डिजिटल लेनदेन ऐसी योजनाएँ हैं जिन्होंने भारत को सदा के लिए बदल दिया है.
डिजिटल लेनदेन पर कभी चिदंबरम ने संसद में कहा था कि एक सब्जी वाला, एक खोमचे वाला डिजिटल लेनदेन कैसे करेगा? आज सब्जी वाले या खोमचे वाले को डिजिटल भुगतान करते हुए हमें ख्याल भी नहीं आता कि कुछ साल पहले ही यह अकल्पनीय था. 2014 से आज तक मोबाइल डाटा 30 गुना सस्ता हो गया है. मोबाइल उत्पादन नेट की रफ़्तार से त्वरित हुआ है. भारत में वंदे भारत रफ़्तार पकड़ रही है उधर साधन संपन्न देशों की रेलवे पटरियों पर भारत में बनीं रेलवे की बोगियां दौड़ रही हैं.
नई मानसिकता, नए क्षेत्र, नई अवसंरचना और नई प्रक्रियाएं, इन चार आधारों पर 2014 में शुरू हुआ मेक इन इंडिया अब उत्पादकों देशी-विदेशी निवेशकों की जुबान पर चढ़ गया है. ज़रूरत महसूस होने पर कुछ प्रमुख क्षेत्रों को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोला गया, रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया और एफडीआई ( प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को) सीमा को 26% से 49% तक बढ़ाया गया. सावधानीपूर्वक केवल उच्च प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति दी गई.
इसी तरह, रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव में “स्वचालित मार्ग” के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई. बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी गई. इसके परिणाम भी चारों ओर दिखने लगे हैं. आधारभूत ढाँचा बेहद मजबूत हुआ. अब हम चार और आठ लेन वाली सड़कों के आदि हो गए हैं. बंदरगाह तेजी से ज्यादा से ज्यादा शहरों से तेज रफ़्तार वाली सड़कों के माध्यम से जुड़ रहे हैं. मोदी के पहले 70 सालों में देश में 70 एयरपोर्ट बने, प्रधानमंत्री मोदी के 9 साल के शासनकाल में 155 एयरपोर्ट बने.
स्टार्टअप याने वो कंपनी जो पांच साल से अधिक समय से पंजीकृत नहीं है , जिसका सालाना कारोबार किसी भी वित्तीय वर्ष में 25 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है,जो प्रौद्योगिकी सेवा यया बौद्धिक सम्पदा के उत्पादों को बेचती है. 2016 में स्टार्टअप इंडिया योजना प्रारंभ हुई. तब के 442 स्टार्टअप्स साल 2023 में (28 फरवरी 2023 तक) 92,683 की संख्या को छू रहे हैं. यूनीकॉर्न अर्थात एक बिलियन डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले स्टार्टअप. 108 यूनीकॉर्न की संख्या के साथ भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर आ गया है.
सुरक्षा के क्षेत्र में भारत की स्थिति इन 9 सालों में बेहद मजबूत हुई है. मंदिर, ट्रेन, बस, बाज़ार में बम धमाकों के दौर 2014 में समाप्त हो चुके हैं. भारत-पाक सीमा मामले में अब पाकिस्तान चिंतित है. सेना बंधन मुक्त हैं, गोली के जवाब में तोपखाना सक्रिय हो जाता है. दो सर्जिकल स्ट्राइक केवल आतंकियों पर नहीं दुश्मन फौज की मानसिकता पर भी हुई हैं. पाकिस्तान में बैठकर भारत में खुराफात करवाने वाले दुर्दांत आतंकी एक-एक करके रहस्यमयी तरीके से मारे जा रहे हैं.
पाकिस्तान की आतंकी फंडिंग पर मुश्कें कसी जा रही हैं, आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक उसे खून के आँसू रुला रहे हैं. चीन को डोकलाम और गलवान में दोहरा सबक मिला है. हिंद महासागर में भारत ने जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर हिंद महासागर और प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित बनाया है. इस बीच रक्षा उत्पादन इतिहास में शीर्ष पर है और भारत की रक्षा खरीद देखकर दुनिया अचरज में है. कहने की आवश्यकता नहीं कि मोदी के पिछले 9 साल चीन और पाकिस्तान को बहुत भारी महसूस हुए हैं. इन 9 सालों में भारत कई सौ कदम आगे आया है.
लेखक श्यामा प्रसाद रिसर्च फाउंडेशन में सीनियर रिसर्च फैलो हैं.