Home » राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के 25वें स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन
- मुझे इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के 25वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह का उद्घाटन करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। मैं इस विश्वविद्यालय से जुड़े समस्त चिकित्सा और वैज्ञानिक समुदाय को बधाई देता हूं।
- इन विगत वर्षों में आप सभी शिक्षण के साथ-साथ चिकित्सा प्रणालियों पर प्रशिक्षण के क्षेत्र में भी अद्भुत काम करते रहे हैं।
- 25 साल का मतलब है कि यह विश्वविद्यालय अपने फलने-फूलने के चरम चरण में है। यह दौर निश्चित तौर पर और भी बड़ा सोचने एवं बेहतर करने का है। मुझे विश्वास है कि यह विश्वविद्यालय आने वाले समय में भी निरंतर उत्कृष्टता की नई ऊंचाइयों को छूता रहेगा।
- मैं कोविड-19 स्थिति से निपटने के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की भी सराहना करता हूं। मित्रों, यदि सामान्य स्थिति होती तो यह समारोह निश्चित रूप से और भी अधिक व्यापक होता। यदि वैश्विक महामारी का प्रकोप नहीं बढ़ा होता, तो मैं इस विशेष अवसर पर बेंगलुरू में ही आप सभी के साथ रहकर आमने-सामने चर्चाएं करना पसंद करता।
- कोविड-19 के खिलाफ भारत की इस दिलेर लड़ाई के मूल में चिकित्सा समुदाय और हमारे कोरोना योद्धाओं की कड़ी मेहनत है। वास्तव में, डॉक्टर और चिकित्सा कर्मी सैनिकों की ही तरह हैं, लेकिन सैनिकों की वर्दी के बिना निरंतर कार्यरत हैं।
- वायरस एक अदृश्य दुश्मन हो सकता है, लेकिन हमारे कोरोना योद्धा यानी चिकित्सा कर्मी अजेय हैं। अदृश्य बनाम अजेय की लड़ाई में हमारे चिकित्सा कर्मियों की जीत सुनिश्चित है। मित्रों, इससे पहले वैश्वीकरण पर बहस के दौरान आर्थिक मुद्दों पर फोकस किया जाता रहा है।
- हम मोटे तौर पर चार स्तंभों पर काम कर रहे हैं, पहला स्तंभ है – रोग निवारक स्वास्थ्य सेवा। इसमें योग, आयुर्वेद और सामान्य फिटनेस का विशेष महत्व शामिल है। 40 हजार से भी अधिक वेलनेस सेंटर खोले गए हैं जहां मुख्यत: जीवनशैली से संबंधित बीमारियों को नियंत्रित करने पर काफी फोकस किया जाता है।
- दूसरा स्तंभ है – किफायती स्वास्थ्य सेवा। आयुष्मान भारत- दुनिया की यह सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना भारत की ही है। दो साल से भी कम समय में एक करोड़ लोग इस योजना से लाभान्वित हुए हैं। महिलाएं और गांवों में रहने वाले लोग इस योजना के प्रमुख लाभार्थियों में शामिल हैं।
- तीसरा स्तंभ है – आपूर्ति के मोर्चे पर सुधार। भारत जैसे देश में समुचित चिकित्सा ढांचा और चिकित्सा शिक्षा की बुनियादी ढांचागत सुविधाएं होनी चाहिए। देश के हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज या स्नातकोत्तर चिकित्सा संस्थान सुनिश्चित करने पर काम चल रहा है।
- चौथा स्तंभ है – मिशन मोड में कार्यान्वयन – कागज पर अच्छी तरह से परिकल्पित आइडिया केवल एक अच्छा आइडिया होता है और जब एक अच्छा आइडिया अच्छी तरह से लागू किया जाता है तो यह एक महान आइडिया बन जाता है। अत: कार्यान्वयन अत्यंत आवश्यक है।
- यहां मैं भारत के ‘राष्ट्रीय पोषण मिशन’ की सफलता पर प्रकाश डालना चाहता हूं जो बच्चों और उनकी माताओं के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है। भारत वर्ष 2025 तक टीबी का उन्मूलन करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहा है। यह वर्ष 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले ही होने जा रहा है।
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