Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation

आकांक्षी भारत का आकांक्षी बजट

सन्नी कुमार

बजट किसी देश के लिए सिर्फ आय व्यय का लेखा जोखा मात्र नहीं होता बल्कि यह उस सरकारी दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है जिसके अंतर्गत आने वाले समय में देश को आकार लेना होता है. अर्थात् भले ही बजट एक वार्षिक वित्तीय विवरण होता है किंतु इसकी निगाह दूरवर्ती लक्ष्यों को साधने में भी होती है. इस प्रकार बजट व्यय के लिए ऐसे क्षेत्रों के चुनाव पर भी ध्यान देता है जो आगे चलकर आय के स्रोत साबित हो सकते हैं. इसी प्रकार आय अर्जन के तरीकों में भी इस बात का ध्यान रखा जाता है कि यह व्यवस्था संधारणीय हो. इस कसौटी पर वर्तमान बजट-2020-21 को देखें तो यह काफी हद तक सफल प्रतीत होती है. आय अर्जन की संधारणीयता बरकरार रखने के उद्देश्य से आयकर का नया ढॉंचा प्रस्तुत किया गया और करदाताओं को करीब 40 हजार करोड़ रूपये की राहत दी गई. इसी प्रकार लाभांश पर देय कर को भी समाप्त किया गया जिसके लिए सरकार को करीब 25 हजार करोड़ रूपये का घाटा सहना पड़ा.

इस प्रकार यद्यपि सरकार को लगभग 65 हजार करोड़ रूपये का घाटा सहना पड़ा और इसकी भरपाई के लिए कर्ज लेना पड़ा किंतु यह लंबे समय के लिए अर्थव्यवस्था के लिए सुखद ही है. इससे लोगों के बचत में वृद्धि होगी जिससे उनकी क्रय क्षमता बढ़ेगी और यह बढ़ी हुई क्रय क्षमता उत्पादन को प्रोत्साहित करेगा. इससे आय का एक सुचक्र स्थापित होगा. सरकार अपने बजट ऐसे अन्य उपायों को भी इसलिए ही अपनाती है ताकि आय अर्जन की संधारणीयता बनी रहे. इसी प्रकार अगर व्यय क्षेत्रों के चुनाव की बात करें तो इसमें उन क्षेत्रों पर अधिक बल दिया जाता है जो अर्थव्यवस्था के विकास के लिए सर्वाधिक संभावनाशील होते हैं. वर्तमान परिदृश्य को देखें तो भारत के विशाल युवा कार्यबल को प्रशिक्षित करना, ज्ञान के साधनों का विकास करना तथा प्रौद्योगिकी उन्नयन ऐसे ही क्षेत्र हैं जिनपर व्यय मूलतः एक प्रकार का निवेश है. इस कसौटी पर देखें तो बजट नई उम्मीदें जगाता है.
प्राथमिकता में उच्च शिक्षा

 

बजट 2020-21 आकांक्षी भारत के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है. इस प्रकार यह युवाओं के बहुआयामी विकास के लिए सर्वाधिक प्रयासरत है. सबसे पहले उच्च शिक्षा में किए प्रयास पर विचार करें तो यद्यपि पिछले बजट के दौरान उच्च शिक्षा पर खर्च की गई कुल 38,717 करोड़ रूपये की राशि की तुलना में इस वर्ष वृद्धि करते हुए इसे 39,466 करोड़ रुपये किया है, किंतु इसके अलावा ऐसे प्रावधानों को इस बार जोड़ा गया है जो उच्च शिक्षा के विकास को गति देंगे. उच्च शिक्षा के क्षैतिज और ऊर्ध्वमुखी विकास के लिए आवश्यक वित्त जुटाने के उद्देश्य से बजट ‘बाह्य वाणिज्यिक उधार’ (ईसीबी) तथा ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’(एफडीआई) को प्राप्त करने की बात करता है. वित्त मंत्री ने जोर देकर इस बात का उल्लेख किया कि ऐसे आवश्यक कदम उठाए जाएंगे जिससे एफडीआई आकर्षित हो और उच्च शिक्षा के लिए वित्त की कमी न हो. यह निश्चित ही एक बड़ा सुधारवादी कदम कहा जा सकता है. साथ ही ईसीबी के माध्यम से धन जुटाना भी उच्च शिक्षा को नई गति प्रदान करेगा. इसके साथ ही डिजिटल इंडिया ई-लर्निंग के लिए 444 करोड़ रुपये तथा नवोन्मेष शोध के लिए 307 करोड़ रूपये की भी व्यवस्था इस बजट में की गई है.

यद्यपि सरकार उच्च शिक्षा के लिए आवश्यक भौतिक अवसंरचना विकसित करने हेतु कृतसंकल्पित किंतु जब तक ऐसा नहीं हो पाता तबतक ‘आकांक्षी युवावर्ग’ के सर्वांगीण विकास के लिए ‘ऑनलाइन कोर्स’ का प्रावधान किया गया है. यह कार्यक्रम मूल रूप से समाज के ऐसे वंचित वर्ग के विद्यार्थियों के लिए शुरू किया गया है जिनकी पहुँच उच्च शिक्षा तक नहीं है. अब यह वर्ग ऑनलाइन ही उच्च शिक्षा में डिग्री आधारित कोर्स कर पाएगा, साथ ही गुणवत्ता से कोई समझौता न हो इसलिए सिर्फ सौ सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों को ही यह कोर्स संचालित करने की अनुमति होगी. इस प्रकार एक बड़ा वर्ग जो अब तक उच्च शिक्षा से महरूम रहा उन्हें आगे बढ़ने के समान अवसर मिल सकेंगे. इसका महत्व तब और भी बढ़ जाता है जब भारत सर्वाधिक युवाओं का देश बन गया है और इन युवाओं की प्रतिभा को सही दिशा देनी आवश्यक है.

कौशल विकास पर जोर

अक्सर यह बात कही जाती है कि विशाल मानव संसाधन होने के बावजूद वो आर्थिक गतिविधियों में सार्थक योगदान नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उनमें अपेक्षित कौशल का अभाव होता है. इसी कमी को दूर करने के लिए बजट एक वृहद कार्यक्रम की घोषणा करता है. वस्तुतः योजना यह है कि मार्च 2021 तक 150 उच्चतर शिक्षण संस्थान ‘अप्रेंटिसशिप आधारित डिग्री /डिप्लोमा’ कोर्स शुरू करेंगे, जिससे विद्यार्थियों के कौशल में वृद्धि होगी और रोजगार प्राप्त करने की उनकी क्षमता बढ़ेगी, साथ ही सरकार यह व्यवस्था भी करेगी कि ‘शहरी स्थानीय निकाय’ देश भर में इंटर्नशिप अवसरों को संचालित करेगी जिसमें नए इंजीनियरों को एक साल की अवधि तक काम सीखने का मौका प्राप्त होगा. इस प्रकार सरकार युवाओं में कौशल विकास को प्रोत्साहित करने के लिए जरूरी कदम उठा रही है. निश्चित ही ये प्रयास न केवल रोजगार सृजन में सहायक होंगे बल्कि नए उद्यमों को भी इससे प्रोत्साहन मिलेगा.
बजट ‘प्रधानमंत्री नवोन्मेषी शिक्षण कार्यक्रम -ध्रुव’ पर भी विशेष फोकस करता है. ध्रुव कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों के ज्ञान और कौशल को समृद्ध किया जाता है. इसके तहत देश भर के प्रतिभावान बच्चों को चुना जाता है तथा विशेषज्ञों की देखरेख में इनका विकास किया जाता है. इस योजना की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें विज्ञान और मानविकी दोनों क्षेत्रों के प्रतिभावान बच्चों को चुना जाता है.

नई राह

मानव संसाधन के प्रबंधन की दिशा में इस बजट की एक अन्य महत्वपूर्ण पहल गैर-गजेटेड भर्तियों के लिए एक रिक्रूटमेंट एजेंसी की स्थापना करना है. यह एजेंसी सभी गैर-गजेटेड सरकारी नौकरियों के लिए एक ही कंप्यूटर आधारित परीक्षा आयोजित करेगी. यह एक बेहद आवश्यक कदम है क्योंकि इसके पहले विद्यार्थियों का अधिकांश समय प्रतियोगी परीक्षाओं की भागीदारी में ही व्यतीत हो जाता था. साथ ही एक ही किस्म की नौकरियों के लिए विभिन्न परीक्षाएं आयोजित कराने से संसाधनों का अपव्यय भी होता है. अब, इसपर रोक लगेगी तो तीव्र गति से पूरी भर्ती प्रक्रिया को भी संपन्न किया जा सकेगा.

अंत में इस बात का जिक्र करना भी अनिवार्य है कि आने वाला भारत ज्ञान के क्षेत्र में स्वयं को कैसे समायोजित करेगा, इसकी रूपरेखा भी बजट में दिखाई परती है. इसके लिए नई शिक्षा नीति को प्रस्तुत किये जाने की बात की गई है. नई शिक्षा नीति के माध्यम से ही तय किया जा सकेगा कि हम उच्च शिक्षा और कौशल विकास में कैसे संतुलन साध पाते हैं, राष्ट्र की आवश्यकता पूर्ति के लिए किन नए शिक्षण प्रविधियों को अपनाया जाना है, शिक्षा की गुणवत्ता किस प्रकार बढ़ाई जाएगी, श्रेष्ठ शैक्षिक संस्थाओं को किस रूप से तैयार किया जाएगा आदि आदि. भारत के लिए न केवल शिक्षा को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की आवश्यकता है बल्कि इसे गुणवत्तायुक्त और नए समय के अनुरूप संचालित करना भी जरूरी है. इसके बाद ही एक आकांक्षी भारत अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सकता है. जिस प्रकार से बजट में इस आकांक्षा को फलीभूत करने के ठोस कदम उठाए गए उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भविष्य का भारत कौशलयुक्त व ज्ञानवान युवा का देश होगा. शिक्षा पर खर्च के लिए निर्धारित की गई लगभग 1 लाख करोड़ रूपये की राशि निश्चित रूप से युवाओं को उनके सुनहरे भविष्य को बनाने में मददगार होगी.

(लेखक इतिहास के अध्येता हैं. ये लेखक के निजी विचार हैं.)