नागरिकता संशोधन विधेयक देश के दोनों सदनों से मंजूर हो गया और इसी के साथ भारत के पड़ोसी 3 देशों- पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता प्राप्त करने का अधिकार मिल गया है। विपक्ष ने इस बात पर हल्ला-हंगामा किया कि यह सिर्फ मुसलमानों के विरोध वाला विधेयक है, जबकि सरकार ने बार-बार स्पष्ट किया कि भारत से पाकिस्तान के विभाजन के बाद से ही लाखों की संख्या में हिन्दुओं सहित दूसरे अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान और बाद में पाकिस्तान से विभाजित हुए बांग्लादेश में धार्मिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही थी और अलग-अलग समय पर भले ही भारतीय नागरिकता के कानून में संशोधन हुए हों, लेकिन कोई स्पष्ट समाधान करने की कोशिश आज तक किसी भी सरकार ने नहीं की। भारतीय जनता पार्टी पर विपक्ष यह भी आरोप लगा रहा है कि असम एनआरसी से बाहर हुए हिन्दुओं को नागरिकता देने के लिए यह सब किया जा रहा है। विपक्ष के आरोपों में उनकी चिन्ता भी दिखती है कि इससे नरेंद्र मोदी और अमित शाह भारतीय जनता पार्टी की उस छवि को और मजबूत कर रहे हैं कि हम अपने मतदाता से किए हुए हर वायदे को पहला मौका मिलते ही पूरा करते हैं। इससे नरेंद्र मोदी और अमित शाह की वैचारिक प्रतिबद्धता ज्यादा मजबूती से स्थापित होती दिख रही है। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पड़ोसी मुस्लिम देशों में अल्पसंख्यकों पर धार्मिक आधार पर अत्याचार के आधार पर नागरिकता संशोधन विधेयक लाकर नरेंद्र मोदी और खासकर गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय जनता पार्टी को जनता ने इनता जबरदस्त समर्थन लगातार दो लोकसभा चुनावों में क्यों दिया है। इस बात को देश के गृह मंत्री अमित शाह ने सदन के बाहर और दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सलीके से रेखांकित भी किया। अमित शाह ने बहुत साफ कहा कि हमारे घोषणापत्र का यह हिस्सा था और हम इसी पर चुनाव जीतकर आए हैं। राष्ट्रवाद, राममंदिर, अनुच्छेद 370 हो या फिर बांग्लादेशी घुसपैठियों का मसला हो, भारतीय जनता पार्टी पर हमेशा यह आरोप लगता रहा है कि पार्टी इसे सिर्फ लटकाए रखना चाहती है। अब लगातार नरेंद्र मोदी की सरकार फैसले लेकर इस आरोप को पूरी तरह से ध्वस्त करने में कामयाब रही है।
नागरिकता संशोधन विधेयक के इस फैसले के साथ, कभी हां, कभी ना का रिश्ता रखकर शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी को मुश्किल में डालने की कोशिश जरूर की, लेकिन शिवसेना नेता संजय राउत का राज्यसभा में बोला डायलॉग शिवसेना की ही राजनीति पर भारी पड़ता दिख रहा है। शिवसेना नेता संजय राउत को राज्यसभा में 3 मिनट का समय आवंटित था और उपसभापति हरिबंश के बार-बार याद दिलाने के बावजूद संजय राउत मुद्दे के अलावा सारी बात करते रहे। संजय राउत डायलॉग मारकर ही खुद को खुश करते दिखे। संजय राउत ने राज्यसभा में कहा कि आप जिस स्कूल में पढ़ रहे हो, वहां के हम हेडमास्टर हैं। डायलॉग मारकर संजय राउत सहित शिवसेना के तीनों सांसद सदन से बाहर निकल गये, लेकिन जब नागरिकता संशोधन विधेयक पर मतदान हुआ तो समझ में आया कि राजनीतिक परिदृष्य में कौन हेडमास्टर है और कौन उद्दण्ड विद्यार्थी। शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी का साथ बेहद महत्वपूर्ण मौके पर छोड़ा तो शिवसेना की जगह ले रही बीजू जनता दल मजबूती के साथ भाजपा के साथ खड़ी नजर आई। बीजू जनता दल, जनता दल यूनाइटेड और एआईएडीएमके का नागिरकता संशोधन विधेयक पर भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़ा होना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खासकर गृह मंत्री अमित शाह की बड़ी राजनीतिक सफलता है। यह सफलता इसलिए भी और बड़ी हो जाती है क्योंकि इस विधेयक को विरोधी खांटी हिन्दू हितों को बचाने वाला विधेयक बता रहे थे और ऐसे में बीजू जनता दल, जनता दल यूनाइटेड और एआईएडीएमके का भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़े होना भारतीय राजनीति के एक और महत्वपूर्ण परिवर्तन के तौर पर याद किया जाएगा।
अमित शाह ने राज्यसभा में एक बात और पुख्ता तरीके से स्थापित करने की सफल कोशिश की। कांग्रेस सहित विपक्षी दल इसमें मुस्लिमों के शामिल न रहने की बात को देश, संविधान और मुस्लिम विरोधी बताने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अमित शाह ने जवाब में साफ कहा कि हम जिस समस्या का समाधान करते हैं, उसी पर पूरा ध्यान लगाते हैं और इसीलिए पड़ोसी मुस्लिम देशों में धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर हर अल्पसंख्यक को भारत का नागरिक बनाने वाला विधेयक पेश किया। गृह मंत्री अमित शाह ने लगे हाथों कांग्रेस सहित विपक्षी दलों की इस बात को भी रेखांकित किया कि उन्होंने सिर्फ मुसलमानों को चिन्हित किया। महात्मा गांधी के हवाले से गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि गांधी जी भी कहते थे कि हिन्दू और सिखों को धार्मिक आधार पर प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है। तीन तलाक, अनुच्छेद 370 और अब नागरिकता संशोधन विधेयक को लाकर और उसे सफलतापूर्वक लागू करके नरेंद्र मोदी सरकार और उसमें खासकर अमित शाह राष्ट्रीय विचारों के नेता के तौर पर जनता में पहले से भी ज्यादा भरोसा जमाने में कामयाब रहे हैं और सबसे बड़ी बात यह रही कि इसमें विपक्षी पार्टियों ने ही नरेंद्र मोदी और अमित शाह की बड़ी मदद की। कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियां भले ही संविधान, देश की बात कहती रहीं, लेकिन इसके तुरन्त बाद विपक्ष ने जोर-जोर से मोदी-शाह और भाजपा को हिन्दुओं के लिए हर काम करने वाली और मुस्लिम विरोधी पार्टी के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की और विपक्ष की इस कोशिश का ही प्रभाव रहा कि जनता दल यूनाइटेड जैसी पार्टी अनुच्छेद 370 का विरोध करने के बाद जनभावना के आधार पर दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन विधेयक के साथ खड़ी हो गयी। कई लोग तो मजाक में नवीन पटनायक की बीजू जनता दल को नई शिवसेना बताने लगे हैं। शाहकार का शाब्दिक अर्थ होता है नायाब कलाकृति, लेकिन अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जिस खूबसूरती से देश के गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक पारित कराया है, इसे शानदार राजनीति कृति के तौर पर याद किया जाएगा। इसे ऐसे देखा जाएगा कि राजनीतिक जोखिम लेने के साथ ही नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने पहला मौका मिलते ही अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता को साबित किया है, इससे उन्हें मत देने वाले मतदाताओं में और भरोसा जगेगा। कुल मिलाकर नागरिकता संशोधन विधेयक एक और अमित शाहकार है, जिसे भारतीय राजनीति में हमेशा इस तरह से याद रखा जाएगा कि इससे वैचारिक प्रतिबद्ध नेता के तौर पर अमित शाह की पहचान पुख्ता हुई है।
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं। लेख में व्यक्त उनके विचार निजी हैं।)
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