प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ऐसे ही गरीबों का मसीहा नहीं कहा जाता है। वह गरीबों के उत्थान के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। बीते 10 वर्षों के मोदी सरकार के कार्यकाल में गरीबों के कल्याण के लिए नीतियां और योजनाएं बनीं और उन्हें पूरी ईमानदारी के साथ लागू भी किया गया। इतना ही नहीं योजनाओं के क्रियान्वयन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पैनी नजर भी होती है और वे निरंतर लाभार्थियों से सीधे संवाद कर योजनाओं पर उनका फीडबैक भी लेते हैं। प्रधानमंत्री की सजगता की वजह से जहां योजनाओं का पूरा लाभ गरीबों को मिल रहा है, वहीं गरीबों की संख्या में तेजी से कमी भी आ रही है। नीति आयोग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले दस वर्षों में 25 करोड़ से अधिक लोग गरीबी से बाहर आए हैं। पिछले एक दशक के दौरान भारत का आर्थिक सफर उल्लेखनीय प्रगति से भरा रहा है। विकास की रफ़्तार तेज कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने तक के सफ़र से पता चलता है कि देश उत्साह और आत्मविश्वास के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। पिछले 10 वर्षों के दौरान गरीबों के जीवन एवं आजीविका में सुधार के लिए समर्पित और निरंतर प्रयास किए गए हैं। भारत बहुआयामी गरीबी को आधा करने के अपने सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को 2030 से पहले हासिल करने की ओर बढ़ रहा है। समाज के वंचितों और हाशिए के लोगों के उत्थान की दिशा में मोदी सरकार के पिछले दस वर्षों के दौरान उल्लेखनीय बदलाव आया और इस बदलाव को कई प्रभावशाली योजनाओं के जरिये स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। इसकी बदौलत देश भर में समावेशी विकास कर 2047 तक विकसित भारत की एक ठोस बुनियाद रखी गई है।
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत हर महीने 80 करोड़ से अधिक परिवारों को मुफ्त अन्न मिल रहा है।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण एवं शहरी) के तहत 4 करोड़ से अधिक पक्के मकान बनाए गए।
- सौभाग्य योजना के तहत 2.8 करोड़ घरों तक बिजली पहुंचाई गई।
- सरकार द्वारा वित्त पोषित दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम आयुष्मान भारत – पीएम जन आरोग्य योजना के तहत अस्पताल में भर्ती होने के लिए प्रति परिवार 5 लाख रुपये के बीमा कवर के साथ 55 करोड़ लाभार्थियों को लक्षित किया गया है।
- जल जीवन मिशन के तहत 14.50 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन प्रदान किया गया।
- पीएम उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन की बदौलत 10 करोड़ से अधिक महिलाएं को मिला स्वस्थ जीवन।
- स्वच्छ भारत मिशन के तहत लगभग 12 करोड़ शौचालय बनाए गए।
- लगभग 52 करोड़ जन धन खातों ने वित्तीय समावेशन के द्वार खोले।
- पीएम स्वनिधि योजना के तहत 62 लाख से अधिक शहरी रेहड़ी-पटरी वालों को करीब 11,000 करोड़ रुपये का बिना किसी गारंटी के ऋण प्रदान किया गया।
- दीनदयाल अंत्योदय योजना– राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत अब तक 10.04 करोड़ महिलाओं को 90.76 लाख स्वयं सहायता समूहों में शामिल किया गया।
सामाजिक सुरक्षा एवं सशक्तिकरण
पिछले एक दशक के दौरान सामाजिक सुरक्षा के प्रति भारत के दृष्टिकोण में उल्लेखनीय बदलाव आया है। इस बदलाव ने देश भर में मानव विकास के लिए एक ठोस आधार तैयार किया है। पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) जैसे कार्यक्रमों ने लोगों को मुफ्त अनाज प्रदान करते हुए देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है। इसी प्रकार पीएम उज्ज्वला योजना मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन प्रदान करती है, आयुष्मान भारत योजना सार्वभौम स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करती है, जल जीवन मिशन के तहत लोगों के घर तक नल के जरिये पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हुई, पीएम-आवास योजना के जरिए किफायती मकानों की गारंटी मिली। इन सभी योजनाओं ने बदलाव को रफ्तार दी।
- खाद्य सुरक्षा: पीएमजीकेएवाई एक सामाजिक कल्याण योजना है, जिसका उद्देश्य खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है। योजना के तहत 80 करोड़ से अधिक नागरिकों को हर महीने मुफ्त अन्न उपलब्ध कराया जाता है।
- स्वच्छ भारत मिशन: स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण के तहत लगभग 12 करोड़ शौचालय और 2.33 लाख सामुदायिक शौचालय परिसरों का निर्माण हुआ है। इस व्यापक स्वच्छता कवरेज ने न केवल स्वच्छता एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार किया है, बल्कि महिलाओं को सम्मान प्रदान करते हुए उन्हें सशक्त भी बनाया।
- जल जीवन मिशन: जल जीवन मिशन के तहत 3.23 करोड़ से बढ़कर अब तक 14.50 करोड़ परिवारों को नल कनेक्शन दिया जा चुका है। अब देश में करीब 75 प्रतिशत भारतीय परिवारों को नल जल की सुविधा और स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है।
- आवास: प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण एवं शहरी) ने ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों के लिए क्रमशः 3.31 करोड़ और 81.03 लाख मकानों का निर्माण करते हुए किफायती आवास की आवश्यकता को पूरा किया है।
- स्वच्छ रसोई ईंधन: पीएम उज्ज्वला योजना के तहत 10.3 करोड़ से अधिक एलपीजी कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। इससे गरीब परिवार भी स्वच्छ रसोई ईंधन का उपयोग कर पा रहा है। महिलाओं को स्वस्थ जीवन सुनिश्चित हुआ है।
- बिजली: विकास के लिए बिजली की उपलब्धता आवश्यक है। सौभाग्य योजना के तहत बिना बिजली वाले 2.81 करोड़ से अधिक परिवारों को बिजली उपलब्ध कराई गई है।
किफायती स्वास्थ्य
भारत में स्वास्थ्य सेवा, खासकर वंचितों के लिए इसकी पहुंच और सामर्थ्य लंबे समय से गंभीर चुनौतियां रही हैं। लेकिन, भारत ने अपने नागरिकों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा को किफायती एवं सुलभ बनाने के लिए एक परिवर्तनकारी यात्रा शुरू की है, जो अनवरत जारी है। इस यात्रा को स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे की मजबूती, वित्तीय बोझ में कमी और घर के आसपास गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता पर केंद्रित विभिन्न प्रभावशाली कार्यक्रमों से गति मिल रही है।
- आयुष्मान भारत योजना: यह योजना 55 करोड़ से अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती होने के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य कवरेज प्रदान कर रही है। अब तक 33 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं और 81,979 करोड़ रुपये खर्च के साथ 6.50 करोड़ से अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की सुविधा प्रदान की गई है। यह योजना लोगों को देश भर के अस्पतालों में कैशलेस चिकित्सा सेवा भी प्रदान कर रही है।
- आयुष्मान आरोग्य मंदिर: 1.69 लाख से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को आयुष्मान आरोग्य मंदिर (पूर्व में एबी-एचडब्ल्यूसी) में अपग्रेड किया गया है। अब तक 22 करोड़ से अधिक मरीजों ने इन केंद्रों के जरिये ई-संजीवनी ओपीडी सेवाओं का लाभ लिया है। ई-संजीवनी ओपीडी के तहत टेलीमेडिसिन परामर्श की सुविधा प्रदान की गई है।
- दवाओं को किफायती बनाना: भारत सरकार ने अब तक देश भर में 11,096 जन औषधि केंद्र स्थापित किए हैं। इन दवा दुकानों पर आवश्यक दवाएं बाजार मूल्य के मुकाबले 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती दरों पर उपलब्ध होती हैं। इससे कम आय वाले परिवारों के खर्च में कमी आई है। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) ने देश के आम नागरिकों के लिए करीब 24,000 करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है।
- घातक बीमारियों से मुकाबला: राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम जैसी पहल के प्रभावशाली परिणाम मिले हैं। वर्ष 2015 से 2022 के बीच टीबी के मामलों में 16 प्रतिशत की कमी आई है और मृत्यु दर में 18 प्रतिशत की कमी आई है।
- मातृ स्वास्थ्य: प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के तहत लाभार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के जरिये सीधे तौर पर नकद प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। इस योजना के तहत 3.32 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को 14,888 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है
वित्तीय समावेशन
पिछले एक दशक के दौरान देश में वित्तीय समावेशन एवं सामाजिक कल्याण की दिशा में जबरदस्त बदलाव आया है। मोदी सरकार ने वित्तीय सेवाओं तक पहुंच को प्राथमिकता देकर आर्थिक रूप से कमजोर आबादी के लिए सुरक्षा व्यवस्था के जरिये कहीं अधिक समावेशी एवं सुरक्षित समाज को बढ़ावा देकर लाखों लोगों और परिवारों को सशक्त बनाया है। पीएम जन धन योजना जैसे सरकारी कार्यक्रम ने वंचित लोगों को बैंकिंग सेवाओं तक पहुंचाकर वित्तीय खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पीएम जीवन ज्योति योजना और पीएम सुरक्षा बीमा योजना किफायती दरों पर जीवन बीमा और दुर्घटना बीमा प्रदान कर रही है। अटल पेंशन योजना बचत को प्रोत्साहित करती है, पीएम श्रम योगी मानधन योजना एवं पीएम किसान मानधन योजना असंगठित श्रमिकों एवं किसानों के लिए पेंशन सुनिश्चित करती हैं।
- सुगम जीवन एवं दुर्घटना बीमा: कम आय वाले परिवारों की वित्तीय सुरक्षा संबंधी महत्वपूर्ण जरूरतों को समझते हुए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) बेहद किफायती दरों पर जीवन बीमा एवं दुर्घटना बीमा प्रदान करती हैं। अब तक 18 करोड़ लोगों को पीएमजेजेबीवाई के साथ और 42.45 करोड़ लोगों को पीएमएसबीवाई से सशक्त बनाया गया है। इससे कम आय वाले परिवारों के सदस्यों की मृत्यु होने या दिव्यांगता जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से उबरने में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच मिला है।
- भविष्य को सुरक्षित करना: अटल पेंशन योजना खास तौर पर स्वरोजगार एवं अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों के बीच सेवानिवृत्ति के लिए नियमित बचत को प्रोत्साहित करती है। इसके तहत अब तक 20 करोड़ सबस्क्राइबर्स जुड़ चुके हैं। इससे बुढ़ापे के लिए वित्तीय स्वतंत्रता एवं सम्मान सुनिश्चित होता है।
- असंगठित श्रमिकों के लिए पेंशन: असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझते हुए पीएम श्रम योगी मानधन योजना 60 वर्ष की उम्र के बाद प्रति माह 3,000 रुपये का पेंशन सुनिश्चित करती है। योजना के तहत 7 लाख पंजीकरण हो चुके हैं और यह उन लाखों श्रमिकों के लिए बेहद आवश्यक सामाजिक सुरक्षा एवं संतुष्टि प्रदान करता है जो अक्सर पारंपरिक पेंशन योजनाओं से बाहर होते हैं।
रोजगार एवं कौशल विकास
बीते 10 वर्षों में भारत ने अपने रोजगार परिदृश्य में जबरदस्त बदलाव देखा है। यह विकास आर्थिक सुधारों, तकनीकी प्रगति और कौशल विकास पर जोर सहित मोदी सरकार के विभिन्न योजनाओं का नतीजा है। कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने वाले विभिन्न ढांचागत सुधार मौजूदा दशक में उत्पादक रोजगार सृजन के लिए महत्वपूर्ण हैं। ‘मेक इन इंडिया’ विदेशी निवेश को आकर्षित करते हुए घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दे रहा है जिससे नए रोजगार सृजित हो रहे हैं। कारोबारी सुगमता जैसे सुधारों के जरिये नियमों को उपयुक्त और प्रक्रियाओं को सरल बनाने से उद्यमशीलता एवं छोटे व्यवसायों को बढ़ावा मिला है। डिजिटल इंडिया जैसी पहल ने डिजिटल क्रांति को बढ़ावा दिया है। जिसने सूचना प्रौद्योगिकी, ई-कॉमर्स एवं अन्य डिजिटल क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर प्रदान किए हैं। भारत का आर्थिक उत्थान महज वृहद आर्थिक आंकड़ों पर ही नहीं, बल्कि यह अपने नागरिकों को उपयुक्त कौशल एवं रोजगार क्षमता के साथ सशक्त बनाने पर भी केंद्रित है।
- पीएम कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई): इस योजना के तहत विभिन्न क्षेत्रों में अब तक 4 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। पीएम कौशल विकास योजना उद्योग के अनुकूल कौशल प्रशिक्षण एवं प्रमाणन के जरिये लोगों के लिए बेहतर रोजगार के अवसर सुनिश्चित कर उनकी आजीविका में सुधार लाने का काम कर रही है।
- स्किल इंडिया डिजिटल प्लेटफॉर्म: यह प्लेटफॉर्म भारत में सभी कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए वन-स्टॉप शॉप के रूप में कार्य करता है।
- राष्ट्रीय अप्रैंटिसशिप संवर्धन योजना (एनएपीएस): योजना के तहत 9 लाख अप्रैंटिस के साथ युवाओं को बेहद आवश्यक व्यावहारिक अनुभव और उद्योग में अनुभव हासिल करने का अवसर प्रदान किया जा रहा है।
- शिल्पकार प्रशिक्षण योजना: आईटीआई (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों) के जरिये इस योजना के तहत 2014-22 के बीच 1 करोड़ लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
उद्यमशीलता
पिछले एक दशक के दौरान भारत में उद्यमशीलता की भावना में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। यह भावना समाज के विभिन्न वर्गों को लक्षित करने वाली विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों से प्रेरित है। इन कार्यक्रमों ने न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया है, बल्कि हाशिए पर मौजूद समुदाय के लोगों को पारंपरिक सीमाओं से बाहर निकालने और उनके उज्ज्वल भविष्य के निर्माण को भी बढ़ावा दिया है।
- पीएम मुद्रा योजना: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) का उद्देश्य नई या मौजूदा सूक्ष्म इकाइयों/उद्यमों को 10 लाख रुपये तक के संस्थागत ऋण प्रदान करना है। इस योजना के तहत 26 जनवरी, 2024 तक कुल 15 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए गए हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 27.38 लाख करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
- पीएम स्वनिधि: अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में स्ट्रीट वेंडर्स की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए पीएम स्वनिधि योजना के तहत अब तक 95 लाख ऋण स्वीकृत किए गए हैं और 62.36 लाख से अधिक लाभार्थियों को करीब 11,000 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। इस प्रकार यह उन्हें अपने कारोबार को औपचारिक बनाने और अपनी आजीविका को बेहतर करने के लिए सशक्त बनाती है।
- डीएवाई-एनआरएलएम: अब तक 04 करोड़ महिलाओं को 90.76 लाख स्वयं सहायता समूहों में संगठित किया गया है। डीएवाई-एनआरएलएम महिलाओं के बीच वित्तीय समावेशन, नेतृत्व कौशल और सामूहिक कार्य को बढ़ावा देती है। यह उन्हें आर्थिक गतिविधियों में भाग लेने, आय अर्जित करने और सामुदायिक विकास में योगदान के लिए सशक्त बनाती है।