स्वतंत्र तौर पर देश की पहली महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का पहला बजट कई मायने में परंपरा से एकदम ही हटकर रहा है। इस बजट को 2 खास वजहों से याद किया जा रहा है। पहली वजह, वित्त मंत्री की पहचान लाल रंग का ब्रीफकेस बदल गया और लाल कपड़े में अशोक चिन्ह से लिपटा बजट (इसे बही खाता भी कहा गया) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया। मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने इसे अंग्रेजी की दासता वाली परंपरा से मुक्ति बताया। दूसरी महत्वपूर्ण वजह इस बजट को याद करने की रहेगी कि देश को 5 ट्रिलियन डॉलर यानी 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थयव्यवस्था बनाने का बुनियादी खाका भी पेश किया गया। प्रतीक और प्रेरणा के तौर पर यह दोनों वजहें महत्वूर्ण हैं। फिर चाहे देश को गुलामी के चिन्हों से मुक्त करना हो या फिर देश की अर्थव्यवस्था को दोगुना करने का लक्ष्य। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में किसानों की आमदनी दोगुना करने का लक्ष्य रखा और दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में ही पूरे देश की आमदनी दोगुना करने का लक्ष्य रख दिया। सीधे तौर पर भले ही यह कहा नहीं गया, लेकिन 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का मतलब होगा कि भारतीयों की जेब में दोगुनी रकम आ जाए। 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था होने का मतलब क्या है, इसे समझाने के लिए मैंने यह सरल आंकड़ा रखा, लेकिन मुझे लगता है कि देश की पहली महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट प्रतीक और प्रेरणा से बहुत आगे हिन्दू जीवन दर्शन का लक्ष्य हासिल करने का है। आप कह सकते हैं कि हिन्दू जीवन दर्शन में कभी भी अकूत संपत्ति का लक्ष्य तो होता नहीं है, सुख–समृद्धि की बात जरूर की जाती है, लेकिन निर्मला सीतारमण के बजट में तो 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था ही मूल बात कही जा रही है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसी पर जोर दे रहे हैं। पहली नजर में देखने पर यह बात सही लगती है, लेकिन बजट के मुख्य बिंदुओं को ध्यान से देखने पर समझ में आता है कि 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था पर जोर इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि उदारीकरण के बाद दुनियावी गांव बन चुके विश्व को यही भाषा सबसे आसानी से समझ में आती है और भारतीय अर्थव्यवस्था को 8 प्रतिशत या उससे ऊपर की रफ्तार पकड़ाने के लिए जरूरी है कि दुनिया को उसकी भाषा में बताया जाए। इसीलिए बजट में 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था पर खास जोर दिया गया है, लेकिन बजट के मूल में हिन्दू दर्शन ही है, जिसमें सुख–समृद्धि प्राप्त करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब जलशक्ति मंत्रालय बनाया था तभी सुख–समृद्धि वाली सरकार की इच्छा सामने आ गई थी। देश में पहली बार किसी सरकार को यह बात समझ में आई कि मूलभूत जरूरतों– जल और वायु– को हम पूरा नहीं कर सके तो किसी भी तरह की संपत्ति, चकाचौंध से भरी अर्थव्यवस्था भारतीयों का जीवन बदतर ही करेगी। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे कार्यकाल में जलशक्ति मंत्रालय बनाकर और अपनी पहली मन की बात में पूरी तरह से जलशक्ति संरक्षण पर चर्चा करते हुए, उसे महत्व देने की तीन सूत्रीय योजना लोगों के सामने रख दिया था। दरअसल, बजट के हिन्दू दर्शन का विस्तार ही प्रधानमंत्री की पहली मन की बात थी। मैं क्यों कह रहा हूं कि बजट 2019 हिन्दू जीवन दर्शन का बजट है, इसे समझने के लिए बजट के 8 आधार बिंदुओं की तरफ मैं ध्यान दिलाता हूं।
निवेश आधारित 5 करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य।
ग्रामीण जीवन में सार्थक परिवर्तन।
नये जलशक्ति मंत्रालय के जरिये देश के हर घर तक नल से पानी पहुंचाना।
कर प्रणाली (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) को आसान बनाना।
बुनियादी ढांचे को इस तरह से मजबूत करना कि संपर्क आसान हो सके।
समाज को संवेदनशील बनाने के लिए गांधीपीडिया बनाना।
सॉफ्ट पावर (इसे हिन्दी में समझें कि ताकत का प्रयोग सार्थक बदलाव के लिए करने वाला देश न कि कमजोर को डराने वाला देश) के तौर पर भारत को विकसित करना।
भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को काम में लाना।
बजट 2019 का आधार यही 8 बिंदु हैं। इन आधार बिंदुओं को विस्तार देते हुए बजट बताता है कि इस लक्ष्य को प्राप्त कैसे किया जाएगा या फिर इस बुनियाद पर शानदार इमारत कैसे तैयार होगी। भारत दुनिया की छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और इसे 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए निवेश के “भ्रष्ट चक्र” को “पवित्र चक्र” में बदलने की बात कही गई है। कर देने वाले और कर लेने वाले की भेंट से पैदा होने वाले भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए फेसलेस इलेक्ट्रॉनिक टैक्स असेसमेंट के साथ ही आधार को पैन की जगह प्रयोग में लाने की भी इजाजत दे दी गई है। इसके जरिये सरकार एक राष्ट्र एक कर के बाद एक राष्ट्र एक नागरिक एक संख्या की तरफ तेजी से बढ़ रही है। जीएसटी, आईबीसी और रेरा से आर्थिक भ्रष्टाचार के मामलों को रोक जा सका है और मुद्रा, उज्ज्वला और सौभाग्य जैसी योजनाएं ग्रामीण जीवन में सार्थक परिवर्तन का वाहक बन रही हैं। छोटे और खुदरा दुकानदारों को पेंशन देने वाली प्रधानमंत्री कर्मयोगी मानधन योजना भी सुख–समृद्धि के दर्शन को बढ़ावा देने वाली है।
निवेश के “भ्रष्ट चक्र” को “पवित्र चक्र” में बदलने के लिए मन बना चुकी सरकार के साथ विदेशी निवेशक भारत को ही क्यों चुनें, इसके बारे में भी बजट में बहुत स्पष्टता के साथ कहा गया है। रेलवे और मेट्रो के काम और भविष्य की संभावनाओं को बजट में वित्त मंत्री जी ने इंगित किया है। रेलवे में निजी निवेश का अपार संभावनाएं हैं और बजट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को बढ़ावा देने की बात कही गई है। रेलवे ने अपनी परिचालन लागत घटाने में सफलता हासिल की है। 2017-18 में सरकार रेलवे से 100 रुपया कमाने के लिए 98 रुपया 40 पैसा खर्च कर रही थी, 2018-19 में सरकार को 100 रुपये कमाने के लिए 96 रुपये 20 पैसे ही खर्च करने पड़े। अब बजट में 2019-20 के लिए 100 रुपये कमाने के लिए 95 रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने साफ किया है कि रेलवे का निजीकरण नहीं होने जा रहा है, लेकिन धीरे–धीरे निजी निवेश बढ़ाया जाएगा। इससे रेलवे की परिचालन लागत धीरे–धीरे घटाई जा सकेगी। मोदी सरकार ने 2015-16 में 90 प्रतिशत परिचालन लागत का लक्ष्य हासिल कर लिया था, लेकिन उसकी मुख्य वजह 8720 करोड़ की बचत रही थी, लेकिन उसके बाद रेलवे के आधुनिकीकरण और बुनियादी दुरुस्तीकरण में रेलवे को ज्यादा खर्च करना पड़ा। अब सरकार फिर से इसे धीरे–धीरे बेहतर परिचालन लागत की तरफ ले जाने की कोशिश कर रही है। 1963-64 में भारतीय रेलवे की परिचालन लागत 74.7 प्रतिशत थी, लेकिन उसके बाद राजनीतिक प्रयोग से रेलवे की हालत लगातार खराब होती गई। रेलवे के अलावा सड़क और हवाई संपर्क के क्षेत्र में भी निवेश के लिए अपार संभावनाएं इस बजट में साफ दिखती हैं। 100 से ज्यादा हवाई अड्डों से लोग एक जगह से दूसरी जगह उड़कर जा रहे हैं और भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बन चुका है। राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर ग्रामीण सड़कों का काम नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में तेजी से किया गया और अब दूसरे कार्यकाल में भारतमाला का दूसरा चरण शुरू किया जाएगा और राज्यों की सड़कों को भी इससे जोड़ा जाएगा। इसके अलावा भारत में तेजी से खुल रहे जलमार्ग में भी निवेश की जबरदस्त संभावनाएं हैं। जलमार्ग विकास परियोजनाओं और सागरमाला के जरिये परिवहन लागत भी घटाई जा सकती है।
विदेशी निवेश के तौर पर भारत अभी भी दुनिया की सबसे पसंदीदा जगह है। 2018-19 में भारत में 64.4 बिलियन डॉलर विदेशी निवेश (एफडीआई) आया। एफडीआई को और बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल में शर्तों में ढील दी है। इसके अलावा इंश्योरेंस इंटरमीडियरीज में शत प्रतिशत विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी गई है। भारत वित्तीय अनुशासन के मामले में ज्यादातर देशों से बेहतर है। भारत का जीडीपी और बाहरी कर्ज का अनुपात सिर्फ 5 प्रतिशत है, जो दुनिया में सबसे कम है। वित्त मंत्री ने 2019-20 के लिए 3.3 प्रतिशत के वित्तीय घाटे का लक्ष्य रखा है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में आमूलचूल बदलाव का नतीजा है कि सरकारी खाते में आने वाली रकम का 19 प्रतिशत जीएसटी से, 16 प्रतिशत आयकर से और 21 प्रतिशत कॉर्पोरेट टैक्स से आ रहा है। जीएसटी प्रक्रिया में लगातार हो रहे सुधार से आने वाले समय में जीएसटी का आंकड़ा और बढ़ने की उम्मीद है। 2013-14 में 6 लाख 40 हजार करोड़ का आयकर 2018-19 में बढ़कर 11 लाख 40 हजार करोड़ रुपये हो गया है। बजट में बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपये देने की बात वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कही है, लेकिन साथ ही यह भी बताया कि सरकार के प्रयासों, नये कानूनों के अमल से तेजी से रिकवरी हो रही है। पिछले 4 साल में आईबीसी और दूसरे कानूनों की मदद से 4 लाख करोड़ रुपये के डूबे कर्ज की रिकवरी सरकार ने की है। नोटबंदी और आईबीसी जैसे बड़े फैसलों, कानूनों का फायदा अब दिख रहा है। आईबीसी के पहले के कानूनों के समय 23 प्रतिशत का वूसील अनुपात बढ़कर 43 प्रतिशत हो गया है।
देश की सुख–समृद्धि के लिए ग्रामीण विकास अति आवश्यक है। ग्रामीण विकास होने से गांव के लोगों का जीवन स्तर बेहतर होता ही है, साथ ही शहरों पर अनावश्यक बोझ नहीं पड़ता। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 22 प्रतिशत ज्यादा 19 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 30 हजार किलोमीटर सड़कें बनाई जा चुकी हैं। सभी घरों तक बिजली पहुंचाने की योजना पर सरकार काम कर रही है। जलशक्ति मंत्रालय की सबसे बड़ी जिम्मेदारी ग्रामीण जीवन स्तर को ही बेहतर करना है और इसके लिए पानी की कमी से जूझ रहे 256 जिलों के 1592 विकासखंडों को जलशक्ति अभियान के तहत चुना गया है। इन जिलों में एक संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी निगरानी के लिए रखा गया है। स्फूर्ति योजना के तहत बांस, शहद और खादी को बढ़ावा देने वाले 100 नये उद्योग समूह विकसित किए जाएंगे। 2019-20 के दौरान इसमें 50 हजार स्थानीय कलाकारों को रोजगार मिलेगा। एस्पायर योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में 100 कारोबारी केंद्र तैयार किए जाएंगे, जिसमें 75 हजार उद्यमियों को बढ़ावा दिया जाएगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था और हिन्दू जीवन दर्शन में महिलाओं का महत्व है और इसे बढ़ाने के लिए सरकार की योजनाएं महिला केंद्रित रखी गयी हैं। उज्ज्वला, मुद्रा और स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक मदद इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं।
हर किसी को छत देने की योजना पर सरकार काम कर रही है और उसे इस बजट में रेखांकित किया गया। प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत 81 लाख घर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। लोगों के जीवन की मूलभूत सुविधाओं पर तेजी से काम करने के लिए सरकार ने इस बजट में गैस ग्रिड, पावर ग्रिड और वाटर ग्रिड की परिकल्पना रखी है। छोटे मंझोले उद्योगों को छूट देने के साथ ही इस बजट में सोशल स्टॉक एक्सचेंज की बात की गई है। अभी इसका पूरा स्वरूप सामने आना बाकी है, लेकिन देश में सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले ईमानदार लोगों के लिए एक बेहतर तंत्र विकसित करने की योजना के तौर पर इसको सरकार आगे बढ़ाती दिख ही है, साथ ही एनजीओ में अनाप–शनाप विदेशी फंडिंग पर भी नियंत्रण की कोशिश के तौर पर इसे देखा जा सकता है। इस सरकार ने पहले कार्यकाल में विदेशी एजेंडे पर चलने वाले ढेरों एनजीओ की विदेशी फंडिंग पर नियंत्रण किया है।
शिक्षा को लेकर हर भारतीय चिंतित रहता है कि अच्छी शिक्षा के लिए हमें विदेश जाना पड़ता है। पिछले कार्यकाल में मोदी सरकार ने विश्वस्तरीय संस्थान तैयार करने की पहल की थी और दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाने की बात कही है। विश्व स्तरीय संस्थानों को तैयार करने के लिए 400 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। सरकार भारतीय संस्थानों, विश्वविद्यालयों को विश्वस्तरीय बनाकर विदेशी छात्रों को आकर्षित करने पर ध्यान दे रही है। खेलो इंडिया के तहत नेशनल स्पोर्ट्स एजुकेशन बोर्ड बनाने का भी प्रस्ताव है। अगले दशक के लिए दस चरणों का जिक्र भी बजट में किया गया है। जन भागीदारी के साथ टीम इंडिया तैयार करना, स्वस्थ समाज का निर्माण, खाद्य के मामले में आत्मनिर्भरता और निर्यात, अंतरिक्ष कार्यक्रम, ब्लू इकोनॉमी, जल प्रबंधन और स्वच्छ नदियां, मेक इन इंडिया, प्रदूषण मुक्त भारत, डिजिटल इंडिया और आखिरी चरण के तौर पर भौतिक और सामाजिक ढांचे को मजबूत करने की बात बजट में की गई है। बजट के 8 आधार बिंदुओं से अगले 10 सालों के 10 चरण भारत की सुख–समृद्धि की पक्की योजना आगे बढ़ाने वाले हैं और उसके प्रतीक और प्रेरणा के तौर पर ब्रीफकेस की जगह कपड़े लिपटा आय–व्यय की हिसाब और 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है, लेकिन इस बजट का मूल लक्ष्य हिन्दू जीवन दर्शन के आधार पर आधुनिक समय में सुख–समृद्धि वाला भारत निर्माण करना है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)